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कविताएं कहती हैं,मन की सच्ची बात,बाल कवि बैरागी के साथ कविताओं का संकलन एक गुलदस्ता

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ३० नवंबर ;अभी तक ;   बालकवि बैरागी के साथ मनासा के कवियों की कविताओं का संकलन एक गुलदस्ता है जिसके पुष्पों से सामाजिक,राजनीतिक सुधार की ख़ुशबू समाज में फैलती है सोशल मीडिया के इस दौर में स्वरचित कविताओं को बचा कर रखना और मंजर ए आम पर लाना,हिम्मत परिश्रम और सराहना योग्य क़दम है।
                                         ये बात मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के प्रांतीय सचिवमण्डल सदस्य असअद अन्सारी ने कही। श्री अन्सारी नीमच जनवादी लेखक संघ के श्री विजय बैरागी द्वारा संपादित काव्य संकलन मनासा तब से अब तक पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तीन पीढ़ियों के कवियों ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं पर निशाना साधते हुवे कविताओं के माध्यम से सच्ची मन की बात कहने का सफ़ल प्रयास किया है। श्री अन्सारी राष्ट्रीय कवि बालकवि बैरागी की कविता का ज़िक्र करते हुवे उन की इस भावना का पुरज़ोर समर्थन किया कि जब चिंतन पर काई जम जाए तो समझो  पीढी हार गई।
                                  इस अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ उपाध्यक्ष डॉ. स्वप्निल ओझा ने सम्पादक विजय बैरागी की प्रशंसा करते हुवे उनकी कविता में उल्लेखित इस भावना का समर्थन किया कि वर्तमान समय मे धर्माेन्माद फैलाने के प्रयासों को रोकने का दायित्व साहित्यकारों पर अधिक है और इस आड़ में राजनैतिक दलों  के नापाक मनसूबों को नाकाम करना हम सब का दायित्व है।
                                प्रलेसं के सचिव दिनेश बसेर ने  दिवंगत साहित्यकार आलोक पंजाबी की कविता का वाचन करते हुवे कहा कि अब युवा साथियों को सामाजिक विसंगतियों और राजनैतिक व्यवस्थाओं से देश मे छा रहे अंधेरों के खि़लाफ़ अपनी लेखनी के माध्यम से लड़ना होगा।
                                      वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुवे कहा  कि हमे साहित्य की मशाल को जलाए रखना होगा ।उन्होनें मनासा के साहित्यकारों  के संकलन  को उत्कृष्ठ संकलन निरूपित किया।
                                   कार्यक्रम में हूरबानो सैफ़ी, आसिम अयूबी, नरेंद्र अरोरा, शमीम सिद्दीक़ी, जीवन साहू आसिफ़ अन्सारी उपस्थित थे। संचालन असअद अन्सारी ने किया और आभार माना रुहीना सिद्दीक़ी ने।

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