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श्री केशव सत्सग भवन खानपुरा में श्रीमद् भगवद् गीता का सामूहिक मूलपाठ हुआ
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ११ दिसंबर ;अभी तक ; श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में अगसुदी एकादशी 11 दिसम्बर को गीता जयंती पर्व पर व्यासपीठ पर विराजित परम पूज्य स्वामी डॉ. नारायणजी वृन्दावन के सानिध्य में श्रीमद् भगवद गीता संस्कृत 18 अध्याय का मूल पाठ किया गया। पाठोपरान्त गीता ग्रंथ का पूजन आरती की गई। परम पूज्य स्वामी आत्मानन्दजी सरस्वती महाराज रतलाम एवं परम पूज्य स्वामी राजेश्वरानंदजी हरिद्वार का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
डॉ. स्वामीनारायणजी ने गीता को समस्त प्राणियों में समभाव की प्रेरणा देने वाला वैश्विक ग्रंथ बताते हुए कहा कि भगवान कृष्ण महाभारत युद्ध के समय निजी कर्तव्य कर्म से उपराम-उदास-निराश अर्जुन को अपने कर्तव्य कर्म पर आरूढ़ होने के लिये भगवान कृष्ण का वह प्रेरक ग्रंथ है। आवश्यकता आज भारत की सम्पूर्ण विश्व अनुभव कर रहा है।
विश्व में आज गीता का अध्ययन स्वाध्याय कराया जा रहा है। विश्व मे वर्तमान में युद्ध की जो विभिषीका है उससे उबरने में यदि कोई सहायक हो सकता है वह है एक मात्र गीता।
संसार में रहते हुए जिसकी बुद्धी हर पल भगवान में लगी रहती है फिर उससे कोई गलत काम नहीं हो सकता इसलिये भगवान ने गीता में धन सम्पत्ति सम्पदा आदि कोई भौतिक वस्तु देने की नहीं कहकर ‘‘ददामि बुद्धी योगम्’’ बुद्धी देने की कहा है।
उपस्थित रहे- अध्यक्ष जगदीशचन्द्र सेठिया, कोषाध्यक्ष मदनलाल गेहलोद, ट्रस्टी बंशीलाल टांक, आर.सी. पंवार, पुरूषोत्तम गोयल, शिवनारायण पंडित, प्रवीण देवड़ा, मदनलाल गेहलोत, प्रदीप देवड़ा, निरंजन गेहलोत, कमल देवड़ा, मांगीलाल सोनी, विनोद सोनी, जगदीश भावसार, पुरूषोत्तम गोयल आदि।
डॉ. स्वामीनारायणजी ने गीता को समस्त प्राणियों में समभाव की प्रेरणा देने वाला वैश्विक ग्रंथ बताते हुए कहा कि भगवान कृष्ण महाभारत युद्ध के समय निजी कर्तव्य कर्म से उपराम-उदास-निराश अर्जुन को अपने कर्तव्य कर्म पर आरूढ़ होने के लिये भगवान कृष्ण का वह प्रेरक ग्रंथ है। आवश्यकता आज भारत की सम्पूर्ण विश्व अनुभव कर रहा है।
विश्व में आज गीता का अध्ययन स्वाध्याय कराया जा रहा है। विश्व मे वर्तमान में युद्ध की जो विभिषीका है उससे उबरने में यदि कोई सहायक हो सकता है वह है एक मात्र गीता।
संसार में रहते हुए जिसकी बुद्धी हर पल भगवान में लगी रहती है फिर उससे कोई गलत काम नहीं हो सकता इसलिये भगवान ने गीता में धन सम्पत्ति सम्पदा आदि कोई भौतिक वस्तु देने की नहीं कहकर ‘‘ददामि बुद्धी योगम्’’ बुद्धी देने की कहा है।
उपस्थित रहे- अध्यक्ष जगदीशचन्द्र सेठिया, कोषाध्यक्ष मदनलाल गेहलोद, ट्रस्टी बंशीलाल टांक, आर.सी. पंवार, पुरूषोत्तम गोयल, शिवनारायण पंडित, प्रवीण देवड़ा, मदनलाल गेहलोत, प्रदीप देवड़ा, निरंजन गेहलोत, कमल देवड़ा, मांगीलाल सोनी, विनोद सोनी, जगदीश भावसार, पुरूषोत्तम गोयल आदि।