प्रदेश

सहकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम से लाभ मिलना चाहिए-  चन्द्रे

महावीर अग्रवाल 

         मन्दसौर ६ सितम्बर ;अभी तक ;   मध्य प्रदेश में केंद्रीय सहकारी बैंक सहित अन्य सहकारी संस्थाओं में जो कर्मचारी काम करते हैं उन्हें वेतन भी कम मिलता है तथा पेंशन भी कम मिलती है किंतु इसके साथ ही इन्हें  आज तक कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना के लाभों से भी वंचित किया जा रहा है, जबकि नियोक्ता संस्था की यह कानूनी तथा नैतिक जिम्मेदारी है कि कर्मचारियों को उक्त बीमा योजना का लाभ मिलना चाहिए।
                              उक्त विचार व्यक्त करते हुए शिक्षाविद्  एवं सामाजिक कार्यकर्ता रमेशचन्द्र चन्द्रे ने कहा कि- कर्मचारी राज्य बीमा योजना  एक ‘स्व- वित्तपोषित’ योजना है जिसमें कर्मचारियों एवं नियोक्ता संस्था निर्धारित वेतन के एक निश्चित प्रतिशत के हिसाब से इस योजना में नियमित मासिक अंशदान करते हैं। यह योजना कर्मचारियों को किसी अप्रत्याशित दुर्घटना के कारण वित्तीय बोझ से मुक्त करने में सक्षम बनाती है। इस योजना के अंतर्गत  मूल वेतन का 0.75% कर्मचारी का अंशदान होता है जबकि 3.25 नियोक्ता या प्रबंधन का अंशदान जमा होता है।
                             श्री चन्द्रे ने आश्चर्य व्यक्त किया सहकारिता आंदोलन इतना पुराना होने के बाद भी अनेक सरकारे बनी और चली गई किंतु किसी भी सरकार अथवा आयुक्त सहकारी पंजीयक  संस्था मध्य प्रदेश एवं अपेक्स बैंक ने इस विषय में कोई संज्ञान नहीं लिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार किसी भी अशासकीय अथवा अर्ध शासकीय संस्थान में 10 से अधिक कर्मचारी होने पर बीमा निगम की योजना का लाभ दिया जाना आवश्यक है।
श्री चन्द्रे ने मध्य प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्रालय से मांग की है कि- सहकारिता क्षेत्र के समस्त कर्मचारियों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम से लाभ मिले इसकी चिंता राज्य सरकार को करना चाहिए। इसके साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद ऐसे कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलें, इस बात के लिए सरकार को निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि सहकारी क्षेत्र से रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों को कंट्रीब्यूटरी पेंशन योजना के अंतर्गत केवल 1000 से लेकर 2000 तक ही प्रति माह पेंशन प्राप्त होती है जो उसके जीवन यापन में बिल्कुल भी सहयोगी नहीं होती।

 


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