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सेवा निवृत्ति  के बाद भी पढ़ाने का जज्बा है बरकरार

विजय सिंह सीधी से
सीधी, 4 सितम्बर ;अभी तक ;  शिक्षा जीवन को दिशा देने वाली कुंजी है। हमें जिस तरह की शिक्षा मिलती है उसी के अनुरूप हमारा जीवन निर्धारित होता है। शिष्य को सही दिशा दिखाने का कार्य गुरु ही करते हैं। सीधी जिले के चार शिक्षक सेवा निवृत्त होने के बाद भी शिक्षा की अलख जगाये हुये हैं। बच्चों को शिक्षा देने का जज्बा उनमें पहले की तरह बरकरार है।
                                   सेवा निवृत्त शिक्षक जे.पी. मिश्रा सीधी जिले के हिन्दी भाषा एवं साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों में गिने जाते हैं। केवल विद्वता ही नहीं बल्कि उनकी कर्तव्य परायणता एवं कार्य के प्रति समर्पण जिले के शिक्षकों के लिये एक स्वस्थ्य उदाहरण है। विशेष तौर पर साहित्य की समीक्षात्मक शैली के लिये वह चर्चित हैं। आपकी सेवा निवृत्ति अभी हाल ही में हुई है और उत्कृष्ट विद्यालय में अभी भी हिन्दी विषय की कक्षा ले रहे हैं।
                                इसी प्रकार सेवा निवृत्त विकासखंड शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत शर्मा जहां एक ओर अपने कुशल एवं दक्ष शैक्षणिक मार्गदर्शन खास तौर से रसायन विज्ञान के लिये जाने जाते हैं वही दूसरी और अपनी प्रशासनिक एवं शैक्षणिक समन्वय का भी लोहा मनाकर अभी 31 अगस्त को सेवा निवृत्त हुये हैं।
                                सीधी जिले में कृषि विज्ञान विषय का झण्डा बुलंद करने का काम डॉ. डी.एन. दुबे ने किया है। इन्होने अपनी शिक्षा एवं प्रशिक्षण शैली से इस जिले के छात्रों के अन्दर एक विशेष जागरूकता पैदा किया था। परिणाम स्वरूप आज कई विद्यालयों में आपके ही शिष्यगण कृषि संकाय को जीवन्त बनाये हुये है।
                                 सहजता सुगमता एवं सुगम जीवन शैली के साथ भौतिकी एवं गणित विषयों की दक्षता रखने वाले श्री विमल प्रकाश गुप्ता जिले के प्रभावशाली शिक्षकों में गिने जाते हैं। गत कई वर्षो से प्राचार्य पद को सुशोभित करते हुये आप अभी सेवा निवृत्त हुये हैं और विद्यार्थियों के पथ प्रदर्शन में संलग्न हैं।

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