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अनुभव क्षेत्र से अभ्यारण बनाने की कवायद बाघ के संरक्षण की बजाय उद्योगपतियों के संरक्षण में तब्दील

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ३१ जुलाई ;अभी तक; बालाघाट जिला अपनी अकुत खनिज एवं वन सम्पदा के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है।  कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कारण ही वैश्विक स्तर पर जिले की पहचान बन चुकी है। जिले में दक्षिण वन मंडल सामान्य के अंतर्गत लालबर्रा एवं वारासिवनी वन परिक्षेत्र में स्थिति सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र घोषित किया हुआ है जहां बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों को संरक्षित किया जा रहा है।

सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र को अभ्यारण में परिवर्तित करने के लिये शासन स्तर पर प्रयास प्रारंभ किये गये थे जिसके लिए आम सहमति बनाये जाने की दिशा पहल कि गई थी। लेकिन खनिज माफियाओं के दबाव और राजनैतिक अडंगेबाजी के चलते अनुभव क्षेत्र से अभ्यारण बनाने की कवायद बाघ के संरक्षण की बजाय उद्योगपतियों के संरक्षण में तब्दील हो चुकी है। अभ्यारण बन जाने से जहां बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण में मदद मिलेगी तो वहीं जिले में पर्यटन बढाने के लिये एक और विकल्प मिलेगा।
सोनेवानी वन क्षेत्र का इतिहास 160 साल पुराना है या ऐसा एकमात्र वन क्षेत्र है जहां रोपित और मिश्रित वन लगा हुआ है। वर्ष 2015 में इसे बाघ, तेंदुआ, बायसन जैसे वन्य प्राणी की अधिकता के कारण वन्य प्राणी क्षेत्र घोषित किया गया था। इस वन्यप्राणी अनुभव क्षेत्र के अंतर्गत 3 गांव महत्वपूर्ण माने गए है जिनमें सोनेवानी,चिखलाबड्डी और नवेगांव है जिनमें 400 से अधिक ग्रामीण स्वयं विस्थापित होना चाहते है। उनकी मांग को शासन प्रशासन लगातार अनसुनी कर रहा है ग्रामीणों का कहना है की वे हर वक्त खतरे के साये से जूझते रहते है उनके मवेशियों को बाघ तेंदुआ अपना शिकार बना रहे है। शाम होते ही उन्हें अपने घरों में कैद हो जाना पढता है।

183 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तारित सोनेवानी वन्य प्राणी वन्य क्षेत्र से यदि 3 गांव विस्थापित किये जाते है तो अभ्यारण बनाये जाने की दिशा में सहुलियत होगी। इन्हें लालबर्रा और टेकाडी पंचायत क्षेत्र में बसाया जा सकता है।
1864 में याने 160 साल पहले सोनेवानी वनक्षेत्र अस्तित्व में आया था 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने सोनेवानी को वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र घोषित किया सरकारी रिकॉर्ड में सोनेवानी तथा कारिडोर क्षेत्र में 49 बाघ अपने शावक सहित की मौजूदगी दर्ज है।
सोनेवानी में बाघ तेंदुआ बायसन हिरण मोर अजगर भालू सहित अनेक वन्य प्राणी दिखाई देते है।
सोनेवानी वनक्षेत्र में बाघ तथा अन्य वन्य प्राणी की निगरानी कैमरे से की जा रही है। वन विभाग ने प्रयोग के तौर पर 4 एआई कैमरे लगाये है। जिसकी आधुनिक तकनीक से जंगल पर नजर रहेगी। इस क्षेत्र में पर्यटन की सुविधा बढाने के लिये प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है।

पर्यटन प्रबंधक एम के यादव के अनुसार मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला के दिशा निर्देश पर जिले में पर्यटन गतिविधियां बढाने के लिये कार्ययोजना बनाई गई है। पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने बफर जोन में जंगल सफारी नेचर वॉक ट्री हाउस स्टे विलेज टूर और स्टार ग्रेजिंग जैसी अन्य गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की जा रही है।

सोनेवानी जंगल का पूरा क्षेत्र 18 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है वर्ष के 3 माह छोड़कर 9 माह तक रोजाना सफारी होती है। जिसमें पर्यटकों को बाघ सहित अन्य   वन्य प्राणियों के दीदार होते है।

एपीएस सेंगर सीसीएफ के अनुसार बाघों के संरक्षण और पर्यटन को बढावा देने के लिये सोनेवानी को अभ्यारण बनाना जरूरी है सोनेवानी वन क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति अच्छी है अभ्यारण बनने से बाघों के संरक्षण में और मदद मिलेगी लेकिन यह तभी होगा जब सभी की सहमति से इसका फैसला लिया जायेगा।
उन्होंने स्वीकार किया की 3 गांव के ग्रामीण विस्थापित होना चाहते है विस्थापन की कार्यवाही के लिये डीएफओ को निर्देशित किया गया है।

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