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विंध्यनगर ब्रह्मा कुमारी आश्रम मे स्वस्थ व स्वच्छ समाज विषय पर कार्यशाला का हुआ आयोजन 

एस पी वर्मा
सिंगरौली २१ जून ;अभी तक;   ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के उप क्षेत्रीय मुख्यालय तपोवन कंपलेक्स विंध्य नगर  में आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वस्थ एवं स्वच्छ समाज  विषय  पर कार्यशाला  का आयोजन किया गया.  बतौर मुख्य अतिथि के रूप मे भोपाल से आई ब्रह्मा कुमारीज की क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शुश्री अवधेश दीदी रही जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप मे सहकार ग्लोबल कंपनी के बिजलेंस हेड राम कुमार गुप्ता व नरेन्द्र तोमर भाजपा नेता मौजूद रहे. अध्यक्षता विंध्यनगर ब्राह्मकुमारी आश्रम की हेड शोभा जी ने किया.
                                उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए शुश्री अवधेश दीदी ने कहा कि स्वस्थ एवं स्वच्छ समाज के निमार्ण हेतु आध्यात्मिक सशक्तिकरण जरुरी है.आध्यात्मिकता का अर्थ है आत्मा के मौलिक गुणों शान्ति, प्रेम, आनंद, पवित्रता और शक्ति को बढ़ाना. आध्यात्मिक सशक्तिकरण के बिना स्वर्ग या रामराज्य केवल कल्पना ही है, उसे वास्तविकता में परिणित नहीं किया जा सकता। शुश्री दीदी ने कहा कि अध्यात्म का मतलब होता है, अध्ययन और आत्मा । जो एनर्जी, जो शक्ति आत्मा के अध्ययन के लिए लगाई जाती है उसको ही अध्यात्मिक शक्ति बोलते हैं। ज़िंदगी में आनेवाली स्थितियों को सामना करने के लिए अध्यात्म मानसिक स्तर पर तो आपको मज़बूत बनाता ही है। लेकिन, साथ ही यह शरीर के इम्यून सिस्टम को इंफेक्शन्स और वायरल बीमारियों से बचाने में भी सहायता करता है। दरअसल, अध्यात्म हमारे नर्वस सिस्टम पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
                              स्वच्छ मानसिकता के आधार पर ही समग्र स्वास्थ्य संभव होता है। सही अर्थों में स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों आयामों पर खरा उतरता है। ऐसे व्यक्ति स्वस्थ समाज, राष्ट्र और विश्व समुदाय का निर्माण करते हैं। विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय सदैव आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित रहा हैं । हमारे मन के अंदर जो नकारात्मकता एवं व्यर्थ का बोझ है वही हमारे खराब मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का कारण है।. आध्यात्मिक अंदर और बाहर दोनों ही प्रकार की स्वच्छता का प्रादुर्भाव होता है।. आध्यात्मिक सशक्तिकरण से ही हम समाज को पूर्णतः स्वच्छ बना सकते हैं क्योंकि आध्यात्मिकता के कारण हमारे अंदर सत्यता की शक्ति आती है और दिव्य गुणों की धारणा होती है। जिससे हम इस समाज को कुरीतियों से, भ्रष्टाचार से, वैभीचार से मुक्त कर सकते हैं। इसीक्रम मे विशिष्ट अतिथि श्री गुप्ता ने कहा कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ मन व सकारात्मक विचार व भाव होने चाहिए. जीवन मे नकारात्मक सोच व कार्य से बचेंगे तो मन स्वच्छ रहेगा और जब मन स्वच्छ रहेगा तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा. बकौल गुप्ता जब घर से निकले या किसी कार्य को करें तो सकारात्मक सोच से करें और अपने आप को मन व तन पॉजिटिव रखें. अध्यक्षता कर रही सुश्री शोभा ने कहा कि  आध्यात्मिक सशक्तिकरण हमारे अंदर आत्मविश्वास बढ़ाता है. हमारे मनोबल को तीक्ष्ण करता है स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और हमें वह ताकतं देता है की जिससे हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, नफरत, आलस, अलबेलापन आदि मनोविकारों पर संपूर्ण विजय प्राप्त कर सकते हैं। हमारे स्वास्थ्य में गिरावट का कारण 90% मानसिक तनाव है और आध्यात्मिकता हमें तनाव स्वास्थ्य में आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण योगदान है अतः संपूर्ण आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा ही हम एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना कर सकते हैं।
                                      सुश्री शोभा ने कहा कि अगर समाज में हर एक व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से सशक्त होंगा हम एक बेहतर समाज की स्थापना कर सकेंगे। एक स्वस्थ एवं स्वच्छ की समाज की स्थापना कर सकेंगे जिसे ही हम रामराज्य के रूप में देखते हैं.कार्यशाला उपस्थित जनों को मेडिटेशन व योग कराया गया.

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