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जीवन में धर्य रखे, धर्म का मार्ग नहीं छोड़े- पं.पू. दिलीपजी व्यास, नरसिंहपुरा में आयोजित श्री हनुमंत कथा में उमड़ रही है धर्मालुजनों की भीड़

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ३१ दिसंबर ;अभी तक ;   नरसिंहपुरा स्थित कुमावत धर्मशाला में 29 दिसम्बर से श्री हनुमंत कथा का आयोजन हो रहा है। प.पू. हनुमान भक्त पं. दिलीपजी व्यास प्रतिदिन दोप. 1 से सायं 4 बजे तक व्यासपीठ पर विराजित होकर धर्मालुजनों को श्री हनुमंत कथा श्रवण करा रहे है। इस कथा में नरसिंहपुराा ही नहीं अपितु आसपास के क्षेत्रों के धर्मालुजन बड़ी संख्या में पहुंचकर कथा श्रवण कर रहे है। श्री हनुमंत कथा श्रवण करने के लिये धर्मालुजनों की अपा संख्या प्रतिदिन कुमावत धर्माशाला नरंिसहपुरा पहुंचकर रही है। यहकथा 4 जनवरी तक यहां आयोजित होगी।
                                            कथा के तृतीय दिवस मंगलवार को प.पू. श्री दिलीपजी व्यास ने भगवान श्री राम के जन्म की पूर्व की कथा श्रवण कराईं । कथा में उन्होंने भगवान श्रीराम के वंशजों का सनातन धर्म एवं संस्कृति के पोषण में जो योगदान है उसे श्रवण कराया। आपने भगवान ऋषभदेव, भागीरथजी, राजा हरिशचंद व राजा दशरथ का जीवन परिचय श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान श्री राम के जन्म के पहले राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति की कामना को लेकर पुत्र कामेष्टी यज्ञ किया था। पुत्र कामेष्टी यज्ञ के फल स्वरूप राजा दशरथ के यहां राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न चार पुत्रों का जन्म हुआ। आपने कहा कि जीवन में हम जो दान पुण्य यज्ञ हवन व अन्य धार्मिक कार्य जो भी करते है उनका पुण्य फल मानव को अवश्य ही प्राप्त होता है। कभी कभी पुण्य का फल मिलने में देरी हो सकती है लेकिन हमें धैर्य रखना चाहिये तथा धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिये।
                                         पं.पू. श्री दिलीपजी व्यास ने कहा कि रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाये पर वचन नहीं जाये। यह कहावत भले ही राम वनवास के बाद ज्यादा चर्चित हुई लेकिन यह पंक्ति भगवान राम के सभी वंशजों ने चरितार्थ करके बताई है। राजा हरिशचन्द्र ने सत्य की खातिर दास का जीवन स्वीकार किया लेकिन दिये हुए वचन का नहीं तोड़ा। उन्होनें वाराणसी के तट पर शवों को अंतिम संस्कार का काम करना स्वीकार किया लेकिन वचन नहीं तोड़ा।
                                           प.पू.. दिलीपजी व्यास ने गंगा अवतरण की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भागीरथजी ने अपने पितृजनों की मोक्ष की कामना को लेकर पृथ्वी पर गंगा अवतरण की मंशा को लेकर कठोर तप किया। भागीरथजी के कठोर तप के कारण स्वर्ग से माता गंगा को पृथ्वी पर अवतरित होना पड़ा। भागीरथजी ने गंगा को पृथ्वी पर जाकर सनातन धर्म व संस्कृति के लिये जो अद्भुत योगदान दिया वह प्रेरणादायी है। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में झेलकर गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराया। इस कथा को सुनते ही माता गंगा के जयकारे गूंज उठे।
                                         इन्होनंे किया पौथी पूजन व आरती- कथा के द्वितीय दिवस सोमवार की शाम को पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष मानसिंह माच्छोपुरिया, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तेजपालसिंह शक्तावत एडवोकेट, कांग्रेस नेता सुरेन्द्र कुमावत, समाजसेवी गौरव रत्नावत, सत्येन्द्रसिंह सोम एडवोकेट, हरिशंकर शर्मा, मनोज मण्डोवरा, मोहन छापोला, सत्यनारायण पालड़िया, भरत अजमेरा, बाबूलाल कुमावत, पार्षद सुनीता गुजरिया, पूर्व पार्षद भेरूलाल अन्यावड़ा ने पौथी की आरती की। कथा के तृतीय दिवस मंगलवार की दोपहर में भारत विकास परिषद, अ.भा. ग्राहक पंचायत, अ.भा.वि.प. के पदाधिकारियों ने पौथी का पूजन किया। आरती का धर्मलाभ नरेन्द्र त्रिवेदी, दिलीप सेठिया, अजय शर्मा, आशीष अग्रवाल, नवनीत शर्मा, उमरावसिंह जैन, भूपेन्द्र बैरागी, अंशुल जैन, दीपक मिश्रा ने लिया।
आज हनुमान जन्मोत्सव होगा- हनुमंत कथा के चतुर्थ दिवस बुधवार को दोपहर में भगवान हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जावेगा। सभी धर्मालुजनों से कथा में पहुंचने की अपील की गई है।

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