भिखारी पकड़ता इंदौर प्रशासन और अधिकार माँगता भिखारी संगठन
रवीन्द्र व्यास
मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा आबादी वाला जिला इंदौर इन दिनों भिखारियों के कारण चर्चा में है | बड़ा व्यावसायिक केंद्र होने के साथ यहाँ भिखारियों को भी अच्छी आमदनी का जरिया शायद नजर आने लगा | इसी आशा में देश प्रदेश के भिखारी यहां अपनी आय बढ़ाने के लिए पहुँचते हैं | ऐसे ही एक आंध्र प्रदेश के करनूल से आये भिखारी को जिला प्रशासन की टीम ने पकड़ लिया | भिक्षुक महोदय बाकायदा स्लीपर कोच से रिजर्वेशन कराकर इंदौर आया था , अच्छी आय देख कर यहीं रुकने का मन भी बना लिया तभी प्रशासन ने उसके अरमानो पर पानी फेर दिया |
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह सरकार के नियमों का पालन कर रहे हैं | वे ऐसे लोगों पर कार्यवाही कर रहे हैं जिनने भिक्षावृत्ति को आय का प्रमुख स्रोत बना लिया है। सरकार की मंशा है और प्रशासन की इक्षाशक्ति है तो भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है,| जिसमे लगभग 400 भिक्षुकों को पकड़ कर उज्जैन के सेवाधाम भेजा जा चुका है | | अब इसी अभियान में ऐसे भिखारियों की धर पकड़ लगातार जारी है | इस मामले में प्रशासन की सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि १ जनवरी से अगर भीख मांगते पकडे गए तो जेल की हवा खानी पड़ेगी | पकडे जाने वाले भिखारियों के पास से मिलने वाले पैसे एक अलग कहानी कह रहे हैं | इंदौर को भिक्षा वृत्ति मुक्त शहर घोषित कराने के लिए लगातार रेस्क्यू अभियान चला रहे हैं |
26 दिसंबर को दिनेश मिश्रा महिला बाल विकास अधिकारी की टीम ने हाई कोर्ट के समीप मस्जिद के पास एक महिला को भिक्षावृत्ति करते हुए पकड़ा | महिला की जांच में मिले सामान और पैसे को देख कर सभी दंग रह गए | महिला जो बैग लिए थी उसमे 30 से 40 पैसों से भरे पर्स रखे हुई थी | जब मिली धनराशि को गिना गया तो यह राशि 45000 के लगभग थी | पहले भी रजवाड़े में एक महिला के पास 75000 की राशि एवं एक के पास 29000 की राशि और एक के पास 20000 की राशि प्राप्त हुई थी|
इंदौर कमिश्नर ऑफिस कैंपस में कर्नूल आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति को भीख मांगते पकड़ा गया | उसकी जांच में भी दल के सदस्य हैरान रह गए | भिखारी के पास से ₹20000 नगद मिले , उसके पास से रेलवे रिजर्वेशन की टिकट भी मिली | वह बाकयादा रिजर्वेशन करके इंदौर आता जाता है ।उसके पास रेलवे का एक पास भी मिला जो कर्नूल का था | रेलवे रिजर्वेशन के के कई फॉर्म भी मिले | हालंकि उसके पास वापसी का रिजर्वेशन २५ दिसंबर का था ,| २६ दिसंबर को जब वह पकड़ा गया तो उसने बताया कि यहाँ कमाई अच्छी है इसलिए यहीं रुकने का फैसला किया था |
भिखारी संगठन
इंदौर कलेक्टर के भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने के अभियान से शहर के भिखारी नाराज हैं | नाराज लोगों कलेक्टर कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया जो देर शाम तक चलता रहा । प्रदर्शनकारियों ने मांग है कि भिक्षा मांगने की अनुमति दी जाए या उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी ली जाए। पेंशन के नाम पर दिए जा रहे 600 रुपए के स्थान पर प्रति माह 5 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाए । इसके लिए जागरूक भिखारियों ने अन्य राज्यों का उदाहरण भी दिया | आंध्र प्रदेश में 6 से 15 हजार रुपए, दिल्ली और हरियाणा में 3 हजार रुपए, और महाराष्ट्र में 4 हजार रुपए मासिक सहायता दी जाती है। भिक्षावृत्ति का कार्य करने वाले इन लोगों को समाज के कुष्ठ निवारण संघ , दिव्यांग संघ के कुछ लोगों का सहयोग भी मिला |कलेक्टर आशीष सिंह ने साफ़ कह दिया है कि भिक्षावृत्ति की अनुमति नहीं मिलेगी | निसहाय और जरूरतमंद लोगों के लिए सेवाधाम उज्जैन में इलाज और रोजगार के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। हातोद के पास पितृ पर्वत क्षेत्र में कुष्ठ रोगियों को घर और खेती के लिए जमीन भी दी गई है।
प्रदेश में भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए लगभग ५० वर्ष पहले कानून बना था | मप्र भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम-1973 का यह कानून प्रदेश के सिर्फ इंदौर और उज्जैन में ही प्रभाव शील है | वैसे भी एम् पी अभी भिक्षावृत्ति के मामले में देश में सिर्फ पांचवी पायदान पर है | भिक्षावृत्ति के कारोबार को रोक कर सरकार ऐसे कई गिरोहों पर भी नियंत्रण पा सकती है जो गिरोह बना कर मासूम बच्चों का अपहरण कर उन्हें इस कारोबार में डालती है |