गीता सिर्फ किताबों में नहीं बल्कि हमारे जीवन में भी दिखाई देना चाहिए : ब्रम्हाकुमारी सीता बहन जी
दीपक शर्मा
पन्ना १३ दिसंबर ;अभी तक ; प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय पन्ना में गीता जयंती के पावन पर्व पर “सफल जीवन का आधार : गीता का सार“ के सुंदर विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परमपिता परमात्मा की याद एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस कार्यक्रम में ब्रम्हाकुमारी सीता बहन जी ने गीता ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, गीता सर्व शास्त्रमई शिरोमणि गाई हुई है। गीताज्ञान हमारा जीवन बने गीता से हम जुड़े रहें और गीताज्ञान दाता हमारे लिए छत्रछाया बन जाए दृ इन्हीं शुभकामनाओं के साथ श्रीमद्भगवद्गीता पूरे जनमानस के लिए स्वयं परमात्मा द्वारा वरदान रूप में प्राप्त ज्ञान सरिता है, ज्ञान गंगा है। गीता हमें एकजुटता सिखाती है; सहयोग, समन्वय सिखाती है। जीवन को सदैव कर्म में प्रयासरत रखना सिखाती है। जब मनुष्य ’किंकर्तव्यविमूढ़’ हो जाता है, तो गीता उसे जीवन में कर्तव्यबोध को जागृत कर सन्मार्ग पर अग्रसर करती है। गीता ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है, जिसमें ’भगवानुवाच’ शब्द का प्रयोग हुआ है अर्थात यह स्वयं परमात्मा द्वारा दिया हुआ सच्चा ज्ञान है, परंतु आज हम गीता के भगवान ज्योति बिंदु परमपिता परमात्मा को भूल गए हैं, जो परमधाम का वासी है और आज यह गति हुई कि चारों ओर पापाचार, दुराचार और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सर्वआत्माओं के परमपिता परमात्मा को पहचाने, जो जन्म मरण से न्यारा है, जो कल्प के अंत में आकर हम सब को गीता ज्ञान देते हैं। वास्तव में आज हम सब अर्जुन हैं और हमारी ही जीवन में अच्छाई बुराई, सकारात्मकता नकारात्मकता तथा सत्कर्मदृविकर्म के बीच द्वंद युद्ध चलता रहता है और गीता ज्ञान दाता परमात्मा से विमुख हो हम गलत राह पर चल पड़ते हैं, तब कलयुग के अंत और सतयुग के आदि में परमपिता परमात्मा गीता में दिए अपने वायदे के अनुसार साधारण स्वरूप में आते हैं और ज्ञान यज्ञ रचते हैं, जो उन्हें पहचान उनके बताए मार्ग चलता है वह सतयुगी दैवी दुनिया में जाता हैदृजहां एक राज्य, एक धर्म, एक भाषा होती है। जहां किसी प्रकार का कोई झगड़ा, द्वेष, विकार नहीं होता। आगे बहन जी ने सभी से परमात्मा द्वारा सिखाएं राजयोग को सीखने हेतु आव्हान किया और राजयोग मेडिटेशन (ध्यान) का अभ्यास कराया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने परमात्मा की श्रीमत पर चलने की प्रतिज्ञा ली। इस कार्यक्रम में श्रीमती निशा जैन, श्रीमती चंद्र प्रभा तिवारी, श्रीमती प्रभा पटेरिया, श्रीमती शकुंतला बहन सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे एवं सभी ने कार्यक्रम की सराहना की तथा अपने अपने विचार रखे।