प्रदेश
हरदा फटाका फैक्ट्री में हुए धमाके को प्राकृतिक हादसा बताकर एनजीटी के आदेश की अनदेखीकी गई
आनंद ताम्रकार
बालाघाट १७ फरवरी ;अभी तक; हरदा फटाका फैक्ट्री में हुए धमाके प्राकृतिक हादसा नहीं वरन मानव निर्मित हादसा। हरदा फटाका फैक्ट्री मे विगत दिनों हुए बारूदी धमाकों से 13 जाने चले गई फिर भी इसे प्राकृतिक हादसा बताकर शासन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्यूबनल के आदेशों की अनदेखी की गई।
इस आशय की आपत्ति म.प्र.नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉक्टर पीजी.नाजपांडे ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को प्रेषित की है।
डॉक्टर नाजपांडे एवं अधिवक्ता रजत भार्गव ने आरोप लगाया है की शासन इस विस्फोट के लिये जिम्मेदार आरोपियों और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बचाना चाहती है जो पूर्णतः गलत है।
उन्होने प्रेस विज्ञप्ति में यह उल्लेख किया है की एनजीटी ने ओए 20/2024 में दिनांक 6 फरवरी को आदेश में पृष्ठ 5, पेरा 10 जारी कर कहा है की यह फटाके उद्योग में विफोस्ट नियम 2008 के नियम 71,82,83 का घोर उल्लंघन हुआ है।
एनजीटी ने ईए 11/2023 दिनांक 8 फरवरी को आदेश पृष्ठ 12, पेरा 20 में कहा है की अधिकारियों ने सही रिपोर्ट तथा निरीक्षण नही किया नतीजतन जाने गई तथा संपत्तियों का भारी नुकसान हुआ है।
इससे स्पष्ट होता है की यह प्राकृतिक हादसा नहीं बल्कि मानव निर्मित हादसा है।
अधिवक्ता प्रभात यादव ने अवगत कराया की एनजीटी ने पीड़ितों को अंतिम राहत देने हेतु राशियां भी निर्धारित की है तथा इसके अतिरिक्त पीड़ितों को 20 लाख रुपये देने के निर्देश दिये है किन्तु शासन ने प्राकृतिक हादसा बताकर राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी) के तहत कम सहायता दी है यह गलत है।