आचार्य श्री जिनसुंदरसूरिश्वरजी म.सा. व आचार्य श्री धर्मबोधिसूरिश्वरजी म.सा. का आराधना भवन में हुआ भव्य मंगल प्रवेश
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २८ नवंबर ;अभी तक ; दिनांक 11 से 15 दिसम्बर 2024 तक मंदसौर में हो रहे नमनकुमार कोचर की दीक्षा महोत्सव में पावन निश्रा प्रदान करने हेतु अचार्य श्री जिनसुंदरसूरिश्वरजी म.सा. व आचार्य श्री धर्मबोधि सूरिश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 13 का मंदसौर नगर में आगमन हो चुका है। गुरूवार को दोनों जैन आचार्यों का श्रीसंघ सहित नईआबादी स्थित श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर (आराधना भवन) में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। दोनों आचार्यो की श्रीसंघ के द्वारा महाराणा प्रताप बस स्टेण्ड पर भव्य आगवानी की गई। बैण्ड बाजे के साथ श्रीसंघ के द्वारा संतों के नगर आगमन पर भव्य चल समारोह निकाला गया।
महाराणा प्रताप बस स्टेण्ड से प्रारंभ हुआ चल समारोह कम्बल केन्द्र रोड़, सहकारी बाजार रोड़ एवं आचार्य श्री नवरत्नसागर सूरिश्वरजी मार्ग पर भ्रमण कर आराधना भवन मंदिर पहुंचा। मार्ग में कई स्थानों पर संतों के आगमन पर गहुलिया भी की गई। जैन धर्मालुजनों के साथ ही नईआबादी क्षेत्र के सभी समाज के महानुभावों व माता बहनों ने अपने घरों के बाहर आकर आचार्यद्वय के दर्शन वंदन का धर्मलाभ लिया। इस चल समारोह में आराधना भवन में चार माह तक चातुमार्स करने वाले आचार्य श्री के शिष्य योगरूचि विजयजी म.सा. व जैन साध्वी श्री शीलमाला श्रीजी व रत्नमाला श्रीजी म.सा. भी शामिल हुये।
आराधना भवन मंदिर पहुंचकर चल समारोह धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। यहां आचार्य श्री जिनसुंदरसूरिश्वरजी म.सा. ने कहा कि मंदसौर में मुमुक्षु नमनकुमार कोचर जो कि मलकापुर महाराष्ट्र के निवासी है उनकी दीक्ष्ज्ञा होना पूरे मंदसौर नगर के लिये गौरव की बात है। सांसारिक मोह माया का त्याग कर संयम जीवन अपनाना कोई सरल कार्य नहीं है। नमनकुमार की दीक्षा का धर्मलाभ लेकर मंदसौर के आराधना भवन श्रीसंघ ने भी पुनीत कार्य हाथ में लिया है जो कि अनुकरणीय है। आपने इस अवसर पर जैन संतों के प्रवचन अर्थात जिनवाणी की महत्ता बताते हुए कहा कि जो लोग जिनवाणी सुनते है वे भाग्यशाली होते है। जिनवाणी सुनने से मनुष्य का पूण्य बड़ता है तथा पापकम होता है। जिन कानों को जिनवाणी सुनने को मिलती है वे सौभाग्यशाली होते है। जिनवाणी सुनने वाला अपना अगला भव भी सुधार लेता है। आचार्यश्री ने इस मौके पर गुरू का भी महत्व बताया और कहा कि गुरू व देव जहां भी हो वहां गुरू पहले पूजनीय है। गुरू ही धर्म का मार्ग बताते है इसलिये गुरू की महत्ता समझो। संचालन दिलीप रांका ने किया।
धर्मसभा व आचार्यश्री के प्रवेश के अवसर पर आराधना भवन श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप रांका, अनिल धींग, महेश जैन तहलका, अमित जैन छिंगावत, विमल जैन छिंगावत, शिखर धींग, सज्जनलाल रांका, सुनील दक अभिषेक ट्रेवल्स, त्रिलोक जैन, निलेश बम्बोरिया, विजय बम्बोरिया, सचिन नवकार, गौरव संचेती, सुनील बालावत, अनिल बालावत, मुकेश धींग, विजय रांका, अशोक बही वाला, नरेन्द्र बम्बोरिया, विकास भण्डारी सीए, दिलीप नौगांवा वाला, रूपेश पोरवाल, पराग जैन, पायल जैन, अतुल पचोरी, प्रीतेश कर्नावट आदि कई धर्मालुजन उपस्थित थे।
प्रतिदिन होंगे आचार्यश्री के प्रवचन- आराधना भवन श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप रांका ने बतािया कि आचार्य श्री जिनसुंदरसूरिश्वरजी म.सा. व आचार्य री धर्मबोधिसूरिश्वरजी म.सा. के प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे आराधना भवन मंदिर हाल में प्रवचन होंगे। प्रवचन की श्रृृंखला दीक्षा महोत्सव तक अनवरत रहेगी। धर्मालुजन प्रवचन में आकर जिनवाणी श्रवण कर धर्मलाभ ले।