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हंडिया बाग गौशाला गायों के गोबर और गो नित्र से वस्तुओं का निर्माण कर बन रही आत्मनिर्भर

महावीर अग्रवाल
मंदसौर 2 जनवरी ;अभी तक ;   मंदसौर के सीतामऊ शहर में स्थित हंडिया बाग गौशाला गायों के गोबर और गोनित्र से निर्मित वस्तुओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। इस गौशाला की मुख्य विशेषता यह है कि यहां पर दुर्घटनाग्रस्त एवं निराश्रित गोवंश को रखा जाता है। गौशाला में लगभग 584 से ज्यादा गोवंशों को रखा जा रहा है। इन गोवंशों की न सिर्फ यहां अच्छी देखभाल की जाती है बल्कि घायल गोवंशों को लाने के लिए गौ एंबुलेंस भी यहां उपलब्ध है। 100 किलोमीटर के दायरे में जहां भी गाय दुर्घटना की खबर मिलती है, गौशाला के कर्मचारी तुरंत एंबुलेंस लेकर पहुंचते और पीड़ित गाय को हंडिया बाग गौशाला में ले आते है और गायों के इलाज के लिए एक आईसीयू वार्ड भी बनाया गया है जहां गंभीर और घायल गोवंशों का इलाज किया जाता है, प्राथमिक चिकित्सक के द्वारा गोशाला में गाय का उपचार किया जाता है।
                                            गौशाला के संचालक संजय “लाला” जाट बताते हैं कि गौशाला के लिए श्री अर्जुन पाटीदार द्वारा गोवंश के अपशिष्ट से उत्पाद बनाने की नागपुर, वर्धा (महाराष्ट्र), इंदौर एवं कच्‍छ जाकर ट्रेनिंग ली गई है और अब इससे सुंदर कलाकृतियां बनाई जाती है। इस गौशाला की महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि गौ सेवक अर्जुन पाटीदार अब गौशाला के माध्यम से रतलाम, जबलपुर मध्य प्रदेश के अन्य जिलों और अन्य राज्यों के किसानों को सामग्री निर्माण का प्रशिक्षण देते हैं।
                                      गौशाला में गायों के गोमूत्र और गोबर से ऐसे सुंदर दैनिक जीवन में उपयोगी वस्तुएं बनाए जाते हैं जिनकि डिमांड बाजार में बनी रहती है। गोमूत्र से फिनायल बनाया जाता है। साबुन बनाए जाते हैं,, वहीं गोबर से अगरबत्ती, धूप बत्ती, पेन स्टैंड, घड़ियां, दीपक, मूर्ति, गौ शक्ति मंजन, कैश तेल, फेश वॉस, केश निखार, उबटन, धूप बत्ती, नस्य, नेत्र बिन्दु, कर्ण बिन्दु, मालीश तेल, आसव, नारी संजीवनी, त्रिफला चूर्ण, मलहम, गौशक्ति च्यवनप्राश, गौनाईल, कृषि हेतु किट नियंत्र, गो कृपा अमृतम, केंचुआ खाद समेत कई कलाकृतियां बनाई जाती है।
                                      इन सुंदर कलाकृतियों की बाजार में अच्छी डिमांड है और गौशाला को इससे आय भी हो रही है। गौशाला में निर्मित सामग्री के विक्रय के लिए सीतामऊ एवं दलोदा में पंचगव्य उत्पाद केंद्र की स्थापना की है। अब आसपास की गौशाला के संचालक भी इस गौशाला से संपर्क कर रहे हैं और इस गौशाला के संचालक उन्हें भी नि:शुल्क तकनीकी सहायता और मदद ट्रेनिंग उपलब्ध करवा रहे हैं ।
गौशाला में उत्पादित होने वाला दूध सीतामऊ अस्पताल में प्रसूति महिलाओं को निःशुल्क दिया जाता है। इसके साथ ही कुपोषित बच्चे एवं अनाथ व्यक्तियों को गौशाला से नि:शुल्क दूध दिया जाता है। गौशाला में पुस्तकालय का भी निर्माण किया जा रहा है। जहां पर गायों से संबंधित जितने भी शास्त्र हैं उनको रखा जाएगा, जिससे कोई भी इच्छुक व्यक्ति आकर उनका अध्ययन कर सके। गौशाला में सोलर पैनल लगाने की भी योजना बनाई जा रही है। जिससे इनका मानना है कि गौशाला में खर्च होने वाली बिजली का उत्पादन स्वयं करेंगें तथा बिजली में भी आत्मनिर्भर बनेंगें।
गौशाला संचालक और कार्यरत कर्मचारियों का यह मानना है कि अगर इस तरह से गौ अपशिष्ट से उत्पाद बनाने की प्रवृत्ति इलाके के लोगों में आ जाए तो गोवंश किसी के लिए बोझ नहीं होगा, बल्कि इन उत्पादों के जरिए गोवंश की अपशिष्टों से सुंदर कलाकृतियां बनाई जा सकती है। गोबर से बनी धूप बत्तियां, अगरबत्तियां और फिनायल की बाजार में खास डिमांड है। अब यह गौशाला बड़े स्तर पर इनका विपणन करने की प्लानिंग कर रही है, जिससे आसपास की गौशालाओं के उत्पाद को भी बाजार मिल सके। इस गौशाला द्वारा किए जा रहे कार्य बहुत ही सराहनीय है और इससे यह गौशाला अपने आप में आत्मनिर्भर बनती जा रही है।

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