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व्यक्ति को सत्संगी और सनातनी होना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज, केशव सत्संग भवन में प्रारंभ हुई श्रीमद भागवत कथा

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर ४ जुलाई ;अभी तक;  श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। चातुर्मासिक प्रवचनों का प्रारंभ मंगलवार 4 जुलाई से किया गया। इसके अंतर्गत अब प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक संतश्री द्वारा श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जायेगा।

                        मंगलवार 4 जुलाई को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि व्यक्ति को सत्संगी और सनातनी होना चाहिए। आपने कहा हि यह शरीर हमें मिला है तो हमें प्रभु भक्ति में ध्यान नहीं लगाना चाहिए। आपने बताया कि जो व्यक्ति मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी प्रभु भक्ति नहीं करना उसका जीवन निर्थक होता है।

आपने बताया कि हमे जिसके बारे शोक करना चाहिए उसपर तो हम शोक नहीं करते और मृत्यु होने पर शोक करते है। लेकिन मृत्यु होने पर शोक नहीं करना चाहिए क्योंकि आत्मा कभी नहीं मरती हमें शोक अपने पापों का करना चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि हम पाप करने से कैसे बचे हमसे कोई पाप या गलत कार्य न हो।

आपने धर्मसभा मे बताया कि श्रीमद भागवत कथा के ग्याहरवें स्कंद में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य के बारे में विस्तृत से बताया जायेगा। इस बार अधिकमास भी और यह 18 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है मतलब की दो सावन मास के मध्य की अवधि अधिकमास के अंतर्गत है। अधिकमास धर्म करने का मास माना जाता है। इसलिए इस समय अधिक से अधिक धर्म करना चाहिए। धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण का ध्यान कर आरती के पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, मदनलाल देवडा, जगदीश गर्ग, प्रवीण देवडा, कन्हैयालाल रायसिंघनी, संतोष जोशी, शंकरलाल सोनी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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