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भूल जाएंगे ये लोग कि ताज प्रेम की निशानी है, अब दुनिया मे हिंदुस्तां को राम मंदिर से जाना जायेगा

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १९ मई ;अभी तक;  श्री हनुमान जन्मोत्सव के तहत पुराना बस स्टेण्ड मंदसौर स्थित चमत्कारी श्री बड़े बालाजी मंदिर परिसर पर 18 मई, शनिवार को रात्रि 8 बजे से विराट अ.भा. कवि सम्मेलन का आयोजन किया। जिसमें तड़के चार बजे तक श्रोताओं को हास्य, वीर रस व श्रृंगार रस के कवियों की कविताओं से मंत्रमुग्ध होते रहे। इस समारोह में प्रख्यात कवि पं. अशोक नागर शाजापुर को स्व. श्री रामनारायण शर्मा काव्य अलंकरण सम्मान समारोह से सम्मानित भी किया।
                                   कवि सम्मेलन में कवि अशोक नागर शाजापुर ने कहा कि ‘‘चावल के पानी का कलप बनियान में था और कलप में नील भी नहीं बची, जिसका की नाम लेकर सोते-जागते थे लोग, आज उसके नाम वाली सील भी नहीं बची और लूट-लूट के उजाले खुद बाटता था कल, और आज हाथ में केण्डल भी नहीं बची’’ सुनाकर खूब दाद बटोरी। हास्य रस के कवि अजातशत्रु उदयपुर ने कहा कि ‘‘गुस्सा आना मर्द की निशानी है, लेकिन गुस्से को पी जाना शादी शुदा मर्द की निशानी है’’ सुनाकर शादी शुदा व्यक्तियों पर व्यंग कसा। हास्य कवि सुरेश मिश्र मुम्बई ने ‘‘दो लोगों को कभी नाराज मत करना, एक भगवान को और दूसरा डॉक्टर को। भगवान नाराज हो जाये तो डॉक्टर के पास भेजते है और डॉक्टर नाराज हो जाये तो भगवान के पास भेज देता है’’ को सुनाया तो उपस्थित लोगों की हंसी छूट पड़ी।
                                वीर कवि मुकेश मोलवा इंदौर ने महाराणा प्रताप के वीरता का बखान करते हुए कविता कही कि ‘‘कुरूक्षेत्र की रणभूमि में जो पांचजन्य गुंजीत हो जाता था वैसी ध्वनि होती थी जब वह हल्दी घाटी मेें चेतक हिनहिनाता था, वीर वर्णी अश्व के कायरता कलंकित हो जात थी जब भवानी कहते ही राणा के माँ भवानी प्रकट हो जाती थी।’’
                                हास्य कवि दीपक पारिख भीलवाड़ा ने मालवी में कहा कि ‘‘बहुत भोले होते है गांव के लोग, आपणा भाई साहब एक तरफा चाली रिया है और भाई साहब के हंडे खेल वई ग्यो’’ सुनाकर लोटपोट किया। गीतकार पंकज प्रसून मांडव ने ‘‘ पहले ये बने नासुर दाद खाज औकात दिखाने की इनकी फैसला भी आज हो, दुश्मन की छाती के लिये राफेल या मिराज हो, सबसे पहले घर के भैदियों का इलाज हो, सिर्फ हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान की बात हो‘‘ सुनाकर देशभक्ति की भावना जागृत की।
                                      श्रृंगार रस की कवि सुश्री सुमित्रा सरल रतलाम ने कहा कि ‘‘उसने छूआ बदन तो सुलगता ही रह गया, उसने मिलाया हाथ तो महकता ही रह गया। अगले सफर की रेल पकड़ के वो चल दिया, पटरी पे रखा दिल ये तड़पता ही रह गया‘‘सुनाकर तालियां बटोरी। सूत्रधार मुन्ना बेट्री (हास्य रस) सूत्रधार मन्दसौर ने कविता संघर्षों का ये किस्सा अब जमाने मे पहचाना जाएगा, मैं जो आज कह रहा हूँ ये अनन्त काल तक माना जाएगा, ओर भूल जाएंगे ये लोग कि ताज प्रेम की निशानी है, अब दुनिया मे हिंदुस्तां को राम मंदिर से जाना जायेगा सुनाकर माहौल भक्तिमय किया। कवि सम्मेलन का संचालन अशोक नागर शाजापुर ने किया।
                            इस समारोह में  स्व. श्री रामनारायण शर्मा काव्य अलंकरण सम्मान समारोह प्रख्यात कवि पं. अशोक नागर शाजापुर को मंदिर समिति व शर्मा परिवार की ओर से परिवेश दिलीप शर्मा ने प्रदान किया।
                            प्रारंभ में कथा वाचक पं. दशरथभाई जी व मंचासीन कविगणों द्वारा भगवान बड़े बालाजी व मॉ सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित किया। इस अवसर पर मंदिर समिति के परिवेश शर्मा, विनोद रूनवाल (ज्योतिष सलाहकार), अनिल कियावत, नरेश चंदवानी, दिनेश जोशी, चौथमल शर्मा, विष्णु शर्मा, जितेन्द्र व्यास, राजाराम तंवर,  अनिल सुराह, हेमन्त सुराह, महेंद्रसिंह सिसोदिया, अनूप माहेश्वरी, मुकेश कुमावत, कपिल सौलंकी, सज्जनलाल खमेसरा, शिवशंकर सोलंकी, रवि ग्वाला ने कविगणों का पुष्पहार से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रजेश जोशी व विनय दुबेला ने किया। आभार रवि ग्वाला ने माना।

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