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संयुक्त पंजीयक सागर ने कहा आखिर दो पर ही आपराधिक मामला क्यो, सभी दोषियों पर की जाये कार्यवाही, सहकारी बैंक घोटाला में एक दर्जन कर्मचारी है शामिल

दीपक शर्मा

पन्ना १५ जुलाई ;अभी तक; सहकारी बैंक के बीजेएल एकाउण्ट घोटाला इस समय पूरे प्रदेश में चर्चाओं में हैं। अभी तक नाममात्र के खातों की जांच से लगभग 1 करोड़ 85 लाख का घोटाला उजागर हुआ है और जांच की औपचारिकता पूरी कर कई बैंक कर्मियों एवं जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया है। जिसका खुलासा स्वतः संभागीय संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं सागर द्वारा पत्र क्रमांक 1152 दिनांक 5 जुलाई 2024 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक पन्ना को सम्बोधित पत्र में स्वमेव हो जाता है।

भेजे गये पत्र में मुख्य रूप से जेआर सागर द्वारा मात्र दो बैंक कर्मियों पर कार्यवाही करते हुये शेष जिम्मेदार बैंक कर्मियों को बचाने तथा मुख्य आरोपी पुष्पेंद्र सिंह समेत नाते रिस्तेदारों के खातों की वर्ष 2013 से जांच न किये जाने पर आपत्ति जताई है। साथ ही निर्देश दिया है कि वर्ष 2013 से बैंक के समस्त खातों की विस्तृत जांच कर दोषी एवं जिम्मेदार बैंक कर्मियों/ अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाये। जेआर सागर द्वारा भेजे गये बिंदूवार जांच प्रतिवेदन में उठाई गई आपत्तियों में उल्लेख किया गया है कि इमरत कुमारी के खाते मे गई गबन की राशि 1 करोड़ 34 लाख में अंजली असाटी एवं महेश पटेल पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई है।

जाँच प्रतिवेदन के बिन्दु क्र. 1 के परीक्षण करने पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि श्रीमती इमरत कुमारी, जो मुख्यालय पन्ना में पदस्थ पुष्पेन्द्र सिंह की माँ हैं, उनके बचत खाता क्र. 664002066855 में बैंक के बी.जी.एल. खाता क्रमांक 91947000111, खाता क्रमांक 95060000117, खाता क्रमांक 93663000040 एवं खाता क्रमांक 93663000062 को नामे कर इमरत कुमारी के बचत खाते में 1,34,53,998.00 की राशि ट्रांसफर कर गबन किया गया। इसमें मेकर आई.डी. 306 पुष्पेन्द्र सिंह लिपिक लेखा कक्ष की उपयोग हुई है, जबकि चेकर आई.डी. 282 सुश्री अंजली असाटी लेखापाल, 285 आई.डी. राजेश कोरी लेखापाल एवं 233 आई.डी. महेश प्रसाद पटेल तत्कालीन शाखा प्रबंधक अमानगंज की उपयोग हुई है।

इसमें से केवल पुष्पेन्द्र सिंह एवं राजेश कोरी के विरुद्ध कार्यवाही की गई है, शेष दोनों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? आई.डी. को सुरक्षित रखना व्यक्तिगत जवाबदारी है। आई.डी. के दुरूपयोग से कोई हानि होती है, तो अपनी जवाबदारी से बचा नहीं जा सकता है। 16 लाख 20 हजार की गबन की राशि में भी अंजली असाटी की आईडी का उपयोग हुआ है। बिन्दु क्र. 2 खाता क्र. 91947000111 सहकारी बैंक के मुख्यालय में लेखाकक्ष में संधारित सण्ड्री क्रेडिटर्स खाता है, जिसका उपयोग कर्मचारियों के एलआईसी, जीएसएलआई एवं बैंक को प्राप्त विविध प्राप्ति मे जो इस खाते में जमा की जाती हैं, इस खाते से इमरत कुमारी के सी.सी.बी. खाता क्रमांक 664002066855 में 16,20,900.00 रूपया प्रेषित किये गये। इसमें मेकर में आई.डी. क्र. 306 पुष्पेन्द्र सिंह लिपिक एवं आई.डी. क्र. 282 सुश्री अंजली असाटी का उपयोग हुआ है। उक्त राशि के लिए उक्त दोनों जवाबदार हैं, फिर केवल पुष्पेन्द्र सिंह लिपिक पर कार्यवाही क्यों की गई? 29 लाख के घोटाले में सिर्फ पुष्पेंद्र सिंह एवं राजेश कोरी पर मात्र क्यों हुई कार्यवाहीः- बिन्दु क्र. 3 विभिन्न दिनाँकों पर इमरत कुमारी के बड़ा बाजार खाता क्र. 664002066855 से राशि नेफ्ट के माध्यम से पुष्पेन्द्र सिंह के स्टेट बैंक के खाता क्र. 32074014519 में हस्तांतरित की गई। इसी बिन्दु में उल्लेखित है कि यू.पी.आई. एवं अन्य स्त्रोतों से जो राशि क्रेडिट की है, उसका परीक्षण अभी नहीं किया गया।

इस मद में 29,59,100.00 की राशि का गबन बी.जी.एल. सेण्ड्री क्रेडिटर्स एवं एम.ए.एस. खाते में किया जाना दर्शाया गया है। इसमें मेकर आई.डी. 306 पुष्पेन्द्र सिंह एवं चेकर आई.डी. 282 सुश्री अंजली असाटी एवं चेकर आई.डी. 285 राजेश कोरी लेखापाल की उपयोग हुई है। उक्त तीनों इसके लिए जवाबदार हैं। 9 लाख के घोटाले में चेकर एवं मेकर आईडी का उल्लेख ही नहींः- बिन्दु क्र. 4 – दिनाँक 20 अगस्त 2019 एवं 12 मार्च 2020 को क्रमशः राशि रूपये 3,00,030.00 एवं रूपये 1,75,000.00, कुल रूपये 4.75,030.00 बैंक के सण्ड्री क्रेडिटर्स खाता क्र. 91947000111 को नामे कर सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया शाखा अमानगंज के खाता क्र. 3957040841 में हस्तानांतरित की गई। यह खाता टीकम सिंह परमार के नाम से संचालित ओ.डी. खाता है ।

इस प्रकार जाँच रिपोर्ट में 4,75,030.00 का गबन दर्शाया है । इस बिन्दु में चेकर एवं मेकर की आई.डी. नहीं दी गई है । सिर्फ चार खातों की जांच से मिला 1 करोड़ 85 लाख का गबन, शेष संदिग्ध खाते बताकर बंद कर दी गई जांचः- बिन्दु क्र.5 – इस बिन्दु में उपरोक्त 4 बिन्दुओं का विवरण दिया गया है एवं कुल गबन राशि 1,85,09,028.00 बताई गई है। इसके अलावा इसमें यह भी उल्लेख है कि बैंक लेखा कक्ष में अनेक बी.जी.एल. खाते यथा शाखा समायोजन, मुख्यालय ऑटो रीकंस्लेशन, नेफ्ट एवं अन्य बैंकर्स खाते सण्ड्री क्रेडिटर्स, माईग्रेशन खाते संधारित हैं, जिनका विगत वर्षों से रीकंस्लेशन पूर्ण नहीं हुआ है एवं प्रविष्टियां लम्बे समय से लम्बित हैं, जिनके परीक्षण में अधिक समय लग सकता है, जिसमें संदिग्ध प्रविष्टियों से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अभी केवल 4 खातों से संबंधित संदिग्ध प्रविष्टियों का बी.जी.एल. खाते से परीक्षण किया गया। अतः बैंक के गबन अवधि के समस्त खातों का परीक्षण करवाया जाना उचित होगा। गबन छिपाने फर्जी ट्रांजेक्शन के मिलान बताकर बैंक प्रबंधकों पर कोई कार्यवाहीः नही की गई है। बिन्दु क्र. 6 – उक्त गबन को छिपाने के लिए ट्रांसजेक्शन में जनरेट एसवाईएस को दिनाँक 24 मार्च 2021, 26 मार्च 2021 एवं 31 मार्च 2021 को फर्जी एन्ट्री पास कर शाखा समायोजन को नाम किया गया, ताकि गबन की राशि की एन्ट्री को मिलान में पकड़ा न जा सके। इससे स्पष्ट है कि शाखा एवं बैंक मुख्यालय का भी मिलान नहीं किया गया।

उक्त दिनाँकों के ट्रांसजेक्शन में मेकर आई.डी. 306 पुष्पेन्द्र सिंह बुन्देला, चेकर आई.डी. 282 सुश्री अंजली असाटी, आई.डी. 285 राजेश कोरी के द्वारा किया गया है। उक्त सम्पूर्ण फर्जी ट्रांजेक्शन के व्हाऊचर प्राप्त नहीं हुये हैं। संबंधित शाखा प्रबंधकों के द्वारा भी इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई। 5 करोड़ की मात्र संदिग्ध प्रविष्टियां बताकर नहीं की जांचः- बिन्दु क्र. 7 – दिनाँक 17 अगस्त 2019 को मुख्यालय बी.जी.एल., ऑटो रीकंस्लेशन खाते का बैच तैयार कर राशि रूपये 4,90,76,720.21 की लम्बित प्रविष्टियों को काटा गया है।

इस प्रकार से सहकारी बैंक मे वप्क स्तर पर भारी फर्जीवाडा किया गया है तथा करोडो की राशि संबंधित अधिकारीयों द्वारा हडप की गई है। लेकिन मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहकारी बैंक द्वारा कराई गई जांच आधी अधुरी करके जेआर सागर को भेजी गई थी, जिस पर उन्होने विभिन्न बिन्दुओ का उल्लेख करते हुए आपत्ति जताई है तथा मामले की फिर से विधिवत जांच कर सभी आरोपीयों के खिलाफ पुलिस में आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए निर्देश किया है। क्योकि उक्त मामले मे संबंधित सभी बराबर के दोषी है।

ज्ञात हो कि सहकारी बैंक पन्ना द्वारा अभी तक केवल दो लोगो मुख्य लिपिक पुष्पेन्द्र सिंह तथा राजेश कोरी के खिलाफ कोतवाली पन्ना मे मामला दर्ज कराया है। शेष अभी बांकी है। आंगे देखना है अन्य के खिलाफ कब तक कार्यवाही होती है तथा तत्कालीन महाप्रबंधक मानवेन्द्र सिंह को क्यो बचाया जा रहा है। यह भी बहुत बडा जांच का विषय है।

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