प्रदेश

जनवरी 2021 में सीहोर जिले से रेलवे माध्यम से कीड़ा लगा सड़ा गेहूं बालाघाट भेजा गया

आनंद ताम्रकार

बालाघाट १८ अक्टूबर ;अभी तक;  प्रदेश के सीहोर जिले से रेलवे रैंक के माध्यम से बालाघाट जिले में वर्ष 2021 जनवरी माह में 26373 क्विंटल गेहूं से भरी 52140 बोरी आई थी। उक्त गेहूं रेलवे रैंक के बालाघाट रवाना होने के पहले से घुन लग गया था तथा उसमें जीवित कीड़े पाये गये थे ऐसे अमानक स्तर का गेहूं बालाघाट भेज दिया गया।

                          गेहूं के बालाघाट पहुंचने पर नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने गेहूं की वास्तविकता देखकर उसे लेने से अमान्य कर तथा तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य को वास्तविकता से अवगत कराया गया।

श्री दीपक आर्य ने सीहोर से आये गेहूं के वितरण पर रोक लगाते हुये उसे बालाघाट गोगलई तथा वारासिवनी सहित जिले के अन्य गोदामों में भण्डारित करवा दिया गया था। उक्त गेहुं आज दिनांक तक जस का तस  ही नहीं और उससे बदत्तर हालात में पहुंचा दिया गया है।

सूचना के अधिकार के तहत जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम बालाघाट द्वारा पत्र क्रमांक 692 दिनांक 11/10/2023 के माध्यम से दिनांक 11 जनवरी 2021 को निरीक्षण प्रतिवेदन और पंचनामा की रिपोर्ट की प्रतिलिपि में उल्लेख किया है की सीहोर जिले से बालाघाट जिले के लिये रेलवे रैंक के माध्यम से जो गेहूं प्रदाय किया गया है उसमें अनेक विसंगतियां पाई गई है जिसमें आटा फार्मेशन गेहूं है जिसमें अधिकांश बोरों में डस्ट भरी हुई है गेहूं की बोरियों से सफेद पाउडर गिर रहा है बहुत सी बोरियों से दुर्गंधयुक्त गेहूं भरा हुआ है और गेहूं लुगदी की शक्ल में बदल गया है जिन बोरियों में गेहूं भरा गया है वह अत्यंत फटी हुई स्थिति में है तथा रैंक की हर वेगन में कुछ बोरियां ऐसी प्राप्त हुई है जिनमें 10-20 किलो वजन मापा गया है। वैगनों में गेहूं भरे जाने के पूर्व त्रिपाल नही बिछाये जाने से सारा सारा गेहुं सीमेंट युक्त हो गया है। गेहूं की अत्यधिक मात्रा में जीवित कीड़े पाये गये है।

उल्लेखित निरीक्षण  प्रतिवेदन में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक,जिला खाद्य अधिकारी एवं जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश वेयर हाउस कारपोरेशन बालाघाट के हस्ताक्षर है।

जिला प्रबंधक द्वारा दी गई जानकारी में अवगत कराया गया है की अमान्य किये गये गेहूं का जिला कैटिगराइजेशन कमेटी की अनुशंसा पर नीलाम किया जाना उल्लेखित है तथा माह अक्टूबर 2023 की स्थिति में 7990.36क्विंटल गेहूं की मात्रा का उठाव नीलामी के माध्यम से हो चुका है।

इस प्रकार समर्थन मूल्य पर सीहोर जिले में खरीदा गया गेहूं जो पहले से ही खराब होकर कीटग्रस्थ  हो चुका था तथा मानव उपभोग के लायक नहीं था उसे ही जानबूझकर बालाघाट भिजवाया गया ताकी सच्चाई को छुपाया जा सके।

केन्द्रीय खाद्य विभाग के मानकों के अनुसार गेहूं की औसत मानकता 6 माह की होती है जबकि 2020-21 की अवधि में खरीदे गए गेहूं को 3 साल बीत गये गेहूं की बर्बाद हुई हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है की आज वर्तमान में किस हालत में पहुंचा दिया गया है।

आधिकारिक सूत्रों से यह भी पता चला है की सीहोर जिले से बालाघाट आई रेलवे रेंक माल भाडे के तौर पर लगभग 20 लाख रुपयों का भुगतान किया गया है।

सिहोर जिले के अधिकारियों की संलिप्तता और गोदाम में गेहुं के रखरखाव में बरती गई लापरवाही के चलते लगभग 10 करोड रूपये का गेहुं पाउण्डर में तबदील हो गया इस लापरवाही के लिये आज तक किसी को जिम्मेदार नही ठहराया गया।

ऐसा प्रतीत होता है की इस तरह की लापरवाही राजनैतिक सरक्षण और अफसरों की संलिप्तता के चलते की गई है इस लिये आज तक इस मामले पर पर्दा पड़ा हुआ है।

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