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संयम जीवन की अनुमोदन करना पूण्य का कार्य- आचार्य श्री जिनसुंदरसूरिश्वजी

महावीर अग्रवाल 
 मंदसौर ३० नवंबर ;अभी तक ;   मानव जीवन में जब भी धर्म के कार्य में लाभ लेने का अवसर मिले तो उसे चुका मत, जो लोग धर्म के कार्य में अग्रणी रहने का अवसर लेते है वे पुण्यशाली व भाग्यशाली होते है। जीवन में संयम लेना कठिन कार्य है लेकिन संयम की अनुमोदना करना सरल है, ऐसा ही पुनीत अवसर दिनांक 11 से 15 दिसम्बर तक मंदसौर आ रहा है। मंदसौर के भाग्यशाली लोगों को इस पुनीत अवसर का धर्मलाभ लेना चाहिये।
                                                उक्त उद्गार प.पू. जैन संत आचार्य श्री जिनसुंदर सूरिश्वरजी म.सा. ने आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने शनिवार का यहां धर्मसभा ने कहा का दिक्षा के प्रसंग पर धर्मालुजनों को बड़चड़कर धार्मिक क्रिया कलापों में धर्मलाभ लेना चाहिये। दीक्षा महोत्सव में बाहर से हजारों की संख्या में विभिन्न श्रीसंघों के प्रतिनिधि आयेंगे। उनका आतिथ्य सत्कार हो ताकि मंदसौर के आतिथ्य सत्कार की चहु और हो ऐसा सभी को प्रयास करना चाहिये। आपने कहा कि जो भी महानुभाव व माता बहने दीक्षा प्रसंग के साक्षी बनते है वे भी भाग्यशाली होते है। भले ही संयम नहीं ले लेकिन संयम की अनुमोदना का अवसर हमें मिला है उसका भी अपना महत्व है। आपने कहा कि इस मनुष्य भव में हम इतना पुण्य जरूर अर्जित कर ले कि हमें नाटक, तीरयन्च पशु गति न मिले। जीवन में हम यदि पुण्य कमायेंगे तो वह अवश्य ही अगले भव में ही हमारे काम आयेगा। जीवन में हमें पुण्य को बचाना है, पुण्य को बड़ाना है यदि हम यह करते है तो अपने ही मनुष्द्यय भव को सार्थक करेंगे। धर्मसभा का संचालन दिलीप रांका ने किया।
                                             प्रतिदिन हो रहे है प्रवचन- आचार्य श्री के श्रीसंघ सहित पधारने के बाद प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक आराधना भवन मंदिर के हाल में प्रवचन हो रहे है। धर्मालुजन प्रवचन श्रवण कर धर्मलाभ ले।

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