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,बुंदेलखंड की डायरी ; सियासत के बदलते समीकरण 

रवीन्द्र व्यास

बुंदेलखंड के २६ विधानसभा सीटों पर सियासत के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं बुंदेलखंड के सागर संभाग में बीजेपी और कांग्रेस  ने अपने प्रत्याशी चयन में  सियासी और जातीय समीकरणों  को साधने का प्रयास भी किया है इसके बावजूद भी ये दोनों ही दल कार्यकर्ताओं की बगावत और जातीय समीकरणों के असंतोष से जूझ रहे हैं  |  बीजेपी वोट बैंक का बड़ा आधार माने जाने वाले ओबीसी मतदाता के खिसकने से पार्टी  नेताओं में भी बेचैनी देखी जा रही है ऐसे दौर में गृह मंत्री अमित शाह का चुनाव जीतने  का मन्त्र कितना कारगर रहेगा यह चुनावी परिणाम ही तय करेंगे हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चंदला की चुनावी सभा में कांग्रेस को धोखे बाज करार देकर सियासी सनसनी फैला दी |

                  सागर संभाग की 26 विधानसभा सीटों में से सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं २०२३ के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही ओ बी सी के ८ प्रत्याशी ,ब्राह्मण वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं कांग्रेस ने ठाकुर वर्ग पर तो बीजेपी ने जैन वर्ग पर  कुछ ज्यादा भरोसा जताया है कांग्रेस ने ठाकुर  वर्ग से और जैन वर्ग से एक जबकि बीजेपी ने जैन वर्ग से तीन और ठाकुर वर्ग से  चार प्रत्याशी  मैदान में उतारे हैं चुनाव में महिला वर्ग की प्रत्याशियों को उतारने में भी कांग्रेस ने बाजी मारी है कांग्रेस ने पांच विधानसभा क्षेत्रों में महिला प्रत्याशी उतारी हैं तो बीजेपी ने सिर्फ दो विधानसभा क्षेत्र में महिला प्रत्याशी उतारे हैं संभाग की इन २६ विधानसभा सीटों में से अधिकांश पर अपनों ने ही प्रत्याशियों को बड़ी चुनौती दे डाली है |

हिन्दू मतों का विभाजन करने में कांग्रेस कितनी सफल :: 

बुंदेलखंड की विधानसभा सीटों  में अधिकांश सीटों पर हार जीत का रास्ता चाहे जो भी  वर्ग तय करता रहे पर  चुनाव के एक वर्ष पहले से ओबीसी ,दलित  वर्ग को साधने और हिंदुत्व के  विरुद्ध भड़काने का सुनियोजित प्रचार अभियान भी शुरू किया गया था गैर भाजपाई राजनैतिक दलों के निशाने पर भाजपा ही थी |     बीजेपी ने अपने स्तर  पर बहुत कुछ ठीक ठाक करने का प्रयास भी किया |  पर इन सबके बावजूद सागर में पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव  के पुत्र सुधीर यादव ने बीजेपी से नाता तोड़ कर झाड़ू पकड़ ली वही राजनगर विधान सभा क्षेत्र में छतरपुर बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ घासीराम पटेल ने  ने बीजेपी से अलग होकर हाथी की सवारी कर ली पन्ना की कुसुम मेहदेले पहले से ही बीजेपी नेतृत्व से नाराज चल रही हैं उमा भारती की भी नाराजगी जग जाहिर है छतरपुर जिले की बड़ामलहरा से पूर्व विधायक रेखा यादव ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया है |

जबकि कांग्रेस ने इस वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को जिम्मेदारी सौंपी थी अरुण यादव ने बुंदेलखंड के हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर  पिछड़ा वर्ग को साधने का प्रयास किया |

जातीय जनगणना 

जो कांग्रेस कभी जातीय जनगणना का विरोध करती थी आज वह इसी मुद्दे पर लोगों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद कर रही है हाल ही में जब प्रियंका गांधी दमोह दौरे पर आई तो उन्होंने बीजेपी को ना सिर्फ धर्म के मुद्दे पर घेरा बल्कि  ओबीसी एससी एसटी के मुद्दे पर कहा  कि  हम जातिगत जनगणना  करवाएंगे। इससे पता चल जाएगा कि किस वर्ग के कितने लोग हैं। सरकार जानते ही नहीं तो वो न्याय कैसे करेगी। एक तरह से उनका आरोप था कि बीजेपी सरकार जातिगत जनगणना  ना  कराकर एक तरह से इस वर्ग से अन्याय कर रही है |

                           जातीय  जनगणना के मसले पर बीजेपी भले ही मौन हो पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कांग्रेस को इस मसले पर जम कर लपेटा वे ३ नवम्बर को छतरपुर जिले के  चंदला में मध्यप्रदेश की  पहली चुनावी सभा करने आये थे |  उन्होंने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए  कहा कि जिसने देश में आजादी के बाद जातिगत जनगणना रोक लगा  दी वह भी अब कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए हमारी पार्टी का स्पष्ट मानना  है  कि हमारी सरकार जब भी  बनेगी तो पहला  फैसला जातिगत  जनगणना  का ही लिया जाएगा |  समाजवादी पार्टी  ने सबसे पहले जातिगत की जनगणना  की बात की  अब  सब दलों के लोग बोलने लगे हैं / अब  देश में वह सरकार बनेगी जो जातिगत की जनगणना करवाएगी  |  यह तो राजनीति का  चमत्कार है कि अब दूसरे दल भी जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं |

 शाह का  जीत  मंत्र

पिछले दिनों  मध्य प्रदेश दौरे पर आये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  खजुराहो में सागर संभाग के कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों की  बैठक ली बैठक में अमित शाह ने कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को “बूथ जीतेंगेचुनाव जीतेंगे”  का मंत्र दिया। दरअसल बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में  ५० फीसदी से ज्यादा मत प्रतिशत पाने का लक्ष्य तय किया है बीजेपी को इस लक्ष्य पाने के लिए बूथ जीतो अभियान पर  फोकस तो करना पडेगा किन्तु बीजेपी में जिस तरह से आंतरिक असंतोष देखने को मिल रहा है उसमे बूथ जीतो मन्त्र कितना कारगर हो पाता है अब शिवराज की नौगांव सभा की ही बात कर लें तो उनकी सभा में बीजेपी के महराजपुर क्षेत्र के बड़े नेता मंच से नदारत रहे जबकि उसी दिन ये नेता नौगांव के ही एक बीजेपी नेता के घर बैठक कर रहे थे असल में महराजपुर में मानवेन्द्र सिंह के पुत्र कामाख्या प्रताप सिंह को टिकट दिए जाने से बीजेपी के नाता नाराज चल रहे हैं

 समीकरण बनाते और बिगाड़ते साइकिल और हाथी ,

                सियासी समीकरण बुंदेलखंड में बागी बनाते और बिगाड़ते रहे हैं इस बार भी बागी प्रत्यासी दोनों दलों के सियासी समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका अदा करेंगे हालांकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल ने बागियों पर कार्यवाही करना शुरू कर दिया है | 41 सागर विधान सभा क्षेत्र में बीजेपी के शैलेन्द्र जैन का मुकाबला अपनी ही बहू  कांग्रेस की निधि जैन से है यहां बीजेपी के बागी मुकेश जैन ढाना  आम आदमी से खड़े हैं |  इसी तरह सागर जिले की बंडा विधान सभा क्षेत्र में बगावत सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है यहां बीजेपी के सुधीर यादव ने भी आम आदमी की झाड़ू पकड़ ली है तो शाहगढ़ निवासी रणजोर सिंह ने हाथी की सवारी कर बीजेपी के सामने मुश्किलें कड़ी कर दी हैं टीकमगढ़ में बीजेपी के पूर्व विधायक  के के श्रीवास्तव की बगावत बीजेपी को भारी पढ़  सकती है छतरपुर जिले में भी लगभग हर सीट पर बगावत का यही असर है बगावत का सबसे ज्यादा असर महराजपुर में देखने को मिल रहा है यहाँ बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बागियों से त्रस्त हैं कांग्रेस के दौलत तिवारी ने साइकिल की सवारी कर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी उनके समर्थन में  पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की पुत्री निधि चतुर्वेदी प्रचार में जुट गई हैं | | निधि के सपा प्रत्यासी के प्रचार करते ही कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष  ने छतरपुर जिले के कांग्रेस से बगावत करने वाले अजय दौलत तिवारी,निधि चतुर्वेदी,डीलमणि सिंह बब्बू राजाधीरज मिश्रा,अभय तिवारी,पुष्पेंद्र अहिरवार,दिनेश यादव को 6 वर्ष के लिए निष्काषित कर दिया है |

                       अगर २०१८ के  चुनावी परिणाम  देखें  तो सागर संभाग की २६ विधानसभा सीटों में बीजेपी को 37. 44 फीसदी मत मिले थे जो 2013 के चुनाव से 4. 13 फीसदी कम थे कांग्रेस को २०१८ में ३४. ३१ फीसदी वोट मिले जो   2013 के मुकाबले ४.38 फीसदी  वोट  कम थे।  पर उसके दस विधायक चुने गए बसपा और सपा से एक एक विधायक चुना गया देखा जाए तो 2018 में बीजेपी कांग्रेस से मत प्रतिशत में 3.13 फीसदी मतों की बढ़त बनाये रही पर इस बढ़त के बावजूद सीटों का यह खेल बहुत कुछ बागियों ने बिगाड़ा  इस  चुनाव में भी बागी दोनों दलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं |

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