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ज्ञान का अभिमान मत करो, अभिमान से बचो- साध्वी रमणीक कुंवरजी

महावीर अग्रवाल

मंदसौर २४ सितम्बर ;अभी तक ;   मनुष्य जीवन में ज्ञान जरूर है। ज्ञानवान मनुष्य होते है उन्हें समाज में सम्मान तो मिलता ही है कभी कभी हम उस सम्मान की मर्यादा को समझ नहीं पाते है और अपने को श्रेष्ठ ज्ञानी समझने लगते है अर्था हमें ज्ञान का अभिमान हो जाता है। जीवन में ज्ञान के अभिमान से बचना जरूरी है।

उक्त उद्गार प.पू. जैन साध्वी श्री रमणीकुंवरजी म.सा. ने शास्त्री कॉलोनी नईआबादी स्थित जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में कहे। आपने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि थोड़ा सा ज्ञान अर्जित करने पर अपने को विद्वानों में श्रेष्ठ समझना हमारी मुर्खता है। यदि ज्ञान प्राप्त कर भी लिया है तो विनम्रतारखो और विद्यार्थी भांति और अध्ययन करते रहो। यदि जीवन में आपकी सरलता बड़ रही है तो ही आप विद्वान कहलाने के योग्य है। अभिमानी को केाई पसन्द नहीं करता इसलिये अपने ज्ञान के साथ यदि विनम्रता भी बड़ रही है तो ही आप सही अर्थों में ज्ञानी हो।  मानव का भव हमें ज्ञान की प्राप्ति कर ज्ञान बांटने के लिये मिला है। ज्ञान का अहंकार प्रदर्शित करने के लिये नहीं इसके अपनी वाणी के माध्यम से दूसरों को कभी बेइज्जत मत करो क्येांकि कभी भी अशिक्षित अज्ञानी भी किसी दूसरे क्षेत्र में आपसे श्रेष्ठ हो सकता है। इसलिये किताबी ज्ञान को ही ज्ञान नहीं माने। बल्कि दूसरों से सीखने का प्रयास करते रहेंगे तो ही सही अर्थों में ज्ञानी कहलायेंगे। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ अध्यक्ष अशोक उकावत ने किया।

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