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ग्राम पंचायतों को वृक्ष काटने की अनुमति देने के अधिकार; पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ३ अप्रैल ;अभी तक;  मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता में संशोधन कर ग्राम पंचायतों को वृक्ष काटने की अनुमति देने के अधिकार मिलने से समूचे प्रदेश में हजारों की संख्या में वृक्षों की कटाई की जाने लगी है जिसके कारण पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना है।
मध्य प्रदेश नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष श्री पीजी नाजपांडे एवं अधिवक्ता रजत भार्गव द्वारा इस संशोधन के विरूद्ध 1 अप्रैल को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका प्रस्तुत की  है जिसके आधार पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने शासन को 4 सप्ताह के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किये है।
इस संबंध में रोक लगाये जाने बाबद स्थगन आदेश जारी किये जाने विषय पर शासन से जवाब मिलने के बाद सुनवाई की जायेगी।
डॉक्टर पीजी नाजपांडे ने अवगत कराया की मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता विविध अधिनियम 2020 के नियम 75 में संशोधन कर तहसीलदार के स्थान पर ग्राम पंचायत पटवारी रिपोर्ट शब्द को समाविष्ट किया गया है इस कारण पंचायतों को वृक्ष काटने की अनुमति देने का अधिकार मिल गया है।
उन्होने यह भी अवगत कराया की सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई जानकारी के बिंदुओं को याचिका में प्रस्तुत कर माननीय न्यायालय को अवगत कराया गया है की ग्राम पंचायत बीरनेर 419, ग्राम पंचायत बम्हनी में 1440, ग्राम पंचायत नंादाखेडा में 168, ग्राम पंचायत घुंसोर में 22 ऐसे एकमुश्त में सागौन के 2049 वृक्ष काटने की अनुमति दी गई है।
इस संबंध में अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी करते करते हुए कहा कि यह संशोधन संविधान में उल्लेखित प्रावधानों के खिलाफ है। पंचायत पदाधिकारी मतदाताओं को खुश करने के लिये प्रदेश के सभी जिलों में वृक्ष काटने के आदेश जारी कर रहे है। अत इस संशोधन के क्रियान्वयन पर स्थगन आदेश जारी किया जाना आवश्यक है।
यह उल्लेखनीय है की बालाघाट जिले में भी इस तरह पेडों की कटाई की अनुमति पंचायतों के माध्यम से दी जा रही है जिसकी आड़ में वृक्षों की कटाई बडे पैमाने पर की जा रही है।

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