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शासक कितना ही अच्छा हो लेकिन कानून घटिया हो तो देश आगे नहीं बढ़ सकता – अश्विनी उपाध्याय
मयंक शर्मा
खंडवा १५ जनवरी ;अभी तक; हम अपने उन पूर्वजों के आभारी हैं जिन्होंने हमें हिंदू बनाए रखा, अनेक अन्याय सहे, कुरीतियों भी अपना ली लेकिन अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया इसीसे आज हम तिलक लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, जनेऊ पहनने को स्वतंत्र हैं और भारत को माता कहने के लिए हम स्वतंत्र हैं । अगर पूर्वजों में बलिदान नहीं दिया होता तो हमारी संस्कृति बदल गई होती ।
उपरोक्त विचार स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला के दूसरे दिन किशोर संस्कृतिक सभागृह में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का निर्माण करने में जो लोग लगे हुए थे उनमें बहुत सारे विदेशों से पढ़ कर आए थे और वह अपने हिसाब से विदेशी कानून के अनुसार कानून चाहते थे लेकिन भारत के जो सदस्य थे वे राम राज्य के अनुसार संविधान बनाना चाहते थे । संविधान में रामायण के उत्तराखंड में लिखा हुआ सब कुछ लिखा हुआ है जो की एक श्रेष्ठ राज्य के लिए आवश्यक है । संविधान के मूल अधिकार भारतीय नागरिकों के लिए है लेकिन यहां बाहर से हुए आए हुए व्यक्ति भी इनका लाभ उठा रहे हैं बांग्लादेशी और रोहिंग्या इसके मुख्य उदाहरण है ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में कानून तो है लेकिन लागू नहीं हो रहे हैं ऐसा करना संविधान की अवहेलना करना है । विश्व का कल्याण हो यह हमारे संविधान में लिखा हुआ है । शासन कितना भी अच्छा हो लेकिन कानून घटिया हो तो कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता । आज हजारों की संख्या में जज, आईएएस, आईपीएस और सेवानिवृत्त विशेषज्ञ घरों में बैठे हैं यदि उन सबको संविधान सुधार में लगा दिया जाए तो एक वर्ष में भारत के संविधान में सुधार हो सकता है । गलत कार्यों को रोकने के लिए बहुत कठोर कानून आवश्यक है । समस्या शासक नहीं कानून हल करता है । इस देश में अंग्रेजों से ज्यादा खराब कानून कांग्रेस ने बनायें । अधर्म का नाश ही धर्म की जय करेगा प्राणियों में सद्भावना भी इसी से आएगी और विश्व का कल्याण भी इसे ही होगा ।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में राम दरबार के चित्र लगे हुए हैं यह पूरा हमारे ग्रंथो पर आधारित संविधान है, लेकिन इसकी मूल में परिवर्तन करने के कुत्सिय प्रयास हुए हैं । नशा, घूसखोरी, जमाखोरी सब अधर्म है इन्हें दूर करने के लिए कठोर कानून बनना होगा और कठोर कानून से ही राम राज्य की स्थापना हो सकती हैं । 80% समस्याएं कानून से हल हो सकती है कानून बदलने से समाज और व्यवस्था दोनों बदल जाते हैं । शिक्षा धर्म की जय करने वाली हो और कानून अधर्म का नाश करने वाला होना चाहिए । आज सरकारी कार्यालय भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं, अगर भारत में राम राज्य लाना है तो किसी भी मुकदमे का फैसला 1 साल में आवश्य हो जाना चाहिए । अगर भ्रष्टाचार खत्म हो जाए तो इस देश के व्यापारी व्यवसायी देश की दो प्रतिशत जीडीपी बढ़ा देंगे । हम सिर्फ सोशल मीडिया पर सिर्फ समस्या ही बताते हैं हमें उसे पर समाधान भी बताना चाहिए । समाज जो काम 100 साल में पूरे करेगा सरकार उसे अच्छे कानून के दम पर 1 साल में पूरा कर सकती हैं ।राम राज्य की अवधारणा यही रही कि सब को अच्छा स्वास्थ्य मिले, अच्छे सुविधा मिले, अच्छी शिक्षा मिले यह सभी राम राज्य के आधार हैं और ऐसा कानून, ऐसा संविधान भारत का है लेकिन इसे कठोरता से लागू करने की आवश्यकता है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता अजय पगारे ने की मंच पर समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिलीप जैन उपस्थित थे । संचालन डॉक्टर सचिन पाटिल ने किया तथा आभार डॉक्टर भूषण बांडे ने व्यक्त किया । डॉ प्रकाश शास्त्री, डॉ शक्ति सिंह राठौड़, विधायक कंचन तनवे, महापौर अमृता यादव, पंधाना विधायक छाया मोरे, देवेंद्र वर्मा, डॉक्टर गिरजा शंकर त्रिवेदी सहित बड़ी संख्या में नगरजन उपस्थित हुए । कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वंदे मातरम के साथ हुआ । यह जानकारी व्याख्यानमाला सचिव भूपेन्द्र सिंह चौहान ने दी ।