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विश्व कल्याण का दैनिक कर्मकांड है, आरएसएस की शाखाएं

रमेशचन्द्र चन्द्रे
मन्दसौर  एक मार्च ;अभी तक; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिदिन लगने वाली एक घंटे की शाखाओं में कभी-कभी खुद स्वयंसेवक और बाहर से देखने वाले लोगों को यह प्रतीत होता है कि, यह एक घंटा, संघ के लोग अनावश्यक बर्बाद करते हैं ? किंतु यह प्रतिदिन का एक घंटा, व्यक्तित्व निर्माण का एक करिश्माई कर्मकांड है।
किंतु कुछ लोग इस बात पर आश्चर्य करते हैं कि, क्या? यह एक घंटे का छोटा सा कार्यक्रम, समाज में एक ऐसा अतिश्रेष्ठ एवं सशक्त परिवर्तन लाने में समर्थ होगा जिसकी संकल्पना संघ करता है? यह एक अचूक एवं अनुभव सिद्ध बात है कि, संसार के लोग हमेशा जीवंत उदाहरण का अनुसरण करते हैं क्योंकि वह जैसा देखते हैं वैसा ही करते और सीखते हैं ना कि खोखले आदर्शों का अनुसरण करते हैं। और यह एक घंटे का प्रशिक्षण, राष्ट्रीय चरित्र की ऐसी जीवित प्रतिमाओं को आकार देता है, जिनमें से एक दिव्य- शक्ति विकिर्ण होती है, जो लोगों को अच्छे मार्ग की ओर खींच लाती है।
                                     राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के लिए संघ, जिन दिव्य विचारों और संस्कारों को व्यक्ति- व्यक्ति में उतारना चाहता है, उसका परम पवित्र केंद्र है, दैनिक शाखा। यहां खेल, व्यायाम आसन, योग एवं इसके साथ ही  बौद्धिक विचार विमर्श एवं संस्कारक्षम कहानियों, संस्मरणों  के माध्यम से बाल्य एवं युवावस्था में ही स्वयंसेवकों के विचारों को प्रतिदिन परिष्कृत( फिल्टर) किया जाता है। क्योंकि, संघ का ऐसा मानना है कि बर्तन भी यदि रोज मांजे जाएं तो वह चमकते हैं, इसी प्रकार मन, आत्मा और शरीर का प्रतिदिन परिष्कार होना आवश्यक है अन्यथा यह कुंठित होते जाते हैं एवं उनकी फ्लैक्सिबिलिटी अर्थात लचीलापन समाप्त हो जाता है,  फिर नया कुछ भी ग्रहण करने की क्षमता इनमें नहीं रहती। इसलिए प्रतिदिन की शाखा इसी तंत्र की एक प्रयोगशाला है।
                             प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन पर नियंत्रण करने की कला आना चाहिए। क्योंकि घोड़े पर सवार होकर घोड़े को यदि स्वच्छंद छोड़ दिया ताकि वह उसकी जहां मनमर्जी हो वहां जाए तो घुड़सवार की यात्रा निरर्थक हो जाती है तथा कभी-कभी तो वह प्राण घातक भी हो सकती है। इसलिए जिस प्रकार घोड़े को नियंत्रित कर दिशा देना आवश्यक है इसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य को अपने मन को भी दिशा देना आवश्यक है, अन्यथा एक दिशाहीन मन स्वयं के लिए और समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
                          अतः संघ की यह एक  घंटे की शाखा, व्यक्ति के मन, बुद्धि, शरीर के साथ एकात्मता स्थापित कर उसके जीवन में ऐसी सैद्धांतिक दृढ़ता का निर्माण करता है जो स्वयं के लिए, उसके परिवार के लिए तथा समाज एवं  राष्ट्र के लिए वह हमेशा कल्याणकारी सिद्ध हो सके।
                             इस एक घंटे की शाखा को सामान्य एकत्रीकरण समझने वाले लोग,इस भ्रम में ना रहें कि ,यह टाइम पास करने का कोई सेंटर है बल्कि यह भारत के उत्थान और विश्व के कल्याण के ताने-बाने बनाने वाले बुनकरों का एक बहुत बड़ा केंद्र है।

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