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उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद, नगरीय प्रशासन ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी टीकमगढ़ का ट्रांसफर आदेश जारी किया
टीकमगढ़ से पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ १७ मार्च!”अभी तक “टीकमगढ़ नगरपालिका की मुख्य अधिकारी (सीएमओ )श्रीमती गीता मांझी के, जबलपुर उच्च न्यायालय के ट्रांसफर पर स्थगन आदेश के बावजूद, नगरीय प्रशासन ने गुजरे 14 मार्च को उनका ट्रांसफर आदेश जारी किया है!यह उनका पिछले 13 महीने में दूसरा ट्रांसफर आदेश है। इसके पूर्व पिछले साल 22 जून को उन्हें यहाँ से हटाकर भिंड जिले में पदस्थ करने सम्बन्धी आदेश जारी किये गए थे, जबकि टीकमगढ़ नगरपालिका में उन्हें 3जनवरी 23को पदस्थ किया गया था इस मामले में गंभीर तथ्य यह है कि उनके साथ ज़्यादती करने मे जिला प्रशासन भी पीछे नहीं रहा!
गत वर्ष 3जनवरी को टीकमगढ़ नगरपालिका में ज्वाइन करने के बाद जिले के तत्कालीन कलेक्टर सुभाष द्विवेदी ने राजनैतिक दवाव के चलते उन्हें डेढ़ महीने बाद उनके मूल पद से हटाकर, जिला कार्यालय में अटैच कर दियाथा,जबकि उन्हें ऐसा करने के अधिकार नहीं थे!कलेक्टर के अटैच करने सम्बन्धी आदेश पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश पारित कर गीता मांझी को राहत दी और उसके बाद उन्होंने यथावत अपने मूल पद का कार्य भार संभाला, लेकिन 4महीने बाद22जून को फिर राज्य सरकार ने उनका ट्रांसफर भिंड जिले में कर दिया जिससे व्यथित होकर एक बार फिर उस पीड़ित महिला अधिकारी को माननीय हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी जिसके फलस्वरूप उन्हें शासन के उस आदेश पर न्यायालय ने अगली सुनवाई तक स्थगन आदेश पारित करके न्याय दिया!शासन सत्ता में बैठे कतिपय अधिकारी व्यक्तिगत दुर्भावना से ग्रस्त, हाईकोर्ट और शासन के तय नियमों की अवहेलना करके टीकमगढ़ सीएमओ गीता मांझी को प्रताड़ित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं!यहाँ प्रासंगिक है कि गीता मांझी के पदस्थ होने के बाद उन्होंने टीकमगढ़ नपा में व्याप्त कथित भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रयास किये जो कुछ पार्षद और नपा अध्यक्ष गफ्फार खान को वह प्रयास पसंद नहीं आये और उन्होंने उनके खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया,!इस विषय में एक बीजेपी पार्षद ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि नपा अध्यक्ष पप्पू मलिक उर्फ़ गफ्फार ने अपने करीब दो साल के कार्यकाल में नगर में विकास कार्य हों, इसके लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किये!पार्षद ने बताया कि कुछ मामलों में सीएमओ पर अध्यक्ष नियम विरुद्ध काम करने का दबाव डालने का प्रयास करते हैं और सीएमओ द्वारा जब उन्हीं मामलों में नियमों का हवाला देकर फाइल लौटा दी जाती हैं तो अध्यक्ष मलिक सार्वजानिक तौर पर सीएमओ पर नपा कार्यों में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाने से नहीं चूकते!इस सम्बन्ध में नपा अधिकारी ने पार्षद के उक्त तथ्यों की पुष्टि की लेकिन चेयरमेन का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क नहीं हो सका!फिलहाल गीता मांझी को फिर उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है इस मामले में रूचि रखने बालों को न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा है!