प्रदेश

कस्टम मिंलिग की आड़ में 3 केजी बतौर कमीशन देकर अमानक चावल प्रदाय करने की छुट लेने का मामला गरमाया

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ३ जुलाई ;अभी तक; प्रदेश के सर्वाधिक धान उत्पादक बालाघाट जिले में कस्टम मिंलिग की आड़ में 3 केजी बतौर कमिशन देकर अमानक चावल प्रदाय करने की छुट लेने का मामला गरमा गया है।

इस मामले में निगम के एक अधिकारी ने राजनेता और राईस मिलर्स के बीच मध्यस्थ बनकर एकत्रित की गई कमीशन की राशि राजनेता तक पहुंचाने में अहम भूमिका बताई गई है।
वैसे भी धान की खरीदी और खरीदी गई धान के कस्टम मिलिंग से चावल बनाने की प्रक्रिया मिलर्स और अधिकारियों के लिये सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है। जिसके चलते बिना बिजली की खपत किये चावल बनाना बताकर प्रदाय किया जा रहा है जबकि अनुबंधित राईस मिलर्स द्वारा आरओ के माध्यम से मिलने वाली धान की अधिकांश मात्रा खुले बाजार में बेची जा रही है। तो आखिर चावल कहा से लाकर प्रदाय किया जा रहा है। वहीं चावल राईस मिलर्स प्रदाय कर रहे है जो राशन दुकानों से उपभोक्ताओं को वितरित किया जा रहा है।

इस तरह रिसाइकिलिंग किया गया चावल जो निर्धारित गुणवत्ता और मापदंड का नही है वह खुलेआम लिया जा रहा है। यह कारगुजारी सिर्फ बालाघाट जिले में नही है समूचे प्रदेश की जा रही है और प्रशासन आँख बंद किये है।

ताजा मामला बालाघाट में जिसमें सूचना के अधिकार के तहत जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक के द्वारा पत्र क्रमांक सूचना का अधिकार/2024-24/63 दिनांक 23/4/2024 को उपलब्ध कराई गई जानकारी के माध्यम से प्रकाश में आया है जिसमें 102 राईस मिलर्स के संबंध में उनके द्वारा प्रदाय किये गये चावल की मात्रा के आधार पर अवगत कराया गया है। जिसमें 65 राईस मिलर्स ऐसे है जिन्होने बालाघाट जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में कस्टम मिलिंग का चावल ट्रांसपोर्ट के जरिए भेजकर प्रदाय किया है वहीं 37 राईस मिलर्स ऐसे जिन्होने बालाघाट जिले में ही चावल प्रदाय किया है।
सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतुल, इंदौर, देवास, उज्जैन, विदिशा में चावल भेजने के लिये मुख्यालय से एक निश्चित चढौत्तरी देकर जिले के बाहर भेजने की अनुमति प्राप्त की गई नियमानुसार भेजने जाने वाले चांवल का गुणवत्ता का परीक्षण किया जाना था लेकिन बिना परीक्षण किये कागजी औपचारिता कर चावल रवाना कर दिया गया रवाना किये गये चावल में फौट्रीफाइट राइस मिलाकर चावल बनाया जाना था बिना उसके चावल प्रदाय कर दिया गया इसके एवज में गुणवत्ता निरीक्षक को 8000 प्रति लाट से लेकर 12000 प्रति लाट का कमिशन राईस मिलर्स द्वारा दिये जाने की जानकारी लगी है भेजा गया चावल अभी भी गोदामों में भण्डारित है। किसी जांच के भय से उसे राशन के जरिये वितरित किये जाने पर हो हल्ला बचने की आशंका से रोका गया है।
यह उल्लेखनीय है की जिन ट्रकों के माध्यम से चावल का रवानगी बताई गई है उन ट्रक नंबरों की संबंधि क्षेत्र के टोल नाके पर जांच कराये जाने पर जानकारी लगी है कि उक्त ट्रक के नंबर से टोक टैक्स जमा नही हुआ है। इस प्रकार इस कारगुजारी से किसी बडे़ घोटाले किये जाने की संभावना प्रतीत होती है।

यह उल्लेखनीय है की धान से चावल बनाने की प्रक्रिया में जिस अनुबंध पत्र का निष्पादन मिलर्स नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड के बीच हुआ है निष्पादित अनुबंध पत्र में दी गई किसी भी कण्डिका का परिपालन ही नही हुआ और ना ही किसी वरिष्ट अधिकारी ने कस्टम मिंलिग के दौरान मिल परिसर में जाकर प्रक्रिया का भौतिक सत्यापन किया।

इतना ही नही ऐसी राईल मिले जो अस्तित्व में नही है उनको भी धान प्रदाय की गई और उनसे चावल लिया गया अनेक राईस मिलों ने बिना बिजली की खपत किये चावल की बड़ी मात्रा प्रदाय की है।

इस प्रकार पूरे प्रदेश में इस कारगुजारी का अनुशरण कर कस्टम मिंलिग की आड़ में चांदी काटने का सिलसिला चलाया जा रहा है इस गौरखधंधे में कोई कठिनाई ना आये और प्रशासन और वरिष्ट अधिकारियों का संरक्षण मिलता रहे इसी गरज से राईस मिलर्स ने 3 केजी कमिशन की पेशकस की है।

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