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श्री प्रेम प्रकाश आश्रम के वार्षिक महोत्सव में संतों के दर्शन व सत्संग  का अमृत रसपान

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २० नवंबर ;अभी तक ;   सनातन सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ की मंदसौर शाखा श्री प्रेमप्रकाश आश्रम का 15वां वार्षिक महोत्सव हर्षाेल्लास उमंग के साथ महामंडलेश्वर सतगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। महोत्सव में नगर व समीप जिलों एवं विदेश से भी आप श्री के अनुयायी बड़ी संख्या में पधारे।

अंतिम दिवस शाम को मालवा की सुहानी ठंड में आश्रम परिसर में ‘‘खंडू ग्राम’’ से प्रेमी संगत से खचाखच भरा हुआ था। सभी श्रद्धालु स्वयं को अनोखी अनिर्वचनीय दिव्य भक्तिभाव में डूबे हुए महसूस कर रहे थे। मंद-मंद मदमाती मुस्कान से पूज्य गुरुवर ने श्रद्धालु व प्रेमियों को स्नेहमयी निगाह से जब निहारा तो जैसे बैकुंठ मिल गया हो, ऐसा प्रतीत होने लगा। पूज्य सतगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज का यह दो दिवसीय विराट भक्ति ज्ञान यज्ञ समारोह के  सत्संग में पूज्य गुरूवर ने अपने श्री मुख से भजनों के माध्यम से गुरू महिमा का ऐसा सजीव चित्रण सुनाया कि खचाखच भरा सत्संग सभागार जिसका नाम ‘‘खण्डू’’ के नाम से किया गया था वह तालियों की करताल से गूंज उठा। आपश्री ने श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थ के भोगों पर भजन –
“हीअ अमरापुर जी बाणी आ
हीअ अमृत रस जी खाणी आ
थीन्दी अंग संग तहिं सां साणी आ
जेको बाणीअ जो थो पाथु करे।
जेको पाठु ग्रंथ जो रखाए थो
ऐं प्रखर प्रेम सां पाए थो
श्रद्धा सां सीसु झुकाए थो
सचो सतगुर तिन ते महर करे।” सुनाया।
उक्त आशय की जानकारी श्री प्रेम प्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने बताया कि सद्गुरू ने कहा कि मनुष्य प्रत्येक कर्म का कर्ता व स्वयंम है।आपके जीवन में लाभ हानि जन्म व मृत्यु परमात्मा के हाथ में है किन्तु यश अपयश आपके हाथ में है और वह आपके प्रारब्ध में लिखा है इसलिए हे महामानव अपना किमती समय मत गंवाओ ओर मन नाम स्मरण में लगा।व
अज्ञान मनुष्य को दुःख ही प्रदान करती है। पृथ्वी पर हर जीव में आत्मशक्ति होती है किन्तु केवल मनुष्य प्राणी को ही विवेक शक्ति प्राप्त है। आपके जीवन में आपने परम परमात्मा व गुरू के नाम स्मरण को भुला दिया है। इसलिये मनुष्य जीवन में दुखी है। यश अपयश आपके हाथ में नहीं है यह सब आपके प्रारब्ध में है। आप श्री ने कहा कि केवल ख्याल करने से आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते किन्तु संकल्प करके कुछ करेंगे तो आपकी सफलता निश्चित है। आपको यह मनुष्य जीवन मिला है जो दुर्लभ है।
इस दौरान दूसरी बादशाहत सतगुरू सर्वानन्द महाराज का 128वां पावन जन्मोत्सव मनाया गया केक पसाउ आरती व 56 भोग का नैवेध लगाया गया।
सतगुरू स्वामी सर्वानन्द महाराज का 128वां पावन जन्मोत्सव की छटा भी अद्भूत रही। जिसमें सर्वानन्द महाराज के स्वरूप को सुन्दर सजाकर सैकड़ों प्रकार के व्यंजनों का 56 भोग के लिये पूर्ण श्रद्धा भक्ति भाव से रखे गये । ‘‘मेरे सतगुरू भोग लगाओ, मेरे गुरूवर भोग लगाओ’’ भजन गाते हुए भोग प्रसादी स्वीकारने को भावभरा आग्रह किया।  और गुरू महाराज ने सर्वानंद महाराज को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि सर्वानंद महाराज की अपने पूर्ण गुरू सतगुरू टेऊँरामजी महाराज के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास, समर्पण था। उसी विश्वास का यह वट वृक्ष प्रेमप्रकाश फल फूल रहा है।
अंत में ज्ञान, यज्ञ, शक्ति के समागम का समापन सद्गुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज ने अपने मुखारविंद से पल्लव विशेष अरदास
“आशवंदी गुर तो दरि आई, तुम बिन ठौर न काई ।
तूं हरि दाता तूं हरि माता, मेरी आश पुजाईं।
पाइ पल्लउ मैं पेर पियादी, आयसि हेत मंझाई।
तन मन धन अर्दास करे मैं, मांगत नामु सनेही ।
नाम तुम्हारा साबुन करिसां, धोसां पाप सभेई ।”
कहे टेऊँ गुर लोक तीन में, आवागमन मिटाईं ।
पाकर किया।
मालवा अंचल के प्रसिद्ध ढोलों की थाप पर उपस्थित संगत ने
‘‘जी ये साई जिये मुहिजो साई टेऊराम खंडू वालों जिये’’
के सुन्दर भजन पर भावपूर्ण नृत्य कर गुरु कि खुशियां हासिल की। महिला एवं पुरुष मण्डली संगत ने सांई टेऊँराम महाराज की परम्परा का पालन करते हुए समर्पण भाव से सेवा करते हुए सत्संग, लंगर प्रसादी का खुब आनंद लेकर अपने आपको धन्य महसूस कर जीवन में सकारात्मक वातावरण की अनुभूति प्राप्त की। सतगुरु स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज, संत मण्डल एवं संगत का आभार प्रदर्शन संत श्री शम्भूलाल प्रेम प्रकाशी एवं महिला मण्डली प्रमुख पुष्पा पमनानी व पुरुषोत्तम शिवानी ने प्रकट किया।

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