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जीवन में दुःख का कारण है,अभाव,प्रभाव और स्वभाव – आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरीजी म.सा. 

अरुण त्रिपाठी
रतलाम, 03 जनवरी ;अभी तक ;   संसार विचित्र है | इसमें मनुष्य को दुःख के कई कारण है, मगर मुख्य रूप से अभाव,प्रभाव और स्वभाव के कारण दुःख होता है | यदि मनुष्य इन्हे देखने की दृष्टि बदल ले, तो लाईफ मिनिंगलेस नहीं रहेगी, मिनिंगफुल हो जाएगी |
यह उदगार आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किए | मोहन टाकिज में तीन दिवसीय प्रवचन के दूसरे दिन आचार्य श्री ने मिनिंगफुल लाईफ विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि अभाव का दुःख इसलिए है कि मनुष्य के पास जो है, उसकी ख़ुशी नहीं है और जो नहीं है, उसका दुःख मनाता है | प्रभाव का दुःख इसलिए होता है कि दूसरो के दुःख में दुखी होना आसान है , लेकिन दूसरे के सुख में सुखी होना मुश्किल होता है | मनुष्य दूसरे से ईर्ष्या करता है और दुखी होता है | संसार में विकास उसी का होता है ,जो दूसरे सुख से खुश रहता है |
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि स्वभाव भी दुःख देता है, क्योकि व्यक्ति सोचता है प्रभु उससे प्रसन्न है, इसलिए वह खुश है | लेकिन असल में अपना खुश होना मायने नहीं रखता, अपितु अपने से कोई खुश है, तो ही स्वभाव ख़ुशी देने वाला होता है |

आचार्य श्री के प्रवचन 4 जनवरी को प्रातः 09ः15 से 10ः15 बजे तक होंगे। इससे पूर्व आचार्य श्री द्वारा स्थापित पुण्या श्रावक ग्रुप के तत्वावधान सुबह 8 बजे सामायिक का आयोजन होगा | 5 जनवरी को पॉवर ऑफ पीस विषय पर रविवारीय युवा शिविर का आयोजन होगा। इसमें 15 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हो सकेंगे।

 


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