प्रदेश

खनिज मंत्री के ग्रह जिलें मे रेत का अवैध कारोबार लगातार जारी, कलेक्टर तथा खनिज अधिकारी द्वारा नही की जा रही कोई कार्यवाही

दीपक शर्मा

पन्ना ५ अप्रैल ;अभी तक; पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील अन्तर्गत जीवनदायिनी केन नदी में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन युद्ध स्तर पर चल रहा है। केन नदी के दर्जनभर से अधिक घाटों में आधा सैकड़ा से अधिक दैत्याकार प्रतिबंधित एलएनटी पोकलेन एवं लिफटर मशीनें केन नदी को तहस.नहष करने में लगी हैं। इसके अलावा केन नदी से लगे क्षेत्रों की निजी भूमी, शासकीय भूमि, शांति धाम, जलाशय, धार्मिक स्थल, गोचर भूमि इत्यादि को भी प्रतिबंधित मशीनें खोखला करने में लगी हुई हैं।

                                         जानकारी के अनुसार सुनहरा, बीरा, फरस्वाहा, उदयपुर, बरकोला, चंनदौरा, चांदीपाठी आदि घाटों में नदी की धारा को रोक कर प्रतिबंधित मषीनों से रेत का उत्खनन लगातार डेंढ वर्ष से बिना किसी प्रशसकीय स्वीकृति के चल रहा है। इसी प्रकार रामनई में निजी भूमि और गोचर भूमि में धड़ल्ले से उत्खनन जारी है।

यह भी बताया जा रहा है कि रेत माफियाओं के कैंपों में अंतर्राज्यीय हथियारबंद बदमाशों को रखा गया है जो विरोध या शिकायत करने वाले ग्रामीणों को प्रताड़ित करते हैं। शिकायतों पर कार्यवाई के बजाय शिकायतकर्ताओं की सूचना माफियाओं को देते है। जिससे माफियाओं के हथियारबंद गुर्गे शिकायतकर्ताओं को प्रताड़ित करते हैं जिससे अब क्षेत्र वासियों ने शिकायत करना भी बंद कर दिया है। जिससे कुछ लालची अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से रेत माफिया रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन में दिन.रात जुटे हुए हैं। जबकी यह क्षेत्र प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का विधानसभा है।

एनजीटी के नियमों का उलंघन केन नदी का अस्तित्व खतरे में बताया जा रहा है कि कई जगह एनजीटी के नियमों का उलंघन करते हुए नदी की धारा को रोककर मशीनों से उत्खनन किया जा रहा है जिससे केन नदी का अस्तित्व खतरे में है मशीनों की धमाचौकड़ी से नदी का पानी दूषित हो रहा है और यह पशुओं एवं जीव जंतुओं के पीने योग्य भी नहीं बच रहा है, कीचड़ युक्त मटमैला पानी पीने से किसानों के पालतू पषु गाय भैंस इत्यादि बीमार हो रहे हैं जिससे क्षेत्रवासी परेशान है। बीरा बना रेत माफियाओं का गढ़ जानकारी के अनुसार बीरा क्षेत्र अवैध उत्खनन का गढ बना हुआ है। यहां पर लगातार मशीने अवैध उत्खनन चल रहा है तथा पूर्व में जप्त की गई सैकडो डम्फर रेत भी माफियाओं ने बेंच डाली है। उक्त अवैध कारोबार मे स्थानीय चौकी प्रभारी भानू प्रताप सिंह की संलिप्तता मूल रूप से है। जो अवैध उत्खनन करने वाले माफियाओं के हिस्सेदार बनें हुए है।

जलीय जीव जंतुओं का अस्तित्व खतरे में ;

केन नदी में पहले अनगिनत घड़ियाल, मगरमच्छ एवं अनेकों प्रकार के जलीय जीव थे लेकिन अब यह धीरे. धीरे विलुप्त हो रहे हैं क्योंकि दैत्याकार मषीनों से अंधाधुंध रेत के उत्खनन से नदी के पुराने घाट ध्वस्त हो रहे हैं जिससे इन जीव जंतुओं को प्रजनन योग्य जगह नहीं मिल रही है जिससे इनका अस्तित्व संकट में है। नदी किनारे बागवानी करने वालों का रोजगार छिना यह भी पता चला है कि केन नदी के टापू में और किनारे कलिंदा, ककड़ी, परवल, सहित अनेक प्रकार की सब्जीयां भी स्थानीय लोग पैदा करते थे लेकिन रेत के चल रहें अवैध कारोबार से स्थानीय लोगो का उक्त अजीविका का साधन भी खत्म कर दिया गया है जिससे अब वह बेरोजगार होकर पलायन करने को मजबूर हैं। मशीनों से तोड़ दिए गए सदियों पुराने नदियों के घाट लालची रेत माफिया के द्वारा रेत के लालच में या फिर वाहनों एवं मषीनों के आवागमन हेतु रास्ता बनाने के लिए नदी के सदियों पुराने घाटों को तोड़ दिया गया बचे हुए घाटों को भी बेरहमी से तोड़ा जा रहा है जिससे नदी का स्वरूप विकृत हो रहा है तो दूसरी ओर घाट तोड़े जाने से आसपास के ग्रामों में बारिश के दिनों में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है सबसे ज्यादा इस प्रकार का खतरा रामनई में बताया जा रहा है जहां सदियों पुराने घाट तोड़े जाने से ग्राम रामनई खतरे के मुहाने पर पहुंच चुका है लेकिन लालची रेत माफिया और कमीशनखोर अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि अनदेखा कर रहे हैं जिसका खामियाजा बेकसूर ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है।

आधा दर्जन से अधिक नेताओं के रिश्तेदार लिप्त ;

बताया जा रहा है कि रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन में नेताओं के आधा दर्जन से अधिक रिश्तेदार लगे हुए हैं कई बार यह मामला उजागर हुआ है लेकिन इसे दबा दिया जाता है बीते दिनों जब गोली कांड हुआ था तब भी नेताओं के परिजनों की संलिप्तता सामने आई थी लेकिन मामले को माफी मांगवा कर दबा दिया गया। डकैतों से कम नहीं रेत माफिया का खौफ क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अजयगढ़ क्षेत्र हमेशा डकैतों के खौफ से थर्राता रहा है पर कुछ समय से डकैतों का सफाया हो गया लेकिन अब यह रेत माफिया के रूप में सफेदपोश डकैत आ चुके हैं जो एक तो समाज में सभ्य और इज्जतदार माने जाते हैं पर इनकी काली करतूतें रेत माफिया के रूप में देखी जा रही है जिन्हें क्षेत्रवासी अब चिन्हित भी कर चुके हैं और आने वाले समय में इसका जवाब भी दे सकते हैं। पर वर्तमान में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन दिन रात अंधाधुंध तरीके से जारी है। उक्त अवैध रेत के कारोबार के खिलाफ स्थानीय कलेक्टर तथा खनिज अधिकारी द्वारा एवं क्षेत्रीय अधिकारीयों द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है। जबकी अधिकारीयों को अवैध कारोबार रोकनें तथा क्षेत्र में व्यवस्था बनाने के लिए शासन द्वारा जनता की मेहनत तथा टैक्स से मोटी वेतन दी जाती है। लेकिन अधिकारी सिर्फ शासकीय मशीनरी का अपनी निजी गतिविधियों का उपयोग करते है तथा एशोआराम की जिंदगी जीते हुए अवैध माफियाओं से कमीशन वसूलने में लगें हुए है। जिला मुख्यालय में विगद दो महिनो से अवैध रेत के ट्रैक्टरो की धमा चौकडी मची हुई है। बिना किसी दस्तावेज के एक सैकडा से भी अधिक टै्रक्टर रेत से लदे हुए आतें है। इनके खिलाफ भी खनिज विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है। जबकी जिला मुख्यालय में कलेक्टर से लेकर सभी अधिकारी उक्त नजारा देखते है।

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