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कलयुग में भगवान का नाम लेने से उनकी प्राप्ति हो जाती है- स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर ४ अगस्त ;अभी तक;  श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है।  स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।

शनिवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार सतयुग में भगवान का ध्यान करने से प्रभु की प्राप्ति होती थी वहीं त्रेतायुग में बडे – बडे यज्ञ हवन करके भगवान की कृपा प्राप्ति की जाती थी जो बल शाली राजा बडे व्यापारी हुआ करते थे वे उस समय भगवान की प्राप्ति करने के लिए यज्ञ हवन करवाते थे। उसके बाद समय परिवर्तन हुआ द्वापरयुग में  भगवान पूजा अर्चना करने से प्रसन्न होते थे द्वापरयुग में भगवान वर्ग श्याम था जिसे सांवला रंग कहा जाता है और पिताम्बर वस्त्र धारण करते थे उसे समय पूजा अर्चना के महत्व को बताया गया था।
अब कलयुग में भगवान के नाम की महिमा को बताया गया है भगवान नाम लेने मात्र से ही उनकी कृपा की प्राप्ति हो जाती है शास्त्रों के अनुसार कलयुग में भगवान के नाम को जपने को कहा गया है। स्वामीजी ने बताया कि कलयुग में भगवान का नाम सर्वश्रेष्ठ है, भगवान का नाम लेने मात्र से पापों का क्षय हो जाता है। इसलिए हमें प्रतिदिन सुबह और शाम को परिवार के साथ बैठकर या एकान्त में भगवान का नाम अवश्य लेना चाहिए उनका जप करना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर जगदीशचन्द्र सेठिया, कारूलाल सोनी, मदन देवडा, प्रवीण देवडा, जगदीश गर्ग ,आर सी पंवार, आर सी पाण्डे, पं शिवनारायण शर्मा, घनश्याम भावसार, राजेश देवडा,  रामचंद्र कोकन्दा, बाल किशन चौधरी, कन्हैयालाल रायसिंघानी, घनश्याम सोनी, भगवती लाल पिलौदिया, जगदीश भावसार, महेश गेहलोद सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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