प्रदेश
राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हुआ राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २८ मई ;अभी तक; शासकीय महाविद्यालय मंदसौर में आयुक्त उच्च शिक्षा , म प्र शासन के निर्देशानुसार * करियर परामर्श एवं प्रेरकीकरण का महत्व विषय पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन संस्था के प्राचार्य डॉ एल एन शर्मा ने दिया।विषय प्रवर्तन जिला नोडल अधिकारी करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ डॉ वीणा सिंह द्वारा किया गया।
प्रथम वक्ता डॉ प्रवीण ओझा बी.एल.पी.सरकारी पीजी कॉलेज महू इंदौर में वाणिज्य संकाय के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे हैं। आप वर्तमान में वाणिज्य अध्ययन मंडल के अध्यक्ष (डीएवीवी इंदौर )है। आपका शिक्षक अनुभव 29 वर्षों का है और अपने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 79 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। अपने 181 सम्मेलनों और संगोष्ठियों में भाग लिया है और 39 वेबीनार में उपस्थित हुए हैं। अपने पर्यटन पर यूजीसी द्वारा वित्त पोषित एक एमआरपी प्रोजेक्ट पूरा किया है। आपकी एक पुस्तक रमेश बुक डिपो जयपुर द्वारा प्रकाशित हुई है और अपने चार पीएचडी विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया है तथा 6 विद्यार्थी वर्तमान में शोध कर रहे हैं ।आप पूर्व एनसीसी अधिकारी रैंक मैनेजर भी रह चुके हैं।
सर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया की रोजगार अवसर तीन भागों में विभाजित है, पहला नौकरी ,दूसरा बिजनेस और तीसरा सर्विस सेक्टर। सर ने विद्यार्थियों को स्वॉट का क्या मतलब है वह बताया ,उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी योग्यताओं को उभरने की बात कही , अपनी कमजोरी को पहचान कर उन्हें कम करने की सलाह दी ,अवसर के मौके तलाशने को कहा और उनका फायदा उठाने को कहा और अपने डर को काबू करना बताया।
सर ने यह भी बताया कि बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही विद्यार्थी बन जाते हैं। वह अपने आसपास के लोगों से प्रेरणा लेते हैं, सबसे पहले प्रेरणा स्रोत बच्चों के लिए उनकी मां होती है धीरे-धीरे वह अपने पिता और अपने आसपास के लोगों से प्रेरणा लेते हैं ,अपने शिक्षकों से और पर्यावरण से भी प्रेरणा लेते हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिएआपको अपने लक्ष्य के बारे में ही सोचना चाहिए।
कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ला दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ,गोरखपुर में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं,26 से अधिक वर्षों का अनुभव जिसमें 11 वर्ष प्रोफेसर के रूप में शामिल है, रुचि प्रमुख क्षेत्र अफ्रीकी अमेरिकी कथा और भारतीय अंग्रेजी साहित्य में है। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी विशेषता ब्रिटिश कविता साहित्य आंदोलन ,लोकप्रिय साहित्य ,साहित्यिक आलोचना और भारतीय अंग्रेजी कविता में है। प्रोफेसर शुक्ला ने 21 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया है जिनमें से 11 ने डिग्री प्राप्त की है और 10 वर्तमान में शोध रथ है । आपने पांच पुस्तकें और 24 शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं ।इनकी डिजिटल पहला इंग्लिश लिटरेचर पाठशाला यूट्यूब चैनल है जिसमें 175 से अधिक वीडियो व्याख्यान उपलब्ध है। इन्होंने अपने महाविद्यालय में मासिक मैगजीन की शुरुआत की है ।अति चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी सर ने विद्यार्थियों को इस विषय पर बताया की सफलता असल में क्या है ? सफलता एक प्रतिशत प्रेरणा है और 99% मेहनत है। अगर किसी विद्यार्थी में इनमें से कोई एक चीज नहीं है तो वह आगे नहीं बढ़ पाएगा। सर ने एक लक्ष्य बनाकर चलने की बात कही। सात पी भी याद रखने को बताएं । विद्यार्थियों में पैशन, पर्सीवरेंस, प्लानिंग , पेशेंस,परफेक्शन ,पॉजिटिव एटीट्यूड होना चाहिए।
सर ने यह भी बताया कि बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही विद्यार्थी बन जाते हैं। वह अपने आसपास के लोगों से प्रेरणा लेते हैं, सबसे पहले प्रेरणा स्रोत बच्चों के लिए उनकी मां होती है धीरे-धीरे वह अपने पिता और अपने आसपास के लोगों से प्रेरणा लेते हैं ,अपने शिक्षकों से और पर्यावरण से भी प्रेरणा लेते हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिएआपको अपने लक्ष्य के बारे में ही सोचना चाहिए।
कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ला दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ,गोरखपुर में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं,26 से अधिक वर्षों का अनुभव जिसमें 11 वर्ष प्रोफेसर के रूप में शामिल है, रुचि प्रमुख क्षेत्र अफ्रीकी अमेरिकी कथा और भारतीय अंग्रेजी साहित्य में है। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी विशेषता ब्रिटिश कविता साहित्य आंदोलन ,लोकप्रिय साहित्य ,साहित्यिक आलोचना और भारतीय अंग्रेजी कविता में है। प्रोफेसर शुक्ला ने 21 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया है जिनमें से 11 ने डिग्री प्राप्त की है और 10 वर्तमान में शोध रथ है । आपने पांच पुस्तकें और 24 शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं ।इनकी डिजिटल पहला इंग्लिश लिटरेचर पाठशाला यूट्यूब चैनल है जिसमें 175 से अधिक वीडियो व्याख्यान उपलब्ध है। इन्होंने अपने महाविद्यालय में मासिक मैगजीन की शुरुआत की है ।अति चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी सर ने विद्यार्थियों को इस विषय पर बताया की सफलता असल में क्या है ? सफलता एक प्रतिशत प्रेरणा है और 99% मेहनत है। अगर किसी विद्यार्थी में इनमें से कोई एक चीज नहीं है तो वह आगे नहीं बढ़ पाएगा। सर ने एक लक्ष्य बनाकर चलने की बात कही। सात पी भी याद रखने को बताएं । विद्यार्थियों में पैशन, पर्सीवरेंस, प्लानिंग , पेशेंस,परफेक्शन ,पॉजिटिव एटीट्यूड होना चाहिए।
ए बी सी डी भी याद रखने को कहा ,सर ने ए बी सी डी में बताया कि आपका एटीट्यूड सही होना चाहिए आपका व्यवहार अच्छा होना चाहिए आपका कम्युनिकेशन अच्छा होना चाहिए और आपका डिसिप्लिन सही होना चाहिए ।जितना आप इन ए बी सी डी को याद रखेंगे उतना आप जीवन में सफल होंगे ।सर ने के ख ग घ के माध्यम से भी बच्चों को बताया कि क से क्लेश ना करें , ख से खुश रहें ,ग से गम ना करें और घ से घमंड ना करे।
सर ने अपने वक्तव्य को अटल जी की कविता कदम मिलाकर चलना होगा से प्रेरणा देते हुए खत्म किया।
तृतीय वक्ता डॉ प्रवीण जोशी एक प्रख्यात कवि और लेखक है । इन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में लगभग 350 कविताएं प्रकाशित की हैं, इसके अतिरिक्त उन्होंने कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में 250 से अधिक लेख और रचनाएं भी प्रकाशित की है ।डॉ जोशी पूर्व में डी आर बी सिंधु महाविद्यालय नागपुर में अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष और उप प्राचार्य पद पर कार्यरत थे । वर्तमान में वे डॉ एस. सी. गुलहाने प्रेरणा कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स साइंस एंड आर्ट्स नागपुर के निदेशक हैं। सर ने विद्यार्थियों को बताया कि लक्ष्य की सफलता प्राप्ति के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।जब तक हम शुरुआत नहीं करेंगे तब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होगी। यदि आपने सिर्फ सोच रखा है कि आपको यह कार्य करना है लेकिन आप उस कार्य को करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं तो सोचने का कोई महत्व नहीं है। आपको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा ।लक्ष्य प्राप्ति में कई असफलताएं , कठिनाइयाँ और चुनौतियां आएंगी ।कठिनाइयों और चुनौतियों को देखकर अगर आप अपने कार्य को बीच में छोड़ देंगे तो सफलता मिलना मुश्किल है। सर ने इस बात को समझने के लिए विद्यार्थियों को एक उदाहरण देते हुए डेविड हार्टमैन की कहानी बताई जो पहले दृष्टिबाधित चिकित्सक हैं । सर ने यह भी बताया कि यदि आपको सफलता पानी है तो उन लोगों की आत्मकथाएं पढ़ें जिन्हें सफलता देरी से मिली लेकिन उन्होंने अपनी असफलताओं से हार नहीं मानी। सर ने विद्यार्थियों को कहा कि आप हौसला रखें, शुरुआत करें, और चुनौतियों और परेशानियों को देखकर घबराए नहीं और आगे बढ़ते रहे।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन जिला नोडल अधिकारी कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ डॉ वीणा सिंह द्वारा किया गया।कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर आभा मेघवाल द्वारा किया गया
कार्यक्रम में महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ, जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य गणों एवं प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन जिला नोडल अधिकारी कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ डॉ वीणा सिंह द्वारा किया गया।कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर आभा मेघवाल द्वारा किया गया
कार्यक्रम में महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ, जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य गणों एवं प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की।