प्रदेश

सरकारी संरक्षण में धान की हेराफेरी खुलेआम की जा रही

आनंद ताम्रकार

बालाघाट २६ अगस्त ;अभी तक ;  बालाघाट जिले के विभिन्न स्थानों पर बनाये गये ओपन केप और निजी एवं शासकीय गोदामों में भण्डारित की गई सरकारी धान के गायब होने का सिलसिला जारी है इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराये जाने के बाद भी 10 माह गुजर जाने के बाद जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। इन विसंगतियों के चलते धान की अफरा तफरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

वर्ष 2021-22 विभिन्न ओपन केप से लगभग 6.5 हजार मैट्रिक टन धान गायब हो गई धान की खरीदी और भंडारण की जिम्मेदारी अहमदाबाद गुजरात की गो ग्रीन वेयर हाउस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था। लेकिन कंपनी के कर्मचारियों,अधिकारियों की लापरवाही अनदेखी के चलते हजारों क्विंटल धान सड गई और केप से गायब हो गई।

इस संबंध में तत्कालीन जिला विपणन अधिकारी हिरेन्द्र रघुवंशी द्वारा वारासिवनी पुलिस थाने में डोंगरिया, भेण्डारा,खापा-2,खापा-2,नंदलेसरा, चिखमारा,पालडोंगरी,डोंगरिया,परसवाड़ा,मोहाडी केप तथा वारा केप में 6632.48टन जिसका मूल्य 12.866 करोड रूपये आका गया है के गायब हो जाने की शिकायत दर्ज कराई थी जिसकी जांच अनुविभागीय अधिकारी पुलिस श्री अभिषेक चौधरी द्वारा की जा रही है उन्होने बताया की मामले से संबंधित दस्तावेज पुलिस द्वारा जुटा लिये गये है और अग्रिम विवेचना जारी है।

ताजा मामला अभी हाल ही में प्रकाश में आया है जिसमें वारासिवनी के धार्मिक वेयर हाउस तुमाडी ग्राम से 17 अगस्त को राधे एग्रो इडस्टीज रमगढी छिंदवाड़ा को जारी किये गये आरओ कमांक 38213 61082410020 के माध्यम से 3 ट्रकों में धान भराई गई थी उक्त धान छिंदवाडा ना जाते हुये 2 ट्रकों में भरकर मेंहदीवाड़ा ले जाई गई जिसे वहां राईस मिल में बेचा जाना था। इसी बीच पुलिस ने ट्रक से बोरे उतरकर चिल्लर धान खरीददार को बेचते हुये पकड़ा जिसके आधार पर पुलिस ने ट्रक लाकर पुलिस थाने में खडे करवा दिये।

कृषि उपज मंडी द्वारा पकडे गये 2 ट्रकों पर 5 गुना मंडी  शुल्क लगाया गया जिसके आधार पर पुलिस द्वारा ट्रक अभिरक्षा से छोड दिये गये। जिस तीसरे ट्रक क्रमांक एमपी 18 जीए 0931 में 200 बोरी धान भरी थी जिसका मूल्य 4 लाख रूपये बताया गया है उसका 8 दिन गुजर जाने के बाद भी कहीं अतपता नही है उक्त धान छिंदवाड़ा भी नही पहुंची।

इस प्रकार सरकारी धान की हेराफेरी खुलेआम की जा रही है जिला विपणन संघ अधिकारी विवेक तिवारी का यह कहना है की राईस मिलर्स द्वारा अमानत राशि अनुबंध पत्र के साथ जमा कराई जाती है वह प्राप्त की गई धान को कहा ले जाता है किसे बेचता है इसको देखना हमारी जिम्मेदारी नही है।

इन्हीं विसंगतियों के चलते वर्ष 2023-24 में राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग करने के लिए जो धान प्रदाय की गई है उक्त धान में से 60 प्रतिशत धान काला बाजार में बेच दी गई और राईस मिलर्स द्वारा मिंलिंग किये बिना और बिजली की खपत ना करते हुए निर्धारित मात्रा के मान से चावल भी जमा कर दिया। ऐसी कारगुजारी सरकारी संरक्षण के बिना संभव नहीं है इस पर कैसे अंकुश लगेगा।

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