बैहर एवं बिरसा के बीच 32 किलोमीटर की लम्बी सड़क इस क्षेत्र के लिये हाईवे साबित हो रही
आनंद ताम्रकार
बालाघाट २७ नवंबर ;अभी तक ; आजादी हासिल होने के सातवें दशक में बालाघाट जिले के दो आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में एक ऐसी सड़क का निर्माण किया गया है जो इस क्षेत्र के लिये लाइफ लाइन साबित हो रही है। यह उल्लेखनीय है की इस सड़क निर्माण होने से 14 गांव का संपर्क जुडेगा और सात मार्गो का जंक्शन कहलायेगा।
इस दृष्टि से 32 किलोमीटर की यह लम्बी सड़क इस क्षेत्र के लिये हाईवे साबित हो रही है यह ऐसा क्षेत्र है जहां पहले ना तो पक्की सड़क थी और पहुचविहिन इलाके में थी जहां पैदल ही आना जाना पड़ता था। लेकिन अब जिले के 2 विकासखण्ड बैहर एवं बिरसा के एक छोर से दूसरे छोर तक नागरिक आवाजाही सेर सपाटा कर सकते है।
अस्पताल स्कूल राशन दुकानों मंडी और शहरों तक पहुंचने की राह आसान हो गई है वहीं कस्बों और शहरों के व्यापारियों की पहुंच इस पहुंचविहिन इलाके तक हो गई है पर्यटक भी इस प्राकृतिक संसाधनों से आच्छादित वन सम्पदा और लम्बे साल वृक्षों से सजी प्राकृतिक दृश्यावली का सौंदर्यभोग कर आनंद उठा सकते है।
अधिकारिकसूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भण्डेरी से अडोरी जाने वाली 32 किलोमीटर की यह सड़क अकेली सड़क नही है। इस सड़क से सात से अधिक विभिन्न ग्रामों से आने वाली सड़के आकर मिलती है जो कई जगह तिरहा और चौराहा भी बनती है।
इस तरह सात अन्य सड़के इस मार्ग पर जक्शन बना रही है, जिनकी लम्बाई 50.37 किलोमीटर लम्बी है। बडे़ शहरों में बन रही हाईवे की तर्ज पर बनी यह सड़क नागरिकों के लिये स्वास्थ्य चिकित्सा,शिक्षा के अलावा रोजगार,व्यापार,मंडी और बैंक भी इससे जुडने वाले है। इस मार्ग पर 8 गांव में निवासरत 10 हजार आबादी के लिये यह लाइफ लाइन साबित होगी।
ये सात सड़के मोहबट्टा से करवाही 13.47 किलोमीटर, सरेखा से बरवाही 1.5 किलोमीटर, पाथरी से गडपायली 2.70 किलोमीटर,नव्ही से जलदा 3.3 किलोमीटर, अडोरी से सुंदरवाही 4.9 किलोमीटर, अडोरी से कोरका 13.50 किलोमीटर और कोरका से धर्मशाला 10 किलोमीटर इस तरह 50.37 किलोमीटर लम्बी सड़क बनकर तैयार हो गई है। सडक निर्माण से पूर्व में किये गये सर्वे के अनुसार भण्डेरी गंजेसरा, धुम्मुर, कंदई, किनिया, गुडरवाडा और सरेखा गांव की जनसख्या लगभग 8 हजार है। वहीं इनसे जुडे़ समीपवर्तीय 30 गांवों के नागरिक भी अब इस मार्ग का उपयोग करने लगे है।
यह उल्लेखनीय है इस सड़क के आसपास कुछ गांव ऐसे भी जिनकी पहचान नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में चिन्हित की गई जहां पहुंचना बड़ा मुश्किल था। लोग भय के कारण इन गांव तक पहुच नही पाते थे। इस सडक के बन जाने से अब राशन कार्डधारी उपभोक्ता उचित मूल्य की दुकानों तक सहज और सुगमता से पहुंच रहे और लगभग 4 हजार नागरिकों को नियमित राशन प्राप्त हो रहा है। इस मार्ग के दायरे में आने वाले स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रतिदिन लगभग 500 रोगी अपने इलाज के लिए पहुंच रहे है।