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संस्कृत भारत की धरोहर है, संस्कृत से ही संस्कृति और संस्कार है-यशपालसिंह सिसोदिया

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर २ मई ;अभी तक;  जब तक भारत मंे संस्कृत व्याप्त रूप से उपयोग में लाई जाती थी तब तक भारत सोने की चिड़िया रहा है। संस्कृत भारत की धरोहर है संस्कृत से ही संस्कृति और संस्कार है।
                             उक्त बात विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने कही। वे संस्कृत भारती के प्रबोधन वर्ग के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। आपने उपस्थित शिक्षार्थीयो को संबोधित करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि संस्कृत के प्रभाव के कम होने से भारत मे संस्कारों का पतन हुआ यद्यपि हमारे समाज का कोई भी कार्य संस्कृत के बिना नहीं होता जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत जो भी संस्कार होते है यज्ञ हवन हो,गरुड़ पुराण हो या अन्य धार्मिक कार्य हो संस्कृत के बिना सम्पन्न नहीं होते। संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत भारती ने अभिनंदनीय कार्य किया है उनके इस कार्य मंे हम सभी को सहयोग करना चाहिए।
                       इस दौरान प्रांत शिक्षण प्रमुख प्रवेश वैष्णव भी मंचासीन थे। अतिथि स्वागत संस्कृत भारती जिला मंत्री दिलीप दुबे द्वारा किया गया तथा वर्ग की रूपरेखा रखते हुए श्री दुबे ने कहा संभागीय संस्कृत प्रबोधन वर्ग आठ दिवसीय है जिसमें आगर,उज्जैन, मंदसौर,देवास,नीमच,शाजापुर जिले के शिक्षार्थी भाग ले रहे है जिन्हें संस्कृत भाषा का दैनिक जीवन मे कैसे उपयोग किया जाए ऐसा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम माँ सरस्वती व भारतमाता के चित्र पर पुष्पमाला चढ़ाकर व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।  कार्यक्रम का संचालन लोकेश जोशी ने किया व संस्कृत भारती जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम मोड़   ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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