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जीवन में विनय लाये, विनय का अत्यधिक महत्व- साध्वी श्री रमणीक कुंवरजी

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर २४ जुलाई ;अभी तक;  जीवन में ज्ञान की प्राप्ति विनय के गुण से ही हो सकती है। जब तक मन में अहंकार रूपी अवगुण बना रहता है तब तक हमं सच्चे ज्ञान व धर्म से वंचित रहते है। इसलिये जीवन में ज्ञान पाना है तो विनय को अपनाये, अहंकार को छोड़े।

उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री रमणीक कुंवरजी म.सा. ने कहे। आपने बुधवार को जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन शास्त्री कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में कहा कि जैन धर्म में भारत चक्रवति व बाहुबली का वृतान्त मिलता है। अपने पिता ऋषभदेव के संयम पथ पर अग्रसर होने के बाद दोनों भाईयों में मतभेद हुये उसके कारण बाहुबली व भरत चक्रवर्ति में युद्ध भी हुआ। उनकी बहन ब्राह्मी ने अपने भाई को अहंकार छोड़ने के लिये अहंकार की तुलना हाथी से की और कहा कि वीरा हाथी से उतरो अर्थात हो प्राणी अहंकार करता है वह हाथी की सवारी करने के समान है। यदि हाथी पर बैठे रहेंगे अर्थात अहंकार करें तो विनय का गुण मन मस्तिष्क में नहीं आयेगा और मानव अहंकार में ही अपने जीवन को नष्ट व भ्रष्ट कर लेगा। जीवन में विनय का गुण आने पर केवल ज्ञान भी संभव है। आपे कहा कि सामायिक प्रतिक्रमण जैसी क्रिया करते समय अपने मन के भाव शुद्ध रखो। कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, कौन क्या कर रहा है। यह विचार मत करो। यदि आत्मा का कल्याण चाहते हो तो शुद्ध भाव से सामायिक प्रतिक्रमण करो। धर्मसभा में साध्वी श्री चंचलाश्रीजी म.सा. ने भी अपने विचार रखे। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे। धर्मसभा का संचालन पवन पोरवाल ने किया।
29 को सामूहिक एकासने होंगे- 29 जुलाई, सोमवार को मालव केसरी प.पू. श्री शोभागमलजी म.सा. की 40वीं पुण्यतिथि (पुण्य स्मृति) दिवस के उपलक्ष्य में गुणानुवाद सभा का आयोजन प्रातः 9 बजे और उसके बाद सामूहिक एकासने का आयोजन होगा। एकासने कराने का धर्मलाभ कमलाबाई पूनमचंद नलवाया परिवार ने लिया है। सभी धर्मालुजन समय पूर्व नाम नोट करावे।

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