पुलिस ने जिले के बहुचर्चित दयानंद नगपुरे हत्याकांड का खुलासा किया
आनंद ताम्रकार
बालाघाट ३ दिसंबर ;अभी तक ; जिले के बहुचर्चित दयानंद नगपुरे हत्याकांड का खुलासा करते हुए पुलिस अधीक्षक श्री नगेन्द्र सिंह ने कल देर शाम आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया की चिखला ग्राम निवासी 22 वर्षीय दयानंद पिता रमनलाल नगपुरे की हत्या का षड्यंत्र उसी गांव के 18 वर्षीय भार्गव पिता ईश्वरी शिवहरे ने रचा था। उसने अपने 3 दोस्तों से 3 लाख रूपये में दयानंद की जिंदगी का सौदा किया था।
उन्होने यह भी बताया की भार्गव ने 3 लाख सुपारी देकर ना सिर्फ दयानंद की हत्या कराई बल्कि सबूत मिटाने के लिए मृतक का मोबाइल उसकी कार का टेंपरिकार्ड भी जला दिया। उन्होंने अवगत कराया की पुलिस ने भार्गव सहित 3 दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया है तथा उनके द्वारा किये गये अपराध को चिन्हित विशेष अपराधों की श्रेणी में रखा है।
श्री नगेन्द्र सिंह ने कहा की पुलिस की कोशिश रहेगी की आरोपियों ने इस हत्याकांड को जिस तरीके से अंजाम दिया है उन्हें फांसी की सजा मिले।
यह उल्लेखनीय है की पुलिस अधिक्षक द्वारा इस हत्याकाण्ड से जुडे आरोपियों तक पहुंचने के लिये 7 अलग अलग टीमें बनाई और 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे खंगाले गये तथा 4 दिनों के अंदर ही आरोपियों को अपनी गिरफत में ले लिया।
भार्गव के साथ इस अपराध में निलेश उर्फ जैकी पिता नारायण सुलाखे उम्र 21 वर्ष निवासी धापेवाड़ा, शंकर पिता दुर्गाप्रसाद नगपुरे 22 वर्ष आवलाझंरी, कृष्ण पिता राधेश्याम रंनगिरे 23 वर्ष निवासी कुम्हारी शामिल थे। इनके अलावा हत्याकाण्ड में आरोपियों की हिमांशु बम्बुरे तथा रितेश माहुले ने मदद की थी। दोनों अब तक फरार है जिनकी तलाश की जा रही है।
बताया गया है की मृतक दयानंद को लग्जरी गाड़ियों को शौक था। वह ट्रेवल्स एजेंसी के बिजनेस को बढ़ाना चाह रहा था। उसके पास पहले से ही 2 महंगी कारें थी और वह जल्दी एक ओर महंगी गाड़ी खरीदना चाह रहा था।
दयानंद को इस बात की जानकारी लगी थी की उसके गांव का भार्गव शिवहरे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर पैसे दुगना करता है। दयानंद ने पैसे दुगना करने भार्गव को अपनी जमा पूंजी दी। और लोगों से पैसे उधार लेकर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करता जा रहा था।
दयानंद को निवेश करने के बाद फायदा हुआ तो उसने भार्गव से कार खरीदने और मुनाफे की रकम मांगी लेकिन भार्गव के द्वारा हर बार दयानंद को झांसा देते हुए पैसे ना देने पड़े इस लिये बहाने बनाता रहा दयानंद को कुछ शंका होने पर उसने भार्गव पर दबाव बनाना शुरू किया तब छुटकारा पाने के लिये भार्गव ने दयानंद की हत्या करने के लिए साजिश रची और उसने दोस्तों को 3 लाख रुपये की सुपारी दे दी।
26 दिसंबर को भार्गव ने दयानंद को क्रिप्टो में किये गए निवेश को मुनाफा की रकम देने के लिये ग्राम खुटिया बुलाया वहां पहले से ही जैकी सुलाखे,शंकर नगपुरे और कृष्णा रनगिरे मौजूद थे दयानंद अपने पिता की कार से भार्गव से मिलने गया था। कार में भार्गव और उसके तीनों दोस्त बैठ गये कुछ दूर जाने के बाद पिछे बैठे भार्गव और जैकी ने दयानंद का गला तार से कस दिया तो तडपने पर शंकर और कृष्णा ने दयानंद के हाथ पकड लिये हत्या के बाद शव को कार की पीछे की सीट के नीचे डाल दिया और पुलिस को गुमराह करने की नियत से आरोपियों ने कार को लामटा की ओर भी ले गये इसके बाद शव रखे वाहन को भानपुर के जंगल में छोड कर फरार हो गये।
29 दिसंबर को पुलिस शव बरामद किया और जांच शुरू की इस तरह बालाघाट जिले में सुपारी देकर हत्या करने के इस तरह के दूसरे मामले का खुलासा हुआ।