प्रदेश

केंचुए की गति से रेग रही माइक्रो वॉटर इरिगेशन परियोजना

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर  ३१ अक्टूबर ;अभी तक;  कोटड़ा बुजुर्ग । चम्बल से आवरा- अंगारी सूक्ष्म जल आवर्धन योजना 1260 करोड़ की थी ,किंतु अधिकारियों और ऑफशोर कंपनी के करिंदों की मिली भगत से जिसमें जनप्रतिनिधियों किया की भी हिस्सेदारी है यह योजना 1662 करोड़ की हो गई।
                                      इस योजना में रेलवे पटरी के पूर्व में स्थित ग्रामों को भानपुरा की योजना से ही 2 साल पहले ही सिंचाई का लाभ मिल जाना था किंतु कंपनी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिली भगत का नतीजा है कि किसान अभी तक हजारों करोड़ की योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि ऑफ़शोर कंपनी के करिंदों और अधिकारियों ने अक्टूबर माह में इस योजना को किसी भी स्थिति में चालू करने का आश्वासन दिया था , इस कारण से किसानों ने रबी की फसले बोई थी और एक सिंचाई नदी, नाले और कुवे से कर दी थी किंतु अब फसल सूखने आ गई है। पर अधिकारी ऑफिस ऑफिस खेल रहे हैं ।
लोकार्पण की नौटंकी,,,,
                                      2 माह पूर्व ही इसका लोकार्पण कार्यक्रम भी विधानसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए किया गया था किंतु अब किसानों का गुस्सा चरम पर है क्योंकि एक तो उनके फैसले सूख रही है , पानी कम गिरा अधिकारियों की आश्वासन पर फसले बो दी और अब सूखने की कगार पर है किंतु कोई भी जवाबदारी लेने को तैयार नहीं है ।
कौन सुनेगा, किसको सुनाएं ,,,
                                   जनप्रतिनिधि चुनाव में व्यस्त हैं और अधिकारी भी अपने ऑफिस ऑफिस के काम में तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख देते जा रहे हैं, कोई सही स्थिति बताने को तैयार नहीं है सब अपना दोष दूसरे के माथे मढ़नेकी नाटक नौटंकी कर रहे हैं।
नहीं हुआ बिजली कनेक्शन ,,,
                                    बिजली कनेक्शन ही नहीं हुआ अधिकारियों और ऑफ़शोर कंपनी के करिंदों की कारस्तानी के कारण अभी तक खजूरी ,पावटी,कोटड़ा बुजुर्ग की तरफ जो लाइन बिछाई गई है ,इसे पिछला से उसका पानी दिया जाना है ,किंतु पिछला में मोटर चलाने के लिए अभी तक विद्युत कनेक्शन ही नहीं लगा तो पानी आएगा कहां से ?कंपनी ने अपने पैसे बचाने के लिए एमपीइबी में पैसे ही जमा नही किया तो एमपीइबी भी कनेक्शन क्यों देगी? और अधिकारी तो ऑफिस ऑफिस खेलने में मस्त है।
                                 किसानों का आक्रोश उग्र ,,,अपनी मुरझाती फसलों को देखकर किसानों के आक्रोश बढ़ता जा रहा है और इसका खामियाजा चुनाव में प्रचार कर रहे जनप्रतिनिधियों को भी भुगतना पड़ सकता है क्योंकि  सब्जबाग दिखाकर सिंचाई योजना लोकार्पण कर फोटो खिंचवाकर बड़े-बड़े विज्ञापन देकर विधानसभा चुनाव फायदा उठाने की कोशिश की पर अब यह कोशिश उन पर ही भारी पड़ रही है ।
लागत बढ़ गई ,,,
                           यह परियोजना1260 करोड़ की है पर अब यह योजना  1662 करोड़ की हो गई है इसमें कहीं ना कहीं अधिकारियों ,आफ़ शोर कंपनी और जनप्रतिनिधियो ने  बंदर बाट कर ली किंतु किसानों को खेतों तक पहुंचा ही नहीं।
जब चंबल में पानी नहीं होगा तो क्या होगा ?,,,
                                      देखने में आया है कि कई बार चंबल सूख जाती है और वसई यहां छोटी पुलिया तक रेत निकाल आती है और अगर ऐसे ही स्थिति रही तो लगभग 5000 करोड़ की योजनाएं जो मल्हारगढ़ ,सुवासरा ,सीतामऊ, गरोठ, मनासा ,नीमच की तरफ चल रही है जिसमें सिंचाई के साथ-साथ पर पेयजल का भी वितरण किया जाना है, किंतु जब चंबल में पानी ही नहीं होगा तब यह योजना केवल कागजी सिद्ध होगी इसमें सिर्फ कंपनी अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का ही फायदा होगा,तब किसान और आम जनता इस योजना को खोजने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती ।
नहीं दिया मुआवजा,,,
कई किसानों को आज तक 2 साल में बाद भी वाजिद मुआवजा नहीं मिला है कंपनी के कारिन्दे किसानों को आश्वासन देते हैं पर इसके बाद भी उनको मुआवजा देने में आजकल करते हैं अधिकारियों से बात करते हैं तो वह कंपनी के करिंदों पर डाल देते हैं
घटिया निर्माण, लोकायुक्त को करेंगे शिकायत ,,,
मैन पाइपलाइन जो 4 से 6 फीट गहरी डाली जाना थी किंतु कहीं-कहीं या तीन फीट से 2 फीट तक ही डाली गई है और जो सर्वे हुआ था उसके अनुसार तो यह लाइन डाली ही नहीं गई कंपनी के ठेकेदारों ने स्थानीय ठेकेदारों को ठेका देकर काम करवा लिया और अधिकारियों ने तो आंख बंद करके और ओके रिपोर्ट दे दी और भुगतान भी हो चुका है।
चुनाव बाद सरकार बदलते ही किसान  जल संसाधन विभाग का घेराव करेंगे और लोकायुक्त से मामले की जांच करवाने एवं मुआवजा नहीं देने पर कंपनी का भी घेराव करेंगे इतने में भी काम नहीं हुआ तो न्यायालय तक जाएंगे।
इनका कहना,,,
मेरे खेत में के बीचों-बीच लाइन डाल दी गई जबकि सर्वे मेड़ हुवा था वही लाइन डालना थी बीच मे खुदाई कर दी जिससे मिट्टी गिट्टी और चुना भी मेरे खेत में डाल दिया जिस मिट्टी खराब हो गई है फसल पैदा नहीं हुई है , आफ़ शोर कंपनी के प्रबंधक शरद जैन ने आश्वासन दिया था कि वे शीघ्र ही उनका मुआवजा दिलाएंगे किंतु वह फोन नहीं उठाते हैं जब जल संसाधन विभाग सूक्ष्म परिवहन सिंचाई योजना के प्रशासक नवीन गौर से बात हुई तो उन्होंने कहा था कि मैं आज ही कंपनी के प्रबंधक को भेजता हूं किंतु आज तक कंपनी के प्रबंधकों ने बात भी नहीं की ,ना ही मौके पर आए और ना फोन उठाया।
एनडी वैष्णव
भुक्त भोगी किसान  कोटड़ाबुजुर्ग
बार-बार आश्वासन दे रहे हैं कि एक-दो दिन एक-दो दिन में लाइन चालू कर दी जाएगी और खेतों में पानी पहुंच जाएगा हमने फसल बो दी  है वह सूख रही है किंतु अभी तक एक बूंद भी पानी इस परियोजना का खेतों तक नहीं पहुंचा है ।

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