प्रदेश

आवाजाही से दूर अनेक पल पुलियो का निर्माण, किसी को नहीं होगा लाभ. पैसे की हो रही बर्बादी

आनंद ताम्रकार

बालाघाट १८ जून ;अभी तक;  प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में विकास कार्यो की एक एैसी दशा और दिशा है जहां ऐसे कई क्षेत्र है जो पुल पुलियों के अभाव में वर्षा काल में मूल धारा से कटेआवाजाही रहते है वहीं ऐसे स्थानों पर भी करोडों रूपये के निर्माण कार्य चलाये जा रहे है जिनके निर्माण किये जाने से ना तो ग्रामवासियों को उसका लाभ मिलेगा ना ही वहां आवागमन शुलभ होगा क्योंकि निर्माण स्थल से दूर दूर तक किसी भी दिशा में  नही है बिना सड़क बनाये ये कैसा पुल निर्माण किया जा रहा है समज्ञ से परे है।

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित बिरसा विकासखण्ड के  रेलवाही से उसरवाही ग्राम के बीच ऐसे स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है जहां एक ओर मध्यप्रदेश वन विकास की भूमि है तो पुल की दूसरी ओर छत्तीसगढ़ शासन की भूमि है जहां पर किसान किसानी करते है।

जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर बिरसा विकासखंड के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बंजर नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है।  नदी का बहाव महज नाले जैसा दिखाई देता है। पुल निर्माण क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में मात्र 2-3 गांव ही बसे है। लेकिन उनका इस मार्ग से कोई आवागमन नही होता।

बावजूद इसके बंजर नदी पर मध्यप्रदेश ग्राम सड़क प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई बालाघाट द्वारा वैनगंगा कस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा 150 मीटर लबाई का पुल 10 करोड 18 लाख 25 हजार रूपये की इकाई से बनाया जा रहा है इस पुल निर्माण कार्य की समय सीमा 25 अप्रेल 2025 निर्धारित की गई है।
इस पुल निर्माण कार्य में कृष्णा मात्रे नामक आदिवासी किसान की भूमि को भी ले लिया गया है लेकिन उसका विधिवत अधिग्रहण नही किया गया ना ही उसे कोई मुआवजा मिला ठेकेदार ने मात्र 1 लाख रूपये देकर अपनी जिम्मेदारी की खानपूर्ति कर दी। किसान की भूमि पर लगे पेड़ भी काट दिये।

पुलिया निर्माण निर्धारित गुणवत्ता और मापदंड के विपरीत निम्नस्तर की सामग्री से किये जाने की जानकारी लगी है। इस पुलिया के निर्माण के लिये ग्रामीण कृषि विकास मंत्रालय भारत शासन द्वारा वित्तघोषित योजना से  किया गया है। आखिरकार करोडो रुपये की लागत से बनने वाले इस पुल का लाभ किसे मिलेगा यह प्रश्नचिन्ह बना हुआ है।

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