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मलेरिया दिवस विशेष ; सात सालों में सिमटकर .7% रह गए मलेरिया केस, वर्ष 2015 में मिले थे 4500 मलेरिया पॉजिटिव, 2022 में मिले मात्र 30

 मंडला संवाददाता
मंडला २५  अप्रैल ;अभी तक;  जिले में मलेरिया के केस पिछले 7 सालों में कम से कम तर होते हुए वहां तक पहुंच गए कि इन आंकड़ों को अब पूर्णांक प्रतिशत में भी नहीं लिया जा सकता। वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2022 में जिले भर में मिले मलेरिया के पॉजिटिव केसों की संख्या मात्र  .7% तक रह गई है। मलेरिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में जिलेभर में मलेरिया के 4500 पॉजिटिव केस मिले थे जबकि वर्ष 2022 में मात्र 30 मलेरिया पॉजिटिव केस सामने आए। मलेरिया अधिकारी राम शंकर साहू का कहना है कि
जिलेभर में मलेरिया के एक भी के सामने ना आए इसी दिशा में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में काम किया जा रहा है।
मार्च 2020 तक चला प्रोजेक्ट
जिले को मलेरिया मुक्त जिला बनाने के प्रयास में वर्ष 2017 से मार्च 2020 तक मलेरिया डेमोंसट्रेशन प्रोजेक्ट का संचालन किया गया। इस परियोजना से भी मलेरिया की रोकथाम करने में लोगों को जागरूक करने में मलेरिया से निपटने में और मलेरिया से बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानियां अपनाने के लिए लोगों को जागरूक किया गया इसके साथ ही मलेरिया विभाग ने भी परियोजना को सफल बनाने के लिए विभागीय ताकत झोंक दी। यही कारण है कि जहां वर्ष 2015 में 4500 मलेरिया पॉजिटिव के सामने आए। वर्ष 2016 में 1400 पॉजिटिव केस दर्ज किए गए, वहीं 2018 में मात्र 330 पॉजिटिव केस दर्ज किए गए। इसके बाद लगातार पॉजिटिव केसो में कमी आती गई जो वर्ष 2022 में सिमटकर 30 पॉजिटिव केस तक रह गई।
प्रवासियों में मिलते हैं मलेरिया पॉजिटिव
जिले से बहुत से मजदूर प्रवास में दक्षिण भारत की तरफ जाते हैं। इनमें तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु आदि प्रमुख राज्य हैं। जहां जिले के मजदूर बांस की कटाई के लिए, मिर्ची की तुढ़ाई के लिए जाते हैं। इनमें अधिकतर क्षेत्र ऐसे हैं, जो मलेरिया जनित है। यही कारण है कि जब यह प्रवासी लौट कर आते हैं तो उन पर सख्त नजर रखी जाती है और उनकी जांच पड़ताल की जाती है। बताया गया है कि वर्ष 2022 में 27 प्रवासियों की स्लाइड बनाने पर उसमें से आठ केस पॉजिटिव मिले।
मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए अपनाए गए उपाय
* दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति की गई जो रिपोर्ट तैयार करते उसकी लगातार फीडबैक लेते पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की लगातार जांच पड़ताल होती।
* दैनिक वेतन भोगियों से विभागीय अधिकारी लगातार काउंसलिंग करते हैं ताकि कामकाज में आने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी दी जा सके। दैनिक वेतन भोगियों को मलेरिया इनस्ट्रक्टर लगातार कोऑर्डिनेट करते हैं ताकि मलेरिया की रोकथाम में किसी भी तरह की अड़चन आने पर जानकारी मिल सके।
* प्रवासी मजदूरों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है कि वह कब प्रवास पर जाते हैं। कब वे प्रवास से लौट कर आते हैं ताकि उन्हें ट्रैक किया जा सके और उनका उपचार किया जा सके।
* विभागीय जानकारी के अनुसार प्रवासी मजदूर एक साथ वापस लौट कर नहीं आते। वे 10 से 15 की संख्या में वापस लौटते हैं। वापस लौटने वाले सभी प्रवासी मजदूरों की स्लाइड बनाई जाती है। जो पॉजिटिव पाए जाते हैं उन्हें उपचार दिया जाता है। साथ ही पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की कांटेक्ट रेसिंग भी की जाती है। यानी पॉजिटिव मरीज मरीजों के परिजन और उनसे मिलने वालों का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। पॉजिटीव मिलने वाले मरीजों के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में रैपिड फीवर सर्वीलियांस _आर एफ एस   चलाया जाता है और अगले 7 दिनों तक लगातार पॉजिटिव मरीजों से मिलने वालों पर नजर रखी जाती है  7 दिन बाद दोबारा उनका  आर एफ एस किया जाता है। इन प्रवासियों को बुखार हो अथवा ना हो उनकी जांच करना जरूरी होता है।
रैंडम ट्रैकिंग सर्वे भी
जिला मलेरिया अधिकारी राम शंकर साहू ने बताया कि जिले में रेंडम ट्रैकिंग सर्वे भी किया जाता है। पिछले 3 वर्षों के उन गांवों की रिपोर्ट को प्राथमिकता पर रखा जाता है, जहां पिछले 3 वर्षों में कोई भी मलेरिया पॉजिटिव मरीज मिला हो। इन गांवों में रैंडम टेस्ट किया जाता है। जुलाई-अगस्त सितंबर अक्टूबर के महीने में संक्रमण की संभावना अधिक होती है। इसीलिए इन चारों महीनों में प्रत्येक माह रेंडम ट्रैकिंग सर्वे किया जाता है। पिछले 3 साल का डाटा तैयार किया जाता है।
सीमावर्ती गांव में चलाया जाता है अभियान
मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जिले के सभी सीमावर्ती गांवों में स्पेशल सीवर सर्वे किया जाता है। जिले के मवई, बिछिया, नैनपुर जनपदों में सीमावर्ती गांव हैं। यहां प्राथमिकता के साथ मानसून से पहले, मानसून के मध्य एवं मानसून के बाद स्पेशल रैपिड फीवर सर्वे किया जाता है क्योंकि इन गांवों में अन्य जिलों के लोग आना-जाना करते हैं। यही कारण है कि यहां यह सर्वे नियमित रूप से किया जाता है। पिछले अनुभवों के अनुसार जिले में प्रवासी मजदूरों में ही पॉजिटिव केस अधिक पाए गए। वर्ष 2021 व वर्ष 2022 में बिछिया में प्रवासियों में 47 मरीज सामने आए थे। यही कारण है कि प्रवासियों पर विशेष नजर रखी जाती है।

 

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