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ब्रह्माकुमारी विद्यालय में कियाग गया जन्माष्टमी पर्व का आयोजन

दीपक शर्मा

पन्ना २७ अगस्त ;अभी तक ;  ब्रह्माकुमारी विद्यालय में जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़े ही उमंग उत्साह एवं आध्यात्मिक रीति से मनाया गया। बीके सीता बहन जी ने सभी को समझाते हुए कहा कि श्री कृष्ण का जीवन एक कुशल साधक और कर्मयोगी का जीवन है। श्री कृष्ण का इतना महान जीवन, गीता ज्ञान द्वारा ही बना है।

उन्होंने कहा कि कोई भी मनुष्य विषय विकारों का त्याग करके, गीता ज्ञान की धारणा के द्वारा श्री कृष्ण की दुनिया, सतयुग में चलने की पात्रता धारण कर सकते हैं। वर्तमान परिदृश्य में श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को आत्मसात अपने जीवन सफल बना सकता है। प्रत्येक मनुष्य अर्जुन बने, अध्ययन और विवेचन कर उसे जीवन में उतारने का प्रयास करे। महाभारत काल में केवल एक द्रोपदी का चीर हरण हुआ परंतु आज तो लाखों द्रौपदियों का चीर हरण हो रहा है, वास्तव में कौन कर रहा है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसके बारे में भी हमें सोचना चाहिए। कोई भी मनुष्य किसी का शत्रु नहीं होता है इसका स्पष्ट उल्लेख भागवत गीता में मिलता है जिसमें श्री कृष्ण ने कहा है कि है अर्जुन मनुष्य के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मनुष्य के शत्रु हैं। जब हम इन विषयों पर विजय प्राप्त करेंगे, तभी हम सुख शांति से रह सकेंगे तथा एक सुखमय साम्राज्य की स्थापना कर सकेंगे। आप जरा इस पर विचार करें कि मनुष्य काम विकार के वशीभूत होता है तब अत्याचार और व्यभिचार करता है, क्रोध में आता है तब हिंसा और लोभ के कारण लूटपाट तथा हत्या करता है, मोह के कारण जंजाल में जकड़ता है तथा अहंकार के कारण अपनी अच्छाइयों को त्याग देता है। जब हम इन विकारों से मुक्त हो जाएंगे, तब मन के अंदर जो अच्छाइयों और बुराइयों का महाभारत चल रहा है उससे मुक्ति मिलेगी। जन्माष्टमी पर यही संदेश है।

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