प्रदेश

पर्यूषण पर्व के 18 दिनों में मांस विक्रय व वधशालाएं बंद रहे 

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर १६ अगस्त ;अभी तक ;   सकल जैन समाज वीरपुत्र जयम् के संप्रेरक श्री सुरेंद्र लोढ़ा ,संवाहक श्री राजमल गर्ग ,श्री दिलीप लोढ़ा ,श्री प्रदीप कीमती, श्री अनिल कियावत,महासचिव श्री अक्षय मारू, श्री विकास भंडारी, श्री संजय मुरड़िया ,श्री दिनेश रांका , श्री अशोक जैन ‘चयन’ ,श्री रत्नेश पारख, श्री उमेश भड़का, श्री सिद्धार्थ पामेचा, संगठक श्री लोकेंद्र धाकड़, श्री जय बड़जात्या ,श्री अरविंद मेहता, श्री पिंकेश चौरड़िया ,श्री श्रेयांश हींगड़, श्री कमलेश सालेचा, समन्वयक श्री कनक पंचोली, श्री जयेश डांगी, श्री यश बाफना ,श्री कपिल भंडारी, श्री अजीत कुमार नाहर, प्रवक्ता श्री प्रतीक चंडालिया, श्री शिखर चंद्र डूंगरवाल, श्री प्रताप कोठारी ने मांग की है कि मध्य प्रदेश राज्य शासन संपूर्ण जैन समाज के पवित्रतम पर्व पर्युषण और दशलक्षण पर्व की आराधना के 18 दिनों के लिए प्रदेश भर में बूचड़खानों या वधशालाओं  तथा मांस विक्रय करने वाली दुकानों का अनिवार्य अवकाश घोषित कर अहिंसक प्रजा को राहत प्रदान करें।
                                      वक्तव्य में कहा गया है कि श्वेतांबर समुदाय के पर्यूषण दिनांक 31 अगस्त शनिवार से तथा दिगम्बर समुदाय के दशलक्षण पर्व दिनांक 8 सितंबर रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं जो अनंत चतुर्दशी दिनांक 17 सितंबर मंगलवार तक चलेंगे। मुगलकाल  में भी इन 18 दिनों को अभारी प्रवर्तन के दिन माना जाता था एवं मांसाहार विक्रय तथा वधशालाओं के कृत्य बंद रहते थे। ग्वालियर स्टेट में या 18 दिन अमारी प्रवर्तन के माने जाते थे एवं अहिंसक व्यवहार ही होता था। सन् 1838 में मामा साहब कदम ने जो राज्य संचालन की नीति कलमें तय तथा लागू की थी, उनमें भी पर्यूषण पर्व के 18 दिनों में तथा श्राद्ध के दिनों में अमारी प्रवर्तन स्थापित किया गया था। गुजरात राज्य में अभी भी 18 दिन के लिए मांस की दुकानें वधशालाएं बंद रहते हैं ,जिसको सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संरक्षण है ।अतएव अहिंसक जनता की मांग के अनुसार जैन समाज के पर्यूषण व दशलक्षण पर्व के 18 दिनों के लिए मांस की दुकानें व वधशालाएं बंद रखी जावे ।राज्य शासन का ऐसा निर्णय प्राप्त कर जैन समाज तथा अहिंसक प्रजा कृतज्ञ होगी।

 


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