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सद्गुरु की शरण जीवन मे सकारात्मकता भर देती है-आचार्य श्री रामनुजजी
महावीर अग्रवाल
मंदसौर ५ जनवरी ;अभी तक ; । श्री हरिकथा आयोजन समिति द्वारा मन्दसौर के रुद्राक्ष माहेश्वरी भवन में आयोजित रामकथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ पर विराजित आचार्य श्री रामनुजजी जी महाराज ने कहा कि मन की दुविधा समाप्त नही होगी तब तक परम् की यात्रा की दिशा में गति नही हो पाती। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत,सन्मार्ग और कुमार्ग की और हमारा मन ही हमे ले जाता है। ऐसे में सद्गुरु की शरण मिल जाये तो उनकी साधना हमारे जीवन मे सकारात्मकता को भर देती है।
आचार्य श्री ने कहा की गुरु का अर्थ है जो विशाल हो जिनके व्यक्तित्व के सामने हम नगण्य है, गुरु की करुणा ही इस जलते हुए संसार मे शीतलता प्रदान करती है। शिष्य का अर्थ होता है जो शून्य की और गति कर सकता है जिसमे अहंकार, राग द्वेष ना हो यदि गुरु से कुछ पाना चाहते हैं तो अपने बंधनो को छोड़कर निकलने का प्रयास कीजिये आप कब शिष्य से गुरु बन जाओगे पता भी नही चलेगा। जहां पर व्यक्ति खुद को समाप्त करता है तभी गुरु हाथ पकड़ लेता है गुरु कृपा इसे ही कहते हैं। गुरु पद पाने की जगह है वह परम है उसे नाप नही सकते एक सूक्षम सद्गति गुरु के वचनों से होती है। गुरु एक ऐसी पारसमणी है वह जिसे छू ले उसे गुरु बना देता है ।
आपने कहा कि अपने इष्ट के नाम पर वे लोग लड़ते हैं जिन्होंने अपने इष्ट को महसूस ही नही किया क्योंकि जिस दिन अपने इष्ट को पहचान लिया लड़ना बंद कर देंगे। यदि आप राम को मानते हैं तो आपके प्यार में इतनी शक्ति तो होनी चाहिए कि राक्षसो को भी देव बना सके।
हम अपने आप का निज दर्शन करें हम शबरी जैसे है, लक्षमण जैसे है या रावण जैसे है। जहा संवाद है वहा समझना वहां साधना है। उसमे संगीत,गीत होता है। अपने इष्ट की गुरु की स्मृति में आंसू हो तो समझना साधना हों रही है। गुरु की रज सूक्ष्म में जब शिष्य के अंतर्मुख में प्रवेश करता है तो राम और कृष्ण निकलते हैं।
आचार्य श्री ने लिव इन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने राधा को केवल महसूस किया था। कृष्ण की करुणा को राधा नें पाया था इसलिए कृष्ण के द्वारिका जाने पर , रुक्मणि से विवाह करने पर राधा ने कोई उलाहना नही दिया क्योंकि उसने कृष्ण के विशाल सत्य को देखा था। उसे भरोसा था कृष्ण भले ही द्वारिकानाथ हो जाये लेकिन वह कल भी मेरे साथ नाचता था आज भी नाचेगा।
आचार्य श्री ने कहा कि जीवन मे कभी भी गुरु को नापने की कोशिश मत करना बल्कि प्रयास करना गुरु की रज आपके अंदर प्रवेश कर ले यदि ऐसा हुआ तो आप हनुमान को पा लेंगे। आपने कहा कि रामचरित मानस में गुरु को सात नामो से पुकारा गया। आपने कहा कि जो आचरण से पुनीत होते है उन चरणों को प्रणाम किया जाता है। जिन चरणों मे आचरण हो तो समझना सद्गुरु प्रकट हुए हैं सद्गुरु को पाना है तो स्वयं को मिटाना पड़ेगा।
धर्म के प्रति मंदसौर वासियों की अटूट श्रद्धा
आचार्यश्री ने कहा कि मन्दसौर के श्रद्धालुओ की श्रद्धा अटूट है। आपने तलाई वाले बालाजी मंदिर प्रांगण में हुइं कथा का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उस कथा के मंडप में सफाई के इंतजाम आयोजको ने किए थे लेकिन फिर भी श्रद्धालु प्रतिदिन जल्दी आकर आपने हाथ से सफाई करते थे उनका मानना था जहां रामभक्तो की चरण पड़ी उसे माथे पर लगाने से परमात्मा मिल जाएगी। मंदसौर वासियो की आस्था अटूट है।
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इन्होंने किया पोथी जी का पूजन
द्वितीय दिवस पोथीजी का पूजन हरिकथा आयोजन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल,महासचिव सुरेश सोमानी,कोषाध्यक्ष सत्यनारायण छापरवाल,,संयोजक मोहनलाल शर्मा जांगिड़, ब्रजेश जोशी, सहसंयोजक हरीश गर्ग केडिया,गौरव रत्नावत एडव्होकेट,
द्वितीय दिवस की कथा के मुख्य लाभार्थी परिवार वैकुंठवासी श्रीमती संतरादेवी गर्ग की भाव स्मृति में सूरजमल गर्ग,सुशीला महेंद्र गर्ग,ममता सुभाष गर्ग,पूजा मुकेश गर्ग,आस्था प्रिंस गर्ग,शुभी अमन गर्ग एवं गर्ग परिवार, द्वितीय दिवस भोजन प्रसादी के लाभार्थी वैकुंठवासी श्री गोरधन दास कलावती देवी पारिख जीवासेठ की भाव स्मृति में त्रिभुवन दास पारिख, नितिन पारिख, डॉ गोविंद छापरवाल,कैलाश छापरवाल,सुनील छापरवाल,निर्मल छापरवाल, मधुसूदन छापरवाल परिवार, राजेन्द्र मूंदड़ा परिवार,हरीश काबरा परिवार,गणेश सोनगरा परिवार,मंजू गर्ग,अमिता गर्ग के साथ लक्की ड्रा की विजेता मातृशक्ति समेत गणमान्य जनों ने किया।
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इन्होंने लिया आरती का लाभ
रामकथा के द्वितीय दिवस पूर्व सिविल सर्जन डॉ एस एस वर्मा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष कारूलाल सोनी,समाजसेवी ओमजी चौधरी,संजय पारिख,विजय पलोड़, कमल कोठारी, मोहनलाल गोयल श्रीमती कैलाश बाई गोयल,गोविंद गोयल मामाजी, समेत गणमान्य जनों ने लिया। द्वितीय दिवस की प्रसादी का लाभ सीतादेवी राजमल गर्ग परिवार ने लिया।