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आगम ज्ञान का भण्डार है, इनका महत्व समझे- साध्वी श्री अर्हताश्रीजी
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २७ अक्टूबर ;अभी तक; 45 आगमों में पूरे धर्म का सार छिपा है जो भी धर्म आराधक श्रावक श्राविका है उन्हें आगमों का अपने जीवन में महत्व समझना चाहिये तथा आगमन के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिये। जीवन में जब भी हमें ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा हो उस समय हमें आगमों को पड़ना चाहिये। आगमों में ज्ञान का भण्डार छिपा है। हम इसे जितना पड़ेंगे उतना हम ग्रहण कर पायेंगे।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में कहे। आपने शुक्रवार को यहां धर्मसभा में कहा कि जैन आगमों में प्रभु महावीर व अन्य जैन तीर्थंकरों की वाणी जो बताई गई है उसे हमें आत्मसात करना है तो आगमों को पड़ना होगा। आगमों में जो ज्ञान दर्शन व चारित्र की महिमा बताई गई है उससे हम आत्मसात कर अपने जीवन को पवित पावन बना सकते है।
सिद्धचक्रम के जाप से आत्मकल्याण संभव-साध्वी श्री अर्हताश्रीजी ने कहा कि सिद्धचक्र के जाप जाप से जीवन में पुण्यकर्म का संचय होता है तथा इससे आत्मकल्याण भी संभव है। जिस प्रकार गंदे कपड़े धोने के लिये उन्हें कुछ समय पूर्व पानी में गलाना पड़ता है उससे कपड़ों में लगा मेल जल्दी साफ हो जाता है उसी प्रकार सिद्ध चक्र के पाप से हमारी आत्मा के मेल को साफ करने में मदद मिलती है।
जीवन में ज्ञान का महत्व समझे- साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने कहा कि नवपद की औलीजी में ज्ञान की आराधना की जाती है जीवन में ज्ञान के बिना कुछ भी संभव नहीं है। ज्ञान होने पर ही हम प्रभु की वाणी को समझ पाते है। तथा धर्म का पालन कर पाते है। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।
जीवन में ज्ञान का महत्व समझे- साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने कहा कि नवपद की औलीजी में ज्ञान की आराधना की जाती है जीवन में ज्ञान के बिना कुछ भी संभव नहीं है। ज्ञान होने पर ही हम प्रभु की वाणी को समझ पाते है। तथा धर्म का पालन कर पाते है। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।