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टीकमगढ़ नपा की एक हज़ार से अधिक दुकानों के आवंटन मे बरती गयी अनियमितताओं की जाँच के आदेश से राजनीति गरमाई

पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ 27 जुलाई ; ‘अभी तक ; ‘मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त भरत यादव ने, दस -पंद्रह साल पहले टीकमगढ़ नपा की एक हज़ार से अधिक दुकानों के आवंटन मे वरती गयी अनियमितताओं की जाँच के आदेश दिए हैं, जिससे उस दौरान परिषद प्रमुख रहे अधिकारी, एवं अध्यक्ष सकते मे हैं।    मौजूदा सीएमओ श्रीमती गीता मांझी के खिलाफ सभी पार्षदों का एक जुट होकर मोर्चा खोलना उक्त मामले से ध्यान हटाने के तौर पर देखा जा रहा हैं ताकि या तो जाँच हो न सके या उसे किसी तरह से लंबित रखा जाय!
                               आयुक्त श्री यादव ने दुकानों के आवंटन मे व्याप्त गड़बड़ी की जाँच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जिसमें नगरीय प्रशासन के सयुंक्त संचालक सागर,  राजेंद्र श्रीवास्तव, सहायक संचालक भोपाल के गजेंद्र सिंह यादव एवं इसी विभाग के कार्य पालन यंत्री पूरन लाल अहिरवार को शामिल किया गया है।  ये 15 दिवस मे मामले की जाँच करके आयुक्त को प्रतिवेदन सौंपगे!
                                   टीकमगढ़ नगरपालिका के कथित भ्रष्टाचार के मामलों मे गुजरे वक्त मे दुकानों के आवंटन का मामला भी सुर्खियों मे रहा है और उसी मामले को लेकर कांग्रेस के स्थानीय वरिष्ठ विधायक यादवेन्द्र सिंह ने इसी बजट सत्र मे सदन मे वह मामला उठाया था, .
                                    सीएमओ मांझी ने बताया कि जब उस   प्रकरण से सम्बंधित, जानकारी भेजनें के लिए फाइले तलब की गयीं तब पता चला कि दुकानों के आवंटन का तत्कालीन रिकार्ड कार्यालय मे है ही नहीं! विधायक सिंह ने सदन मे लगाए प्रश्न मे जानना चाहा था कि नपा की दस दस दुकानें एक ही व्यक्ति को कैसे आवंटन की गयीं और क्रय करने वाले का पता क्यों दर्ज नहीं किया गया! आवंटन मे रोस्टर का पालन किया या नहीं ?इसी तरह की तमाम अनियमितताओं का उल्लेख, प्रश्न मे किया गया है!
                                    यह मामला सामने आने के बाद मध्यप्रदेश नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त भरत यादव ने अपने 24जुलाई के आदेश मे भी टीकमगढ़ नगरपालिका की दुकानों के आवंटन मे अनियमितताओं के बारे मे स्पष्ट उल्लेख किया है!अब देखना ये होगा कि शहर के विकास की दुहाई देने वाले पार्षद नपा मे व्याप्त कथित भ्र्ष्टाचार के उजागर करने के लिए भी सड़क पर उतरते हैं या नहीं और वे जाँच दल को किस तरह  सहयोग करते हैं या उनकी दिलचस्पी केवल सीएमओ के खिलाफ ही आंदोलन करने मे हैं?

 


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