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श्री हनुमंत कथा के षष्ठम दिवस सीता स्वयंवर की कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए धर्मालुजन, आज होगा कथा का समापन
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ३ जनवरी ;अभी तक ; प.पू. हनुमान भक्त पं. दिलीपजी व्यास के मुखारविंद से नरसिंहपुरा स्थित कुमावत धर्मशाला में सात दिवसीय संगीतमय श्री हनुमंत कथा हो रही है। कल पं. दिलीपजी व्यास ने हनुमंत कथा में भगवान श्री राम व माता जानकी के विवाह का प्रसंग श्रवण कराया। श्री हनुमंत कथा में सीता स्वयंवर व रामजी के द्वारा भगवान परशुराम का धनुष भंग (तोड़ने) की कथा श्रवण कराई गई।
पं. दिलीपजी के मुखारविंद से जैसे ही सीता स्वयंवर अर्थात राम जानकी विवाह का प्रसंग श्रवण कराया गया कथा पंडाल में श्री राम व माता जानकी के जयकारे गूंज उठे। पं. दिलीप ने कथा में कहा कि विश्वामित्र के सानिध्य में राम व लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे वहां सीता के स्वयंवर में उन्होंने गुरू आज्ञा से सहभागिता की। सीता स्वयंवर में कई शक्तिशाली राजा महाराजा भगवान परशुराम के धनुष को उठा नहीं सके तब गुरू की आज्ञा पर रामजी ने धनुष उठाकर उस पर पत्यन्चा चढ़ानी चाही लेकिन धनुष भंग (टूट) हो गया। भगवान परशुराम का यह धनुष राजा जनक के पास था। उन्होंने इस धनुष की महिमा के कारण उसे सीता स्वयंवर में रखा था भगवान परशुराम को यह धनुष भगवान शिव ने उनकी तप तपस्या से प्रसन्न होकर प्रदान किया था। सीता स्वयंवर में जब यह धनुष भंग हो गया तब अचानक परशुराम वहां पहुंचे और उन्होंने सभी क्षत्रियों को ललकारा तब भगवान श्रीराम ने अपनी विनम्रता से उनके क्रोध को शांत किया और स्वयंवर जीतकर सीता को वरमाला पहनाई। पं. दिलीपजी व्यास ने जैसे ही यह प्रसंग श्रवण कराया कथा पंडाल में राम सीता बनी दो युवतियों को लाया गया और उन पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
पं. दिलीपजी व्यास ने श्री हनुमंत कथा में यह भी कहा कि विवाह योग्य युवक युवतियों को मर्यादाओं का पालन करना चाहिये। जब तक जीवन में मर्यादा है तब तक व्यक्ति का सम्मान बना रहता है। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिये कहते है क्योंकि उन्होंने जीवन भर मर्यादाओं का पालन किया। गुरूकुल में गुरू आज्ञा का, अयोध्या में माता पिता की आज्ञा का पालन किया। आपने कहा कि राम जब जनकपुरी नगरी पहुंचे तो वहां भी उनका आचरण मर्यादा के अनुकुल था। रामचरितमानस में प्रसंग है कि राम व सीता का जनकपुरी के उद्यान में विवाह के पूर्व सम्पर्क हुआ था। लेकिन उस समय राम व सीता जो कि दोनों विवाह के योग्य थे। उन्होनंे मर्यादित आचरण किया। यह प्रसंग प्रेरणा देता है कि युवक युवतियों को जीवन में मर्यादा का पालन करना ही चाहिये।
इन्होंने किया पौथी पूजन व आरती-
श्री हनुमंत कथा के पंचम दिवस शुक्रवार को स्वदेशी जागरण मंच के महेन्द्रसिंह राजावत, अंकुश पालीवाल, अभिजीत मण्डलोई, सतीश बैरागी, जितेन्द्र पाटीदार, कनिष्क शर्मा, उदित जैन, दिलीप चौधरी, पूजा ठाकुर, मीनाक्षी पंवार, रेखा जोशी, पूर्व सैनिक परिषद के प्रहलाद राठौर, जितेन्द्र माली, नरेन्द्र खटवड़, विकास ग्वाला, रामचन्द्र हरवा, छोटूराम बाथरा, भेरूलाल कराड़िया, श्रीराम सेना के कुणाल श्रीवास्तव ने पौथी पूजन किया। श्री हनुमंत कथा के षष्टम दिवस शुक्रवार की शाम को भाजपा उत्तर मण्डल अध्यक्ष अरविन्द सारस्वत, कांग्रेस नेता महेन्द्रसिंह गुर्जर, तरूण खीची, वरिष्ठ पत्रकार अजय लोढ़ा, पूर्व पार्षद बाबा पंचोली, श्याम सखा मित्र मण्डल के शैलेन्द्र राठौर, मुकेश सेठिया, प्रीतम जैन, विष्णु परिहार एवं कुमावत समाज के प्रबुद्धजनों ने पौथी पूजन किया। आज 4 जनवरी शनिवार को सायं 4 बजे श्री हनुमंत कथा का समापन होगा।