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माधुरी बेन को हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत, कलेक्टर ने एक वर्ष के लिए किया जिला बदर

मयंक शर्मा

बुरहानपुर 7 जुलाई, ;अभी तक; – कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री भव्या मित्तल ने जिले में शांति व्यवस्था बनाये रखने के उद्देश्य से जिलाबदर की कार्यवाही की है। जिला कलेक्टर सुश्री मित्तल ने मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5 (क) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनावेदिका माधुरी बेन पति एन.हरीश उम्र 63 वर्ष निवासी नानकसिंह गांधी का मकान, महालक्ष्मी गेस्ट हाउस के पास बड़वानी एवं अन्य पता नवलपुरा बड़वानी, हाल मुकाम-दिलीप गंेदालाल का घर, ग्राम चेनपुरा तहसील नेपानगर जिला बुरहानपुर को एक वर्ष की कालाअवधि के लिए बुरहानपुर जिले की राजस्व सीमा से बाहर चले जाने का निष्कासन आदेश जारी किया है।

विदित है कि-दिनांक 15 मई, 2023 को वनमण्डलाधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर अनावेदिका के संबंध में प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। -जिसमें 12 पेशिया की गई, 21 घंटे तक साक्ष्य परीक्षण चला, 6 घंटे तक माधुरी बेन का प्रतिपरीक्षण किया, प्रकरण में 6 सरकारी साक्ष्य तथा 6 गैर सरकारी साक्ष्य थे। जिसमें एसडीओ फोरेस्ट तथा नेपानगर टीआई भी शामिल रहे। – गैर सरकारी साक्ष्य में किसान तथा मजदूर शामिल रहे। किसान देवाराम स्टार विटनिस रहा। कलेक्टर द्वारा 72 पेज का निष्कासन आदेश जारी किया गया।
उल्लेखनीय है कि साक्ष्य परीक्षण के दौरान यह सामने आया है कि, माधुरी बेन के द्वारा आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मकोड़िया गाड़ा घाट, गोलखेड़ा में अलग-अलग समय पर एक ही तरह का भाषण देते हुए देखा गया। जहां भाषण में यह कहा जा रहा है कि, वन भूमि पर ट्रैक्टर बखरकर, मकान बनाकर रहों। फोरेस्ट वाले नौकर है, पट्टा हम दिलवायेंगे।

वहीं माधुरी बेन द्वारा वनमण्डलाधिकारी को 24/11/2022 को व्हाट्सअप पर लिखा था, रोकना, एकमात्र विकल्प। कटने के बाद आप कुछ नहीं कर पायेंगे। उसके बाद हिंसा और प्रतिहिंसा बहुत महंगा पड़ेगा। इससे प्रथम दृष्टयता यह स्पष्ट होता है कि माुधरी बेन को पहले से ही पता था कि हिंसा होने वाली है।

माधुरी बेन वनाधिकार अधिनियम की धारा 4 (5) के दुरूपयोग के संबंध में ज्ञान देती है कि, नया अतिक्रमण करों, दावा लगाओं, जब तक दावा का नहीं होगा निराकरण, तब तक वन विभाग नहीं कर सकता हटाने की कार्यवाही।
नये खुलासे-
प्रकरण में एक साक्ष्य ने बताया कि पट्टे के नाम पर 15 हजार रूपये लिये है।  जागृति आदिवासी संगठन ना कोई ट्रस्ट है, ना ही पंजीकृत सोसायटी है, ना ही देश-विदेश में कही भी पंजीकृत है। फिर भी सदस्य से पंजीयन लेते है एवं रसीद देते है।
गतिविधियों के संबंध में माधुरी बेन चेनपुरा के दिलीप के घर पर मीटिंग करती थी। जहां से लोगों से संपर्क किया जाता था। सलाह दी जाती है कि छोटे झाड़ काटकर टेªक्टर से करों जुताई, मकान बनाओं, फिर स्कूल खोलों, बच्चों को पढ़ाओं, पांच साल रहों, फिर पट्टा दिलवायेंगे। इसलिए स्कूल के संबंध में ही माधुरी बेन द्वारा गोलखेड़ा में स्कूल की मांग भी की गई थी, ताकि पट्टे के लिए आवेदन करा सकें। माधुरी बेन द्वारा लगातार संगठन को लेकर पत्राचार एवं ज्ञापन भी दिया जाता रहा।
साक्ष्य परीक्षण के दौरान यह भी सामने आया है कि माधुरी बेन बाकड़ी के मुख्य आरोपी रेवसिंह से भी बात करती है एवं सलाह देती है। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर विभाग उनसे चर्चा करता था। परन्तु अनुसंधान के बाद अप्रैल माह के अंत में पुलिस गिरफ्तारी में प्रस्तुत साक्ष्य दलसिंग द्वारा दिये गये बयान में माधुरी बेन का नाम सामने आया। भारतीय वनाधिकार नियम 66 ए के तहत दुष्प्रेरणा के आरोप में नाम सामने आये है। 21 पीओआर में माधुरी बेन का नाम है।
माह अप्रैल में माधुरी बेन द्वारा कलेक्टेªट परिसर में धरना देकर अन्य गतिविधियाँ वहीं खाना बनाना, सोना, लाउड स्पीकर का इस्तेमाल किया जाना इत्यादि गतिविधियां की गई जिससे अशांति का माहौल बना। जिससे अब निस्काषन आदेश द्वारा माधुरी बेन जिले में 1 वर्ष तक प्रवेश भी नहीं कर पायेगी।
कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण चलने के दौरान अनावेदिका माधुरी बेन द्वारा तर्क के लिए दो बार, 30 जून एवं 4 जुलाई को समय मांगा गया। इसी बीच अनावेदिका माधुरी बेन द्वारा हाई कोर्ट में याचिका 4 जुलाई को दायर की गई। हाईकोर्ट द्वारा 6 जुलाई को आदेश पारित कर याचिका को निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह स्पष्ट कहा गया कि यह कार्यवाही राज्य के हित में की जा रही है। कलेक्टर सुश्री मित्तल के जारी आदेशानुसार अनावेदिका माधुरी बेन को एक वर्ष के लिए 7 जुलाई, 2024 तक के लिए बुरहानपुर जिले की सीमा से निस्काषित किया गया है।

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