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हर इंसान को बचना चाहिए कलयुग के इस मार्ग से कलयुग की छाया से राजा परीक्षित को भी करना पड़ा था बड़ा पश्चाताप ; पंडित शुभम जोशी

महावीर अग्रवाल
मंदसौर १५ जून ;अभी तक;  श्री हनुमंत भागवत कर्मकांड परिषद के श्रीमद् भागवत संकल्प यात्रा के तहत बंजारी बालाजी मंदिर प्रांगण पर किया जा रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा का सुंदर आयोजन श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस में प्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित श्री मुकेश शर्मा नारायण जी के शिष्य पंडित शुभम जोशी उज्जैन वाले के द्वारा कहा गया कि हर इंसान को कलयुग की इस छाया से बचना चाहिए कलयुग की छाया उसी व्यक्ति के ऊपर आती है जो बिना परिश्रम से धनवान बनना चाहता हो उस व्यक्ति के ऊपर होती है कलयुग के छाया जिस प्रकार इंसान पाप कर्म के मार्ग पर चलकर धन-संपत्ति सिंचित करता है उसकी कमाई हुई संपत्ति में होता है कलयुग का वास बिना परिश्रम से कमाई हुई धन-संपत्ति से इंसान सदैव गलत मार्ग की ओर बढ़ता है इस कारण बचना चाहिए इंसान को पाप कर्म के मार्ग से सबसे बड़ा सुख पूर्ण मेहनत से कमाई हुई धन संपत्ति से होता है उसमें ही होता है सुख शांति का वास राजा परीक्षित बड़े भक्तवत्सल राजा थे प्रजा के बड़े सेवक थे लेकिन कलयुग का आगमन राजा परीक्षित के राज्य में हुआ राजा परीक्षित ने कलयुग को समस्त गलत स्थानों में ही स्थान दिया एक स्थान स्वर्ण के अंदर दिया गया कि जिस इंसान के द्वारा पाप अत्याचार से संपत्ति को एकत्रित किया जाएगा उसमें भी होगा कलयुग का वास जहां शराब जुआ जेसे गलत कर्म होते हैं वहां होता है कलयुग का वास इंसान को हर गलत कर्म से बचना चाहिए राजा परीक्षित अपने राज्य खजाने से स्वर्ण का मुकुट निकालकर धारण करते हैं उनके पहले राज्य करने वाले राजाओं ने उस स्वर्ण के मुकुट को कहीं राज्य के ऊपर हमला कर एकत्रित किया गया था वह स्वर्ण अत्याचार के मार्ग से कमाया हुआ था इस कारण राजा परीक्षित के सर पर भी होता है कलयुग का वास इस कलयुग की छाया में राजा परीक्षित संत का अपमान कर बैठते हैं इस कारण राजा परीक्षित को संत के द्वारा श्राप दिया जाता है कि 7 दिन के अंदर ही राजा परीक्षित को प्रायश्चित करना है तक्षकं नाग के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु होगी सात दिवस राजा परीक्षित संतों के सानिध्य में भगवान की भक्ति को समर्पित करते हैं इस कारण कहा जाता है कि यह कलयुग की छाया गरीब से लेकर राजा को भी नहीं छोड़ती है इस कारण भूलकर भी किसी भी इंसान को पाप कर्म के मार्ग पर नहीं चलना चाहिए।
समस्त जानकारी मनीष शर्मा के द्वारा दी गई ।

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