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अक्षय भाषा है संस्कृत- पं. शिवकरण प्रधान, संस्कृत भारती के प्रबोधन वर्ग में जिज्ञासु सीख रहे है संस्कृत

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर ३ मई ;अभी तक;  संस्कृत सनातन धर्म की भाषा है, ज्ञान का अक्षय भंडार है, दुनिया सम्पूर्ण भारत को उसके ज्ञान परम्परा के कारण जानती है। विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा संस्कृत है हमारे संस्कारों में, हमारे जीवन, हमारे जीवन के सामाजिक, धार्मिक संस्कारों में संस्कृत रची बसी है। यदि हम हमारे जीवन से संस्कृत को निकाल देते है तो हम निर्जीव हो जाते है । विवाह, जन्म, मुंडन, कथा सर्वत्र प्राणवायु के समान संस्कृत हमारे जीवन में व्याप्त है।
                                         उपयुक्त विचार संस्कृत भारती द्वारा चलाये जा रहे प्रबोधन वर्ग में पं. शिवकरण प्रधान ने कहे।   प्रबोधन वर्ग में जिज्ञासु उत्साह के साथ संस्कृत सीख रहे है। श्री प्रधान ने कहा कि मैं जब छात्रों, बालकों को संस्कृत में बात करते देखता हूं तो मुझे बहुत आनंद होता है और गौरव का अनुभव होता है। मैं तो आठवी तक ही संस्कृत पढ़ा हू लेकिन चाहता हूं की उच्च माध्यमिक स्तर पर भी संस्कृत पढाई जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती निःशुल्क संस्कृत शिविर लगाकर आम लोगो को संस्कृत बोलना सीखा रही है यह एक अभिनंदनीय कार्य है।
                                      इस अवसर पर संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पंडित भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा भारतमाता व सरस्वती माता के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया गया । अतिथि स्वागत भरत बैरागी ने किया। संचालन सपना गुप्ता ने किया व आभार दिलीप दुबे ने माना।

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