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एस.डी.एम. तहसीलदार द्वारा अतिक्रमण के नाम पर मनमाने ढंग से की गई कार्यवाही

दीपक शर्मा

पन्ना ९ सितम्बर ;अभी तक ;  पन्ना जिले मे इन दिनो जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर मनमाने ढंग से कार्यवाही की जा रही है तथा कमजोर एवं गरीब तबके के लोगो को निशाना बनाया जा रहा है। जबकी दूसरी ओर सत्ताधारी एवं राजनैतिक दलो से जुड़े बडे भूमाफियाओं, खनिज माफियाओं, रेत माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में प्रशासन हिम्मत नही कर रहा है। लेकिन भरी वर्षात में गरीबो का आशियाना तोड़कर बाहबाही लूट रहा है तथा वरिष्ट न्यायालय के आदेशको को भी तोड़ मरोड़ कर मनमाने ढंग से अतिक्रमण की कार्यवाही कर रहा है।

इसी प्रकार का मामला बेनीसागर मोहल्ला वार्ड क्रमांक 14 तलैया फील्ड के सामने प्रकाश मे आया है। जहां पर श्रीमती सुमनलता शर्मा पति रामबाबू शर्मा के स्वायित्व की खरीदी हुई 0.36 हैक्टेयर भूमि आरआजी नम्बर 2417/1 स्थित है। जिस पर माननीय न्यायालय एवं कमिश्नर न्यायालय द्वारा इनको पूर्ण रूप से मालिक घोषित किया जा चुका है। उक्त जमीन से इन्होने स्थानीय लोगो को निकलने के लिए साडे़ दस सौ फिट जमीन आम रास्ता के लिए छोड़ दी गई थी तथा 0031 हैक्टेयर पर तारबाड़ी लगाकर अपनी जमीन संरक्षित कर ली गई। उसके बाद दिनांक 6 सितम्बर को तहसीलदार द्वारा एसडीएम के निर्देश पर नोटिस चस्पा कर दिया तथा 7 सितम्बर को बिना नपती किये, जेसीबी मशीन से तार बाउन्ड्री तोड़ दी गई तथा अन्य प्रकार से छति पंहुचाई गई।

इस संबंध मे एसडीएम का कहना है कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर कार्यवाही की गई है। लेकिन न्यायालय द्वारा एक अन्य पक्ष की याचिका पर जो निर्देश दिये गये है। उसमें यह उल्लेख किया गया है कि याचिका कर्ता के वकील धर्मेन्द्र सोनी द्वारा कान्स नम्बर 4418.2023 में उत्तर दाताओं द्वारा दिनांक 9 अगस्त 2024 को जवाब दाखिल किया गया है। जिसमें कहा गया है कि मौखिक निरीक्षण से पता चला है कि सार्वजनिक नाली काफी हद तक किसी भी अतिक्रमण से मुक्त है। लेकिन कुछ हिस्से में शकुन्तला शर्मा द्वारा बाड़ बंदी के रूप मे अतिक्रमण किया गया है, और कानून के अनुसार अतिक्रमण हटाने के कदम उठाये जा रहे है तथा चार सप्ताह बाद प्रतिवादी यह सुनिश्चत करेगें की कानून द्वारा सभी अवैध अतिक्रमण हटा दिया जाये। लेकिन संबंधित मामले में दस फुट आम रास्ता छोडकर किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण किया ही नही गया है।

सुमनलता शर्मा द्वारा अपनी रजिस्ट्री की स्वायित्व की जमीन 2417/1 पर ताड़ी बाडी लगाई गई है तथा साडे़ दस फुट आम रास्ता पूर्व से ही छोड़ी गई है। लेकिन उसके बावजूद प्रशासनिक अमला द्वारा मनमाने ढंग से आवेदिका सुमनलता शर्मा की तारबाड़ी, खंबे आदि तोड़कर अतिक्रमण बताया गया है जो पूर्व में दिये गये अतिरिक्त जिला न्यायालय तथा कमिश्नर के आदेश की अवहेलना की गई है। ज्ञात हो कि जिला न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश पन्ना ने अपने प्रकरण क्र. 1 अ/2007, में निर्णय दिनांक 20/8/2007 में भूमि नं. 2417/1 के जुज रकवा 0.036 आरे में से 0.031 आरे, सुमनलता पत्नि रामबाबू शर्मा को स्वामी घोषित किया तथा 0.005 आरे (10 फुट) रास्ते के लिए छोड़ दिया गया था। आदेश में भी दर्शाया गया है जिसमें-पश्चिम में रामबाबू शर्मा का मकान आराजी खसरा 2417/1 किता 0.036 आरे पूर्व में देवदत्त पाठक का मकान का भवन पक्का रास्ता रोड उक्त छोड़े गये 10 फीट रास्ता, आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में अपील क्र. 735/2007 में “यथास्थिति“ का अंतरिम आदेश दिनांक 17/10/2007 पारित किया गया। जो अपील विचाराधीन है। तदुपरान्त सुमनलता पत्नि रामबाबू शर्मा ने अपनी उक्त डायवर्टेड भूमि नं. 2417/1 रकवा 0.036 हे० (अनुविभागीय अधिकारी (रा.) पन्ना के प्र.क्र. 3 अ-2/94-95 दिनांक 07/1/95) तथा नजूल कार्यालय के प्र.क्र. 24/बी-121/97-98 में पारित आदेश दिनांक 28/7/98 से प्राप्त अनापत्ति के आधार पर नगरपालिका पन्ना के प्र.क्र. 4436 दिनांक 28/2/2013 के द्वारा भूमि नं. 2417/1 के रकवा 0.031 आरे पर भवन निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है। उक्त स्वीकृति के आधार पर भवन एवं बाउण्ड्री का बाकायदा निर्माण कार्य किये जाने के दौरान शिकायतकर्ता की साजिश पर इसी भूमि नंबर 2417/1 रकवा 0.031 आरे पर अतिक्रमण का प्रकरण चला जिस पर न्यायालय तहसीलदार पन्ना ने अपने प्र.क्र. 259/1-68/2012-13 में पारित आदेश दिनांक 28/8/2013 में सुमनलता पत्नि रामबाबू शर्मा के द्वारा किया जा रहा निर्माण वैध पाया। न्यायालय तहसीलदार पन्ना के प्र.क्र. 797/ प्रवाचक/2014/दिनांक 04/3/2014 में संयुक्त जाँच प्रतिवेदन राजस्व निरीक्षक व नगरपालिका पन्ना से कराये जाने पर भी भूमि नंबर 2417/1 पर निर्माण कार्य वैध पाया गया। फिर भी संतोष चदपुरिया की शिकायत पर तत्कालीन तहसीलदार (श्री धुर्वे) पन्ना के प्र.क्र. 848/बी-121/वर्ष 2014-15 में पारित आदेश दिनांक 10/3/2016 के द्वारा सुमनलता पत्नि रामबाबू शर्मा के उक्त निर्मित भवन का 2417/1 की जगह भूमि नंबर 2418 में निर्माण बता कर गिरा दिया। परिणामतः सुमनलता पत्नि रामबाबू शर्मा ने उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश की अवमानना का प्रकरण तहसीलदार श्री धुर्वे, संतोष चंदपुरिया व नगरपालिका पन्ना एवं अन्य 8 लोगों के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर किया जिसका प्र.क्र. एम.सी.सी. 2304/2016 उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है। साथ ही तहसीलदार श्री धुर्वे के आदेश दिनांक 10/3/2016 तथा न्याया० अनुविभागीय अधिकारी (रा.) पन्ना के प्र.क्र. 85/बी-121/ 2015-16 में पारित आदेश दिनांक 16/5/2017 के विरुद्ध कमिश्नर सागर के न्यायालय में अपील की गई। जिसके प्रकरण क्र. 787/बी-121/2016-17 में पारित आदेश दिनांक 18/11/2019 में अधीनस्थ न्यायालय तहसीलदार के आदेश दिनांक 10/3/2016 एवं अनुविभागीय अधिकारी पन्ना के आदेश दिनांक 16/5/2017 को निरस्त करते हुए उल्लेख भी किया है कि वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों की अवहेलना की गई, साथ में यह भी उल्लेख किया है कि अधीनस्थ न्यायालयों को वरिष्ठ न्यायालयों के द्वारा निर्णीत भू सर्वे क्र. 2417/1 में किसी भी प्रकार की कार्यवाही एवं अन्य आदेश पारित करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। तदुपरान्त रामबाबू ने अपनी पत्नी के उक्त भूमि नं. 2417/1 में निर्मित भवन व बाउण्ड्री के जीर्णोद्धार के दौरान सतोष चनपुरिया आदि से सुरक्षा व संरक्षण हेतु अनुविभागीय अधिकारी पन्ना को आवेदन किया था। जिस पर वर्तमान तहसीलदार श्री प्रजापति, तत्कालीन नजूल तहसीलदार थे, तथा राजस्व निरीक्षक सें प्रतिवेदन लेकर तहसीलदार दीपाली जाधव पन्ना के पत्र क्र. 2059/प्रवाचक/ 2022/पन्ना दिनांक 23/9/2022 से कोतवाली पन्ना को सुरक्षा व संरक्षण करने हेतु आदेश जारी किया है। अब पुनः संतोष चनपुरिया ने नागरिक हित संरक्षण समिति पन्ना के सचिव के रूप में वास्तविक तथ्यों को छिपा कर पूर्व तहसीलदार पन्ना का आदेश दिनांक 10/3/2016 को. आधार मानकर राजस्व निरीक्षक व पटवारी के साथ षड़यंत्र व कपट पूर्वक पुनः असंवैधानिक रूप से नाप करते हुए भूमि नंबर 2417/1 को 2418 बताकर तहसीलदार पन्ना के पत्र क्र. 670/प्रवा. /2023/दिनाक 19/4/2023 के द्वारा नगरपालिका पेन्ना को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रपत्र भेजा है जबकि जिन तहसीलदार पन्ना के आदेश दिनांक 10/3/2016 को आधार मानकर यह आदेश जारी हुआ है उसे कमिश्नर न्यायालय सागर के प्र.क्र. 787/बी-121 वर्ष 2016-17 में पारित आदेश दिनांक 18/11/2019 से निरस्त किया जा चुका है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जो भूमि नं. 2418 बताई जा रही है, उसकी कोई भूमि शेष नहीं है सम्पूर्ण रकवा विक्रय होकर मकान बन चुके हैं। यह मामला केवल 2417/1 से संबंधित है, जिसमें 0036 टोटल भूमि है, उसमें 0031 हैक्टेयर सुमनलता शर्मा की है, तथा उन्ही के द्वारा साड़े दस फिट जमीन आम रास्ता के लिए छोडी गई है। इसके अलावा कोई भूमि न तो शासकीय है और न ही 2418 नम्बर की है। उसके बावजूद मनमाने ढंग से अधिकारीयों द्वारा संतोष चनपुरिया के प्रभाव मे आ कर अवैधानिक कार्यवाही करते हुए आवेदक सुमनलता शर्मा का तारबाड़ी खंबा आदि तोडकर तथा पाईप एवं नाली खोदकर मनमाने ढंग से नुकसान किया गया है।

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