इस्लाम इंसानियत का संन्देश देता है, आपसी भाईचारे को लेकर जलसे का हुआ आयोजन
दीपक शर्मा
पन्ना २ मार्च ;अभी तक; इस्लाम का असल पैगाम इंसानियत है, दुनियां के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहे वसल्लम ने पूरी दुनियां को यह संदेश दिया था कि असल इबादत और असल धर्म इंसानियत को जिंदा करना है। आपसी सौहार्द और सदभाव इस्लाम का मूल मंत्र है। नबी के इसी संदेश को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए पन्ना में पहली बार सीरतनु नबी के पैगाम को बुलंद करने जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के नामी उल्माओं ने शिरकत की और अपनी बात पहुंचाई।
इस कार्यक्रम का आयोजन शहर के रायल मेरिज गार्डन रानीबाग में बुधवार को जमीयत ए उलमा हिन्द के जिला सदर मौलाना मोईज्जोद्दीन नदवी शहर काजी एवं जिला सचिव अब्दुल नसीम सहित शहर कमेटी के तत्वाधान में किया गया।
जलसे में मुख्य रूप से अल्लामा अमीर ए शरीयत हजरत सैय्यद तौहीद आलम लखनऊ, इस्लाम के जानकार मोहम्मद अबू आमिर लखनऊ, मौलाना अब्दुल तौशीफ लखनऊ, मौलना सिबगत उल्ला, मौनाना नदीम अहमद अयोध्या, कारी फहीम पीहानवी, मौलाना सैयद सिद्दीक अहमद, मौलाना अबरार भवानीपुर ने कार्यक्रम का संबोधित किया और कुरान हसीद की रौशनी में इस्लाम का पैगाम दिया। इस दौरान सैय्यद तौहीद आलम ने कहा कि दुनियां के आखिरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहे वसल्लम सिर्फ मुसलमानों के ही नबी नहीं, बल्कि पूरी दुनियां को इंसानियत की राह दिखाने वाले है।
उन्होंने कहा कि यह खुदा सबका है, खुदा ने कुरान को हम सब की रहनुमाई (मार्गदर्शन) के लिए उतारी है। यह कतई नहीं हो सकता है कि खुदा सिर्फ मुसलमानों की रहनुमाई करे, उसने यह किताब पूरी इंसानितयत के लिए भेजी है। मौलाना ने कहा कि इस्लाम का संदेश पूरी मानव जाति के लिए है, सिर्फ कुछ लोगों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने के लिए एक-दूसरे के बीच आपसी विवाद पैदा किए जा रहे हैं, इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है, जबकि इस्लाम इंसानियत का संदेश देता है और हमारे नबी ने पूरी जिंदगी इंसानियत को जिंदा रखने में लगा दी। इस्लाम के असल मायने ही सलामती व खैर है, फिर इस्लाम किसी का दुश्मन कैसे हो सकता है।
उन्होंने नबी की बात करते हुए कहा कि नबी ने मुसलमानों को अपने मुल्क, अपने शहर, अपने पडौसी के साथ किस तरह के संबंध रखने है, यह सब बताया। इसमें कोई भेदभाव नहीं है, कि पडौसी किस मजबह का है, किस जाति है। हर मुसलमान को इमान पर कायम रहने की सीख दी और किसी को दुख पहुंचाना, परेशान करना इस्माल नहीं है। कार्यक्रम के दौरान शहर काजी मौलाना मोईज्जोद्दी ने कहा कि इस्लाम का स्पष्ट संदेश कुरान में है कि ‘‘ लकुम दी नुकुम वलयदीन’’ इसके मायने है कि हमारा धर्म हमें, मुबारक, तुम्हारा धर्म तुम्हें मुबारक। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी धर्म को मानने से इंसानियत का रिश्ता खत्म नहीं होता। कार्यक्रम में अब्दुल नसीम, हाजी अब्दुल मजीद मुन्ना मास्टर, सैयद सलमान मारूफ, एडवोकेट इस्माईल खान सहित शहर कमेटी का विशेष योगदान रहा।