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मनुष्य जन्म दुःख की जड़ – आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरीजी म.सा. रविवार को सुबह युवा शिविर, दोपहर में चेन्नई के लिए विहार
अरुण त्रिपाठी
रतलाम, 04 जनवरी ;अभी तक ; आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में शनिवार को मोहन टाकिज में ‘‘मिनिंगफुल लाईफ’’ विषय पर तीन दिवसीय प्रवचन सम्पन्न हो गए। 5 जनवरी को सुबह रविवारीय युवा शिविर का आयोजन होगा। दोपहर में 3.30 बजे आचार्य श्री सेठ जी का बाज़ार स्थित आगमोद्धारक भवन से आगामी चातुर्मास हेतु चेन्नई के लिए विहार करेंगे।
शनिवार को आचार्य श्री ने मोहन टाकीज में मिनिंगफुल लाईफ विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि मनुष्य का जन्म दुःख की जड़ है। जन्म से शरीर मिलता है। शरीर को बीमारी और बीमारी से बुढ़ापा और बुढ़ापे के बाद मौत आती है। मौत का कारण बुढ़ापा, बुढ़ापे का कारण बीमारी और बीमारी का कारण शरीर और शरीर का कारण यह जन्म है, जो सारे दुःख खड़े करता है। मनुष्य के लिए जन्म निन्दनीय बताया गया है लेकिन इसे वंदनीय बनाया जा सकता है।
आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य जीवन को वंदनीय बनाने के लिए सम्यक दर्शन प्राप्त करना होगा। एक बार सम्यक दर्शन मिल जाए तो मोक्ष मिलना निश्चित हो जाता है। जिस प्रकार दीपक लेकर कहीं जाओं तो उजाला ही उजाला होता है वैसे ही सम्यक लेकर जाने पर जीवन प्रकाशवान हो जाता है। हमारे जीवन में सम्यक आया या नहीं इसकी पहचान करना हो तो सत्य और स्नेह के दर्शन होना जरूरी है। जड़ पदार्थों के प्रति सत्य का भान और जीव पदार्थों के प्रति स्नेह होना सम्यक का प्रतीक है।
आरंभ में मुनि श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी म.सा. एवं श्री पदमचंद्र सागरजी म.सा. ने भी प्रवचन दिए। इस अवसर पर आचार्य श्री द्वारा स्थापित पुन्याश्रावक सामायिक ग्रुप द्वारा सामायिक का आयोजन भी किया गया। इसमें गुरू भक्तों ने एक घण्टें सामायिक की। आचार्य श्री की निश्रा में 5 जनवरी को मोहन टाकीज में ‘‘पॉवर ऑफ पीस’’ विषय पर रविवारीय युवा शिविर का आयोजन होगा। इसमें 15 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हो सकेंगे। शिविर के मुख्य लाभार्थी हीरालाल श्रैणिक कुमार शर्राफ रहेंगे।