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दो हफ्ते में एटमी हथियार बना सकता है ईरान:अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री की रिपोर्ट में दावा; पहाड़ों के नीचे न्यूक्लियर फैसिलिटी मौजूद

अमेरिका ने दावा किया है कि ईरान महज दो हफ्तों में परमाणु हथियार बना सकता है। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री ने स्ट्रटेजी फॉर काउंटरिंग वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन रिपोर्ट 2023 में कहा- ईरान के पास रिकॉर्ड समय में हथियार बनाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और तकनीकी जानकारी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ईरान बेहद कम समय में एटमी हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री बना सकता है। दरअसल, ईरान का यूरेनियम का उत्पादन परमाणु हथियार बनाने के लेवल तक पहुंचता जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने यूरेनियम को 60 प्रतिशत कर एनरिच कर लिया है। मिडिल ईस्ट का यह देश परमाणु हथियार के लिए अब 83.7 %प्योर यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। हथियार बनाने की कैपिसिटी के लिए 90% प्योर यूरेनियन पार्टिकल्स की जरूरत होती है।
वहीं, मई 2023 में सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ था कि ईरान पहाड़ों के नीचे परमाणु हथियार बना रहा है।
AP की रिपोर्ट के मुताबिक फोटो में ईरान के वर्कर्स जागरोस के पहाड़ों में टनल खोदते दिखाई दे रहे हैं। ये जगह ईरान की न्यूक्लियर साइट नातांज के बिल्कुल करीब है, जो लगातार पश्चिमी देशों के हमले का शिकार होते आ रही है। ये देश नहीं चाहते हैं कि ईरान परमाणु शक्ति हासिल करे।
तस्वीर इजराइल की नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी की है।
तस्वीर इजराइल की नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी की है।
ईरान ने परमाणु हथियार नहीं बनाने की डील की थी
करीब 22 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। आठ साल पहले यानी 2015 में ईरान की चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ न्यूक्लियर कार्यक्रम बंद करने को लेकर एक डील हुई थी। ये समझौता इसलिए हुआ क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वो ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन उन्हें बनाने की सारी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।
2010 में ईरान को रोकने के लिए UN सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इनमें से ज्यादातर अब भी जारी हैं। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द किया। ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए। लेकिन बाइडेन आए तो ईरान पर नर्म रुख अपनाया।

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